Chankya Niti: चाणक्य ने कहा हैं...ये पांच बातें किसी से शेयर नहीं करनी चाहिए...

Update: 2023-06-26 07:30 GMT

Chankya Niti: आचार्य चाणक्य ने प्रयास किया कि उन्होंने अपने जीवन में जो ज्ञान अर्जित किया है उसे इस तरह संजो जाएं कि आम आदमी को जीवन जीने की सही दिशा मिल सके। और यह पूरी तरह सच है कि अगर हम एकाग्रचित्त होकर उनके श्लोकों का अर्थ समझें तो कई गलतियां करने से बच सकते हैं। आज जिस श्लोक की हम चर्चा कर रहे हैं उसके द्वारा चाणक्य ने बताया है कि इंसान को कौन सी बातें अपने मन में ही रखनी चाहिए, कभी किसी बाहर वाले को नहीं बतानी चाहिए। आइए जानते हैं कि वे कौन सी पांच बाते हैं।

चाणक्य लिखते हैं-

  • अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुष्चरितानि च।
  • वञ्चनं चाऽपमानम च मतिमान्न प्रकाशयेत्॥

धन का नाश हो जाए या मन में कोई पीड़ा हो... परिवार के सदस्यों में कोई आपसी समस्या हो या कोई दोष... कोई आपको ठग ले या आपका अपमान किया गया हो, ये सभी बातें अपने मन में ही रखनी चाहिए, परिवार से बाहर नहीं जाने देनी चाहिए वरना आपका ही अहित होगा।

धन का नाश

चाणक्य कहते हैं कि ऐसा बहुत बार होता है कि इंसान को धनहानि उठानी पड़ती है। उसका बहुत सारा पैसा बर्बाद हो जाता है। निश्चय ही यह स्थित दिल को दुखाती है और परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर डालती है लेकिन बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वह कभी भी इस बात को सार्वजनिक न करे। इसे अपने मन में ही छुपा कर रखे। धन दोबारा अर्जित किया जा सकता है लेकिन औरों की नज़रों में सम्मान नहीं।

मन का दुख या संताप

प्रत्येक व्यक्ति के मन में किसी न किसी बात को लेकर पीड़ा या तकलीफ़ भी होती है। लेकिन इस पीड़ा को भी अपने भीतर ही रखना चाहिए और उबरने का प्रयास करना चाहिए। यदि आप अपनी पीड़ा किसी और को बताएंगे तो वह सिर्फ संवेदना जताएगा लेकिन उससे आपकी पीड़ा कम नहीं होगी बल्कि आप की दुखती रग दूसरे की पकड़ में ज़रूर आ जाएगी।

घर के दोष

ऐसा कोई परिवार नहीं होता है जिसके अंदर कुछ कमियां न हों, दोष न हों, लेकिन इन दोषों को भी दूसरों के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए। क्योंकि जब आप अपने परिवार की ऐसी तस्वीर दूसरे के सामने बनाते हैं तो ऐसा लगता है कि आपके परिवार में दुख ही दुख हैं, कोई खुशी नहीं है। दूसरे लोग हमेशा आपके दुख जानकर खुश ही होते हैं भले ही सामने दुख जताने का दिखावा करें। इसलिए अपने घर की कमियों को उजागर न करने में ही समझदारी है।

अगर कोई ठग ले

ठग तो हमेशा मौके की तलाश में रहते हैं और मौका पाते ही आपको ठग सकते हैं, चूना लगा सकते हैं। बहुत संभव है कि ऐसा आपके साथ भी हो जाए लेकिन इसका खुलासा भी बाहर वालों के सामने नहीं करना चाहिए। दूसरे लोग सामने आपको धीरज बंधाएंगे लेकिन पीठ पीछे हंसी ही उड़ाएंगे। इसलिए जो हो गया है, उसका प्रचार न कर स्थिति का मुकाबला करने और अपना धन या सामान वापस पाने का प्रयत्न करें।

अपने अपमान को भी अपने भीतर ही रखें

अपमान भी जीवन का एक सत्य है। आम आदमी हो या कोई सम्राट या राष्ट्र का मुखिया, अपमान उसका भी हो सकता है। परिस्थितियों पर किसी का वश नहीं है। अगर आपको भी अपमानित किया गया है तो उसका घाव तो आपके मन में होगा ही, लेकिन इस घाव को भी अपने मन में ही रखें। सही मौका आने का इंतज़ार करें और पलटवार करें। ये नहीं कि घर-घर जाकर इस बात का रोना रोएं कि अमुक ने आपका अपमान किया है। क्योंकि अगर आप ऐसा करेंगे तो लोग सिर्फ़ मज़ा लेंगे और चर्चाएं करेंगे। और इसमें आपका कोई हित नहीं है।


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