Chaitra Navratri 2024:नवरात्रि पर नहीं रख पाएं उपवास और न कर पाएं कलश स्थापना, तब फिर बरसेगी मां दुर्गा की कृपा, जानिए क्या करना होगा?
Chaitra Navratri 2024: कई बार हमारे अनियमित दिनचर्या या अन्य कारणों से हम नवरात्रि के उपासना या व्रत-त्याग करने में समर्थ नहीं हो पाते हैं।तो जानिए कैसे बरसेगी देवी कृपा
Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि के त्योहार का महत्व अत्यंत उच्च होता है और इसे लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं। इसमें व्रत और घटस्थापना का महत्व भी अत्यधिक होता है। लेकिन कई बार हमारे अनियमित दिनचर्या या अन्य कारणों से हम नवरात्रि के उपासना या व्रत-त्याग करने में समर्थ नहीं हो पाते हैं।इससे चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। नवरात्रि का महत्व व्रत और उपासना से ही नहीं, अपितु भगवान की श्रद्धा, भक्ति, और सेवा में भी है। यदि आपको नवरात्रि के व्रत और घटस्थापना करने का मौका नहीं मिल पा रहा है, तो आप अपनी श्रद्धा को अन्य तरीकों से भी व्यक्त कर सकते हैं।
आप भगवान के नाम का जाप करके, उनकी कथाओं को सुनकर, और उनकी पूजा-अर्चना करके भी उनकी कृपा को प्राप्त कर सकते हैं। नवरात्रि का सच्चा अर्थ भगवान के प्रति प्रेम और आस्था में है, और यह आप किसी भी समय में व्यक्त कर सकते हैं।इसलिए, यदि आप नवरात्रि के व्रत और घटस्थापना नहीं कर पा रहे हैं, तो इसमें परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है। आप अपनी आस्था को अन्य तरीकों से व्यक्त करें और भगवान के प्रति अपनी समर्पणशीलता को बनाए रखें।
आपकी मां दुर्गा (Maa Durga) के प्रति सच्ची श्रद्धा और भक्ति है तो आप अपनी व्यस्तता से नौ दिनों तक केवल पांच से दस मिनट का समय निकालें और प्रतिदिन मां के एक स्वरूप की पूजा कर अपनी कामना की पूर्ति कर सकते हैं।कैसे? जानते हैं-प्रतिपदा से नवमी तक हर तिथि का अपना महत्व है। नौ दिन में माता के सभी नौ रूपों की पूजा व मंत्र जाप करके अपनी मनोकामना पूर्ति के साथ-साथ मां का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है। इसके लिए इन बातों का ध्यान रखना होगा-
नवरात्रि में इन नियमों का पालन जरूरी है...
प्रतिपदा के दिन माता शैलपुत्री का ध्यान व पूजा करके गाय के घी का दीपक प्रज्जवलित कर घी से बना नैवैद्य अर्पित करें और ऊँ ह्यीं श्रीं शैलपुत्री देव्यै नमः मंत्र की एक माला का जाप करें।
द्वितीया तिथि यानि दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता का ध्यान व पूजा करें. उन्हें शक्कर का भोग लगाकर, वह शक्कर किसी को दान कर दें और ऊँ ह्यीं श्रीं ब्रह्मचारिणी देव्यै नमः मंत्र की एक माला का जाप करें।
तृतीया तिथि के दिन चन्द्रघंटा माता का ध्यान व पूजा करें. पूजा में दूध का उपयोग करें व उस दूध का दान कर दें और ऊँ ह्यीं श्रीं चन्द्रघण्टा देव्यै नमः मंत्र की एक माला का जाप करें।
चतुर्थी तिथि पर कुष्माण्डा माता का ध्यान करें. माता को मालपुआ का नैवेद्य अर्पित करें व ब्राह्मण को दान कर दें. ऊँ ह्यीं श्रीं कूष्माण्डा देव्यै नमः की एक माला जाप करें।
पंचमी तिथि को स्कंध माता का ध्यान व पूजा करें. केले का प्रसाद चढाएं व प्रसाद ब्राह्मण को दान कर दें. ऊँ ह्यीं श्रीं स्कंन्द माता देव्यै नमः मंत्र की एक माला का जाप करें।
षष्ठी तिथि पर कात्यायनी माता का ध्यान व पूजा करें. शहद से माता का पूजन करने के बाद शहद दान कर दें. ऊँ श्री ह्यीं कात्यायनी देव्यै नमः मंत्र की एक माला का जाप करें.
सप्तमी तिथि को माता कालरात्रि का ध्यान व पूजा करें. गुड़ का नैवेद्य अर्पित कर इसे ब्राह्मण को दान करे. ऊँ ह्यीं श्रीं कालरात्रि देव्यै नमः मंत्र की एक माला जाप करें।
अष्टमी तिथि पर महागौरी माता का ध्यान व पूजा करें. नारियल का भोग लगाएं तथा नारियल ब्राह्मण को दान कर दें. सर्व मंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्येत्रयंब्के गौरी नारायणी नमस्तुते मंत्र की एक माला का जाप करें।
वहीं नववीं तिथि को माता सिद्धिदात्री का ध्यान व पूजा करें. इस दिन काले तिल का नैवेद्य बनाकर अर्पण करें और इसका दान कर दें. ऊँ ह्यीं श्रीं सिद्धिदात्री देव्ये नमः मंत्र की एक माला का जाप करें।ऐसा करने से आपको आरोग्य, दीर्घायु, ज्ञान व बुद्धि का आशीष मिलेगा, कामनाओं की पूर्ति होगी।
यदि आप किसी कारणवश अखंड ज्योति नहीं चला रहे हैं तो सुबह और शाम माँ दुर्गा की प्रतिमा के सामने दीये जलाएं, ऐसा करने से भी सुख समृद्धि आती है और माँ दुर्गा के सामने नारियल के साथ चुनरी ज़रूर चढ़ाएं, कहा जाता है ऐसा करने से माता सारी मनोकामनाएं पूरी करती है.