Budh Purnima 2023: कब मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा, जानिए पूजा का समय शुभ योग और इस दिन का धार्मिक महत्व...

Update: 2023-04-27 07:37 GMT

Budh Purnima 2023 वैशाख पूर्णिमा के दिन को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, दुनिया भर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह शुभ दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु का प्रतीक है, और बौद्ध संप्रदायों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।

मान्यता है कि गौतम बुद्ध के जीवन की तीनों महत्वपूर्ण घटनाएं - उनका जन्म, ज्ञान और मोक्ष - वर्ष के एक ही दिन आते हैं। इस घटना के कारण, बौद्ध धर्म में इस दिन का अत्यधिक महत्व है। साल 2023 में बुद्ध पूर्णिमा 5 मई (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। ये बुद्ध पूर्णिमा बेहद खास होगी, क्योंकि इस बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लग रहा है। ग्रह-नक्षत्रों का भी अजब संयोग बन रहा है। जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त।

बुद्ध पूर्णिमा पूजा का समय

  • वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ: 04 मई, गुरुवार, रात्रि 11: 44 मिनट से शुरू
  • वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि समाप्त: 05 मई, शुक्रवार रात्रि 11: 03 मिनट तक
  • उदयतिथि के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा 05 मई शुक्रवार को मनाया जाएगा।

बुद्ध पूर्णिमा शुभ योग

बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण और सिद्धि योग के साथ है भद्रा काल भी रहेगा । इस दिन सिद्धि योग में सूर्योदय से प्रात: 09:17 मिनट तक

स्वाति नक्षत्र: सुबह से रात 09:40 तक रहेगा।वैशाख पूर्णिमा के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 11: 51 मिनट से दोपहर 12: 45 मिनट तक

भद्राकाल: प्रातः 05: 38 मिनट से 11:27 मिनट तक । चूंकि इस भद्रा का वास पाताल है, इसलिए इसका दुष्प्रभाव धरती पर नहीं पड़ेगा।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

  1. हिंदू धर्म में बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार हैं। हिंदुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। इसी कारण बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिंदू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। गृह-त्याग के बाद सिद्धार्थ 7 सालों तक वन में भटकते रहे। यहां उन्होंने कठोर तप किया और वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई।
  2. गौतम बुद्ध का जन्म (563 ईसा पूर्व-निर्वाण 483 ईसा पूर्व) को हुआ, वह विश्व के महान दार्शनिक, वैज्ञानिक, धर्मगुरु और उच्च कोटी के समाज सुधारक थे। उनका जन्म राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था, उनकी माता का नाम महामाया था, 7 दिन बाद ही उनकी मां की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद महाप्रजापति गौतमी ने उनका पालन किया। शादी के बाद वह संसार को दुखों से मुक्ति का मार्ग दिलाने के लिए पत्नी और बेटे को छोड़कर निकल गए थे। सालों कठोर साधना करने के बाद वह बोध गया (बिहार) में बोधी वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।
  3. अलग-अलग देशों में वहां के रीति-रिवाज के अनुसार ही पूजा की जाती है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन घर को फूलों से सजाने के बाद दीप जलाएं जाते हैं। पूजा-पाठ करने के बाद बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। वृक्ष की जड़ में दूध और सुगंधित पानी डालते हैं और दीपक जलाते हैं।
  4. इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है। दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं। बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ किया जाता है। मंदिरों व घरों में अगरबत्ती लगाई जाती है। मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाए जाते हैं और दीपक जलाकर पूजा की जाती है।
  5. बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ किया जाता है।इस दिन मांसाहार से परहेज होता है क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे। इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर खुले आकाश में छोड़ा जाता है।गरीबों को भोजन व वस्त्र दिए जाते हैं।
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