Bahula Chauth Pooja 2024 in Raipur : छत्तीसगढ़ की महतारियों ने की अपने संतानों के लिए सुख-शांति-उन्नति के लिए "बहुला माता" की पूजा
Bahula Chauth Pooja 2024 in Raipur : . भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार बच्चों की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है।
Bahula Chauth Pooja 2024 in Raipur : आज छत्तीसगढ़ की माताएं अपने संतान के सुख शांति, उन्नति और सुरक्षा के लिए बहुला चौथ का व्रत और पूजा कर रही हैं. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार बच्चों की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है।
महिलाएं इस दिन गायों की पूजा करती हैं। इसके अलावा मिट्टी से शिव, पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की मूर्तियां बनाकर पूजा की जाती है। स्वयं श्रीकृष्ण ने इस दिन के महत्व पर जोर दिया था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन के प्रभाव से संतान को जीवन में सारी खुशियां मिलती हैं।
शास्त्रों में गायों का विशेष महत्व माना जाता है। गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। जो महिलाएं गाय की पूजा करती हैं उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है और साथ ही संतान पर आने वाली परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं।
यह है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण शेर के रूप में बहुला गाय के सामने प्रकट हुए। बहुला गाय ने जब अपने समक्ष शेर खड़ा देखा तो वह अपने प्राण त्यागने को तैयार थी, लेकिन उसने शेर से अपने बच्कचे को दूध पिलाने की अनुमति मांगी और कहा कि इसके बाद वह स्वयं शेर के भोजन का निवाला बन जाएगी। जब शेर ने गाय का बछड़े के प्रति प्रेम देखा तो उसने बहुला गाय को छोड़ दिया। वादे के मुताबिक गाय ने अपना काम पूरा किया और शेर के सामने आ गई। भगवान कृष्ण बहुला की धर्मपरायणता और भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्होंने बहुला को आशीर्वाद दिया कि कलियुग में जो भी उसकी पूजा करेगा, उसकी संतान हमेशा खुश और स्वस्थ रहेगी।
गाय का दूध वर्जित, जौ से बने लड्डू और व्यंजनों का खास महत्व
रायपुर शहर के ब्राम्हण पारा निवासी जयश्री शुक्ला एवं उसके परिवार ने पूरे नियम के साथ बहुला चौथ का व्रत पूरा किया. जयश्री ने बताया की बहुला चतुर्थी के दिन गाय के दूध से बनी हुई कोई भी सामग्री नहीं खानी चाहिए. गाय के दूध पर उसके बछड़े का अधिकार समझना चाहिए, इस दिन दूध से बनी चीजों का सेवन करने पर पाप के भागी बनते हैं. दिन भर व्रत करके संध्या के समय गौ की पूजा की जाती है. इस दिन जौ से बने लड्डू और व्यंजनों का खास महत्व है ऋतू फलों के अलावा इस दिन पूजा में विशेष रूप से जौ के लड्डू चढ़ाये जाते हैं और उसी को फलाहार के रूप के खाया जाता है.