Bahula Chauth 2025 : पुत्र की लम्बी उम्र, स्वास्थ्य और उन्नति के लिए छत्तीसगढ़ की महतारियाँ कल करेंगी "बहुला चौथ" व्रत
Bahula Chauth : साल में मनाई जाने वाली प्रमुख चार चतुर्थियों में से एक है, जो हिंदू धर्म के हिसाब से बेहद खास होती है। इस दिन महिलाएं अपनी पुत्रों की रक्षा की कामना करती है।
Bahula Chauth 2025 : कल बहुला चतुर्थी है. यह व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाई जाती है. महामाया मंदिर के पुजारी एवं ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार इसे बहुला चौथ, बहुला चतुर्थी या गऊ चतुर्थी भी कहा जाता है। साल में मनाई जाने वाली प्रमुख चार चतुर्थियों में से एक है, जो हिंदू धर्म के हिसाब से बेहद खास होती है। इस दिन महिलाएं अपनी पुत्रों की रक्षा की कामना करती है।
अनेक धर्म ग्रंथों में इस व्रत का महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो भी महिला ये व्रत करती हैं, उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत में पहले श्रीगणेश की पूजा करने की परंपरा है। इसके बाद चंद्रमा उदय होने पर इसकी पूजा भी की जाती है। इस व्रत से जुड़ी एक रोचक कथा भी जो सभी को जरूर सुननी चाहिए।
व्रत का महत्व Bahula Chauth 2025
1. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत से पुण्य प्राप्त होता है, संतान सुख की प्राप्ति होती है पशुधन की भी रक्षा होती है।
2. गौ-सेवा — इस दिन गाय की विशेष पूजा होती है, क्योंकि गौ माता में सभी देवताओं का निवास स्थान माना गया है।
3. कृष्ण भक्ति — इस दिन श्रीकृष्ण जी का भी पूजन होता है, क्योंकि वे गोपाल और गोविंद के रूप में गौ रक्षा करते हैं।
बहुला चतुर्थी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है — Bahula Chauth 2025
- बहुला नाम की गाय बड़े प्रेम से अपने बछड़े के साथ जंगल में चरने जाती थी।
- एक दिन रास्ते में शेर ने उसे रोक लिया और खाने की इच्छा जताई।
- बहुला ने शेर से प्रार्थना की कि वह पहले अपने छोटे से बछड़े को दूध पिला आए और फिर लौटकर स्वयं आ जाएगी।
- शेर ने आश्चर्य से अनुमति दी, और बहुला सच्चे मन से बछड़े को दूध पिलाकर वापस आ गई।
- उसकी सत्यनिष्ठा और वचनपालन से शेर का हृदय पिघल गया, और उसने उसे छोड़ दिया।
- तभी से इस दिन को सत्य, वचनपालन, गौ-सेवा और अहिंसा का प्रतीक मानते हुए व्रत किया जाने लगा।
पूजन विधि Bahula Chauth 2025
1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. व्रत का संकल्प लें — “मैं बहुला चतुर्थी व्रत कर रही/रहा हूँ, संतान सुख व गौ-रक्षा के लिए।”
3. गौ माता की मूर्ति या वास्तविक गाय को स्नान कराकर हल्दी, कुंकुम, फूल, धूप-दीप से पूजा करें।
4. श्रीकृष्ण की भी पूजा करें, क्योंकि वे गौपालक हैं।
5. व्रत कथा का पाठ/श्रवण करें।
6. व्रत में अन्न नहीं खाया जाता — फलाहार लें या केवल जल ग्रहण करें।
7. शाम को या व्रत पूरा होने पर ब्राह्मण को भोजन कराएं और गौ को चारा खिलाएं।
विशेष नियम Bahula Chauth 2025
- इस दिन गाय-बछड़े को विशेष आहार (हरी घास, गुड़, आटा आदि) खिलाना शुभ है।
- हिंसा, झूठ और कटु वचन से बचना चाहिए।
- विवाहित स्त्रियाँ विशेष रूप से संतान और पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत करती हैं।
फल
- संतानहीन को संतान सुख मिलता है।
- गृह में सुख-शांति बनी रहती है।
- गौ-सेवा का पुण्य कई जन्मों तक रक्षा करता है।
- पाप नाश होता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।