Bartiya bhata Gaon Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ का एक प्राचीन रहस्यमयी गांव, जहां लोग बन गए पत्थर, जानिए बरतियाभाठा गांव का इतिहास
Bartiya bhata Gaon Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में बसा बरतियाभाठा गांव एक ऐसी जगह है, जो अपने प्राचीन मेगालिथिक स्मारकों और रहस्यमयी लोककथाओं के लिए जाना जाता है। यह छोटा सा ग्रामीण इलाका है जो महानदी के किनारे बसा है। बरतियाभाटा का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक किंवदंती उभरती है, जिसमें कहा जाता है कि यहां के लोग पत्थर बन गए थे। यह कहानी भले ही मिथक हो, लेकिन इसके पीछे छिपे प्राचीन मेगालिथिक पत्थर और उनकी ऐतिहासिकता इस गांव को पुरातत्व प्रेमियों के लिए एक आकर्षक स्थल बनाती है।
Bartiya bhata Gaon Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में बसा बरतियाभाठा गांव एक ऐसी जगह है, जो अपने प्राचीन मेगालिथिक स्मारकों और रहस्यमयी लोककथाओं के लिए जाना जाता है। यह छोटा सा ग्रामीण इलाका है जो महानदी के किनारे बसा है। बरतियाभाटा का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक किंवदंती उभरती है, जिसमें कहा जाता है कि यहां के लोग पत्थर बन गए थे। यह कहानी भले ही मिथक हो, लेकिन इसके पीछे छिपे प्राचीन मेगालिथिक पत्थर और उनकी ऐतिहासिकता इस गांव को पुरातत्व प्रेमियों के लिए एक आकर्षक स्थल बनाती है।
बरतियाभाठा गांव का आकर्षण
बरतिया भाठा का सबसे बड़ा आकर्षण इसके प्रागैतिहासिक मेगालिथिक स्मारक हैं, जो हजारों साल पुराने हैं। ये स्मारक, जिनमें खड़े पत्थर, कैप स्टोन और गोलाकार पत्थरों का समूह शामिल हैं। ये विशाल पत्थर, जो कई फीट ऊंचे हैं, प्राचीन मानव सभ्यता की कहानी बयां करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह सारे पत्थर पहले मनुष्य थे, जो इसकी बनावट और रहस्यमयी स्वरूप के लिए कहा जा सकता है। आज ही बहुत सारे पत्थर जमीन के नीचे दबे हुए हैं जिनके ऊपर ग्रामीणों ने घर बना दिए हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इन पत्थरों को यहां से कोई नहीं ले जाता अगर इन्हें कहीं और ले जाया जाए तो वहां किसी प्रकार की अनहोनी होने की संभावना रहती है।
प्रचलित लोककथा: पत्थर बने मनुष्य
बरतिया भाठा की सबसे चर्चित कहानी है कि इस इलाके में कई हजारों साल पहले काफी घना जंगल हुआ करता था और इस जंगल में प्रतिदिन एक ऋषि तपस्या करते थे। और इसी समय एक राजा की बारात इस इलाके से गुजरी। राजा के बरतिया ने इस स्थान पर विश्राम किया और अपनी कुलदेवी को एक बकरा बलि के रूप में चढ़ाया गया। इन सब को सुनकर महर्षि काफी क्रोधित हुए। वे पशु हिंसा का काफी विरोध करते थे। इसकी वजह से उन्होंने राजा और सभी बारातियों को श्राप दे दिया और पत्थर में तब्दील कर दिया। यहां के लोग आज भी इसकी पूरी कहानी बताने से डरते हैं। यह कथा न केवल गांव की रहस्यमयता को बढ़ाती है, बल्कि पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए भी उत्सुकता का विषय है।
कैसे पहुंचे बरतिया भाठा गांव
बरतिया भाठा गांव, महासमुंद जिले का एक छोटा सा गांव है, जो जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव महासमुंद तहसील के अंतर्गत आता है और छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा मानी जाने वाली महानदी के पास बसा है। यह क्षेत्र हरे-भरे खेतों और ग्रामीण परिवेश से घिरा हुआ है, जहां प्रकृति और इतिहास का अनोखा मेल देखने को मिलता है। गांव की सड़कें राष्ट्रीय राजमार्ग NH-53 से जुड़ी हैं, जिससे इसे रायपुर और अन्य प्रमुख शहरों से आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस गांव की कुल जनसंख्या 883 है।