Sawanahi Totka in Chhattisgarh : सावन में छत्तीसगढ़ की एक अनोखी परम्परा "सवनाही टोटका"... सांप-बिच्छू के साथ बचाती है काली-बुरी शक्तियों से

Sawanahi Totka : ग्रामीण अपने घरों के बाहर दीवारों में एक अनोखी तस्वीर बनाते हैं. इन लकीरों को लोग आषाढ़ महीने के खत्म होने के साथ ही सावन महीने के शुरुआत का प्रतीक मानते हैं.

Update: 2024-07-29 11:18 GMT
Sawanahi Totka in Chhattisgarh : सावन में छत्तीसगढ़ की एक अनोखी परम्परा "सवनाही टोटका"... सांप-बिच्छू के साथ बचाती है काली-बुरी शक्तियों से
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Sawanahi Totka in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के गांवों में फ़िलहाल सावन महीने में आप लोगों ने घर के बाहर  दीवारों पर अजीबो-गरीब आकृतियाँ देखी होगी.  सावन लगते ही गांव के ज्यादातर घरों की दीवारों पर गोबर से बनी विभिन्न आकृति देखने को मिल रही है। इसके अलावा घर की बाहरी दीवार पर गोबर से खिंची लकीरें दिखाई दे रही है। ग्रामीण इसे सवनाही टोटका बताते हैं।

ग्रामीण इसे वर्षों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा मानकर अब तक परंपरा निभा रहे हैं। इसके पीछे इनका उद्देश्य बाहरी दूषित (बुरी हवाओं) हवाओं से घर-परिवार का सुरक्षा देना है। सावन की शुरुआत से ही सवनाही टोटका गांव घरों में देखे जाते हैं।


सावन के शुरुआत से ही बन जाते हैं 


दरअसल ग्रामीण अपने घरों के बाहर दीवारों पर एक खास तरह का डिजाइन बनाते हैं. ये कोई आम तरह से डिजाइन नहीं होते. इसे खास तौर पर गोबर से बनाया जाता है जो लोगों की आस्था और पूर्वजों की परंपरा से जुड़ा हुआ है. इन खास तस्वीरों को शहरों से दूर ग्रामीण इलाके के घरों में आसानी से देखा जा सकता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तस्वीर को आषाढ़ महीने के खत्म होने के साथ ही सावन महीने के शुरुआत होते ही अपनो घरों के दीवारों पर लोग गोबर से बनाते है.



 कई मान्यता

ग्रामीणों कि मान्यता यह भी है कि सवनाही टोटका से सावन के महीने में बारिश के दौरान आकाशीय बिजली गिरने से घर सुरक्षित रहता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि गोबर की लकीर बनाने से सावन के महीने में घरों में कीड़े, सांप, बिच्छू नहीं आते. साथ ही इन लकीरों से घर शुद्ध होता है. अच्छा कृषि कार्य होने से आर्थिक रुप से किसान मजबूत होते है.


वैज्ञानिक युग में भी जारी है ग्रामीण मान्यता


ग्रामीण कहते हैं कि इससे कुछ हो या न हो, लेकिन अदृश्य बुरी शक्ति को दूर करने पूर्वजों द्वारा चलाई गई। इन परंपराओं का कुछ तो असर होता होगा। जिसका पालन करने से किसी को भी परहेज नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार इससे जादू-टोने का प्रभाव नहीं पड़ता। साथ ही घर-घर के लोग व गौवंश की बुरी शक्तियों से सुरक्षा होती है।


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