कर्मचारियों को पेंशनः पिंगुआ कमेटी की बैठक के बाद फेडरेशन के संयोजक बोले...सरकार बजट सत्र में पुरानी पेंशन योजना का ऐलान कर सकती है, 14 सूत्रीय मांगों पर बजट सत्र के बाद निर्णायक बैठक

Update: 2022-03-03 13:33 GMT
कर्मचारियों को पेंशनः पिंगुआ कमेटी की बैठक के बाद फेडरेशन के संयोजक बोले...सरकार बजट सत्र में पुरानी पेंशन योजना का ऐलान कर सकती है, 14 सूत्रीय मांगों पर बजट सत्र के बाद निर्णायक बैठक
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रायपुर, 3 मार्च 2022। वेतन विसंगति समेत 14 सूत्रीय मांगों को लेकर मंत्रालय में आज कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन की पिंगुआ कमेटी के साथ बैठक हुई। इस बैठक में प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ के साथ फेडरेशन के 39 संगठनों ने हिस्सा लिया।

बैठक खत्म होने के बाद फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा ने NPG से चर्चा करते हुए उम्मीद जताई कि सरकार बजट सत्र में पुरानी पेंशन योजना लागू करने का ऐलान कर सकती है।

14 सूत्रीय मांगों के सवाल पर उन्होंने कहा कि, आज की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि बजट सत्र के बाद एक अहम बैठक होगी। वर्मा ने इसे माना कि यह निर्णायक बैठक होगी।

उन्होंने कहा कि 14 बिन्दु में आंदोलन हुआ है, उसमें हमने वेतन विसंगति की मांग को सबसे उपर रखा है। 20 साल हो गया है, अलग अलग संवर्ग के वेतन विसंगति है, लिपिक संवर्ग हो, चाहे शिक्षा विभाग का, चाहे स्वास्थ्य विभाग...इसका निराकरण नहीं हो रहा है। इसमें एक फाइनल केलकुलेशन इसलिए नहीं हो पा रहा कि मंत्रालय में फाइलें इस विभाग से दूसरे विभाग घूम रही हैं। कोई आदमी इसको देखने वाला नहीं है।

वर्मा ने बताया कि हम लोगों ने पिंगुआ कमेटी के प्रमुख मनोज पिंगुआ से आग्रह किया है कि इस मामले में एक कमेटी बनाई जाए, जिसमें हमारे संगठन के पदाधिकारी और फायनेंस विभाग के अधिकारी रहेंगे।

शिक्षा विभाग का मामला है तो शिक्षा विभाग के डायरेक्टर, सचिव को रखा जा सकता है। पिंगुआ कमेटी के प्रमुख इस बात पर एकदम सहमत हो गए है कि बजट सत्र के बाद अलग अलग विभागों की जो समस्याएं को लेकर उन विभागों के डायरेक्टर, सिकरेट्री और फायनेंस अफसरों की बैठक की जाए।

इसके अलावा पेंशनर सेल है, उसकी धारा 49 है, उसको समाप्त करने के लिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में स्थाई बटवारा नहीं हुआ है। जैसे उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के बीच हुआ, झारखंड और बिहार के बीच हुआ। यहां के अधिकारियों ने चुकि दोनों जगह भाजपा की सरकारें थीं, इसलिए अधिकारियों ने बड़ी ही चतुराई से यहां के कर्मचारियों को फंसा दिया। चाहते तो इसका स्थाई समाधान वहां भी हो सकता था वो एक्ट पारित नहीं होता। आज की बैठक की खास बात यह भी रही कि पिगुआ कमेटी के प्रमुख मनोज पिंगुआ ने निर्णय लिया कि बंटवारे को समझने के लिए एक टीम उत्तराखंड भेजी जाएगी।

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