Chhattisgarh Election Results Live 2023: हिन्दुत्व की इंट्रीः रायपुर की चारों सीटें बीजेपी की झोली में, कवर्धा, साजा, पंडरिया भी कांग्रेस के हाथ से निकली, ये ऐसे ही संभव नहीं...
Chhattisgarh Election Results Live 2023: छत्तीसगढ़ में जिस तरह विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हैं, उसमें कांग्रेस के बैड गवर्नेंस के साथ ही भाजपा के हिन्दुत्व कार्ड की भी बड़ी भूमिका रही। यही वजह है कि प्रचार के दौरान पिछड़ रहे प्रत्याशियों ने अप्रत्याशित मार्जिन से जीत दर्ज की।
Chhattisgarh Election Results Live 2023: रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे। 2018 के विधानसभा चुनाव में 15 सीटों पर सिकुड़ जाने वाली बीजेपी इस चुनाव में धमाकेदार वापसी करते हुए 54 सीटें जीतने में कामयाब रही। कांग्रेस को 35 सीटें मिली हैं, उसमें बसपा का बड़ा योगदान है। कम-से-कम आधा दर्जन सीटों पर बसपा का परफारमेंस बड़ा पुअर रहा। पिछले कई चुनावों से दो-दो सीटें जितती आ रही बसपा का इस बार सूपड़ा साफ हो गया। मसलन, चंद्रपुर की बात करें तो कांग्रेस के रामकुमार यादव इसलिए अपनी सीट निकालने में सफल रहे क्योंकि बसपा प्रत्याशी ने वहां काम ही नहीं किया। इस चक्कर में बीजेपी की संयोगिता सिंह जूदेव अप्रत्याशित तौर से पराजित हो गईं।
बहरहाल, भाजपा ने इस बार बड़ी चतुराई से अपने पत्ते फेंटे। अमित शाह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा उसके बाद खेल का पासा पलट गया। उन्होंने टिकिट वितरण से लेकर कैम्पेनिंग तक ऐसी व्यूह रचना की...कांग्रेस उसे समझ नहीं सकी। बिरनपुर सांप्रदायिक हिंसा में मृत युवक के पिता को बीजेपी ने चुनाव में उतार दिया। यहीं नहीं, कवर्धा में हिन्दुत्व को लेकर मुखर रहने वाले युवा नेता विजय शर्मा को मोहम्मद अकबर के खिलाफ उतार दिया। साजा में अनजान सा किसान ईश्वर साहू ने रविंद्र चौबे जैसे कद्दावर मंत्र को परास्त कर दिया। वहीं विजय शर्मा ने मोहम्मद अकबर को हरा दिया। जबकि, बीजेपी के लोग भी स्वीकार नहीं कर रहे थे कि अकबर जैसे मंत्री चुनाव हार सकते हैं। कवर्धा और साजा का असर पंडरिया पर पड़ा। भावना बोथरा वहां अच्छी लीड से चुनाव निकालने में कामयाब रही।
रायपुर शहर की चारों और जिले की सातों सीटों पर बीजेपी ने परचम फहरा दिया, तो बिलासपुर जिले में पीछे चल रहे कई नेता भी जीत गए। वोटों का मार्जिन भी देखिए, बृजमोहन अग्रवाल की 67 हजार और ओपी चौधरी की 64 हजार। भाजपा के करीब 30 नेता 25 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है। ये जीत सिर्फ एंटीइंकांबेंसी और घोषणा पत्र के जरिये संभव नहीं थी। जाहिर है, प्रचार के दौरान बीजेपी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और असम के फायरब्रांड सीएम हेमंत विस्वासरमा की भी जमकर सभाएं कराई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इशारे- इशारे में बिरनपुर हिंसा बातें की और कहा कि भाजपा आएगी तो कार्रवाई की जाएगी। इसका फर्क पड़ा। कुल मिलाकर सूबे के सियासी पंडितों को भी यह मानने में कोई गुरेज नहीं कि बीजेपी की इस ऐतिहासिक जीत के पीछे मोदी, कमल के प्रति भरोसा बढ़ने के साथ ही हिन्दुत्व भी इश्यू रहा।
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रायपुर। राज्य बनने के बाद से अब तक विधानसभा के लिए 4 चुनाव हो चुके हैं। 2023 का चुनाव पांचवां है। भाजपा और कांग्रेस दोनों की राजनीति के हिसाब से इस बार का चुनाव कई मायनों में अलग रहा। इस चुनाव में भाजपा ने पहली बार हिंदुत्व के मुद्दे पर वोट के ध्रवीकरण की कोशिश की। इससे पहले राज्य में भाजपा की तरफ से धर्मांतरण का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जाता था, लेकिन 2023 के चुनाव में भाजपा ने पहली बार हिंदुत्व के मुद्दे को भी बेहद आक्रमक तरीके से उठज्ञया। हालांकि भाजपा का हिंदुत्व कार्ड वाला यह प्रयोग पहले चरण की कुछ सीटों विशेष रुप से दुर्ग संभाग की 8 सीटों तक ही सीमित रहा। भाजपा का यह प्रयोग कितना सफल रहा, यह 3 दिसंबर को ईवीएम खुलने के बाद ही पता चल पाएगा।
जानिए... छत्तीसगढ़ में हिंदुत्व के मुद्दें पर भाजपा ने कहां किया है ध्रुवीकरण का प्रयास Hindutva card
भाजपा ने छत्तीसगढ़ की 3 घटनाओं के आधार पर आधा दर्जन से ज्यादा सीटों को हिंदुत्व के मुद्दे पर प्रभावित करने का प्रयास किया। हिंदुत्व को लेकर भाजपा के फोकस में साजा, भिलाई नगर, कवर्धा और पंडरिया सीट थी। इन सीटों के साथ पार्टी ने पहले चरण की आधा दर्जन सीटों को प्रभावित करने का प्रयास किया है। इन सीटों पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ पार्टी के फायरब्रांड हिंदुत्ववादी नेता कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा की सभाएं कराई।
जानिए... किन मुद्दों के दम पर भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दे को दिया हवा
छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसी घटनाएं हुईं जिससे भाजपा को हिंदुत्वकार्ड चलने का मौका मिला। इसमें पहली घटना साजा विधानसभा क्षेत्र के बिरनपुर में भुवनेश्वर साहू की हत्या। कथिततौर पर साहू की हत्या लव जिहाद की वजह से हुई। दूसरी घटना चुनावी सरगर्मी शुरू होने के साथ ही भिलाई के खुर्सीपार में हुई। 5 आरोपियों ने सिख समाज के 32 वर्षीय युवक मलकीत सिंह की केवल इसलिए हत्या कर दी क्योंकि मलकीत हिंदुस्तान जिंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहा था। मलिकत हिंदी फिल्म गदर-2 देखकर आया था। इन दोनों घटनाओं के बाद भाजपा के नेता मृतक के परिजनों के घर भी गए। तीसरी घटना कवर्धा में 2021 में हुई थी। वहां चौक पर झंडा लगाने को लेकर दो समुदायों के बीच विवाद हो गया। यह विवाद कई दिनों तक चला। पुलिस को कर्फ्यू और धारा 144 भी लगाना पड़ा।
प्रत्याशी चयन के साथ ही भाजपा ने शुरू कर दिया था प्रयोग
भाजपा ने वोटों के ध्रुवीकरण की चाल प्रत्याशी चयन के साथ चल दिया था। भाजपा ने साजा सीट से ईश्वर साहू को चुनाव मैदान में उतारा। ईश्वर साहू कथित लव जिहाद के चक्कर में मारे गए भुवनेश्वर साहू के पिता हैं। ईश्वर को टिकट देकर भाजपा ने ध्रवीकरण के साथ ही सहानुभूति वोट भी हासिल करने का प्रयास किया।साजा सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है। वहां से रविंद्र चौबे विधायक हैं और राज्य सरकार में मंत्री है। कांग्रेस से इस बार चौबे ही मैदान में हैं। इसी तरह कवर्धा सीट से कांग्रेस विधायक और राज्य सरकार में मंत्री मोहम्मद अकबर के खिलाफ भाजपा ने विजय शर्मा को टिकट दिया। भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके शर्मा 2021 में कवर्धा में हुई घटना के मुख्य आरोपियों में शामिल है।
शाह का वो बयान, जिसने चुनावी रण में हिंदुत्व को दी हवा
16 अक्टूबर को राजनांदगांव में पूर्व सीएम और राजनांदगांव से भाजपा प्रत्याशी डॉ. रमन सिंह की नामांकन रैली को केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने संबोधित किया था। इसी रैली में शाह ने बिरनपुर की घटना (ईश्वर साहू की हत्या) का उल्लेख करते हुए इसे राज्य सरकार की तष्टिकरण की नीति करार दिया। कहा कि राज्य सरकार ने तुष्टीकरण और वोट बैंक के लिए छत्तीसगढ़ के बेटे ईश्वर साहू की लिंचिंग कराकर मार दिया। प्रदेश की धरती पर खड़े होकर किसी राष्ट्रीय नेता का यह इस तरह का पहला बयान था। शाह के इस बयान को कांग्रेस ने हेट स्पीच बताते हुए चुनाव आयोग से शिकायत भी की है।
जानिए..हिंदुत्वकार्ड का चुनाव पर कितना पड़ा असर Hindutva card in CG
भाजपा का छत्तीसगढ़ में यह पहला प्रयोग कितना सफल रहा यह तो 3 दिसंबर को ईवीएम खुलेन और मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान इसका असर हुआ है। राजनीतिक विश्लेषक और स्थानीय लोगों के अनुसार साजा और कवर्धा सीट पर भाजपा के इस प्रयोग का प्रभाव चुनाव प्रचार के दौरान साफ दिखा। दोनों सीट इस वक्त कांग्रेस के पास है। वहां के मौजूदा विधायक और कांग्रेस के प्रत्याशी दोनों बड़े कद वाले मंत्री हैं। इसके बावजूद दोनों सीटों बचाने को लेकर कोई स्पष्ट राय नहीं दे पा रहा है। भाजपा के इस प्रयोग का असर चुनाव प्रचार के दौरान पंडरिया, डोंगरगढ़, भिलाई नगर सहित आसपास की कुछ और सीटों पर महसूस किया गया है।