Chhattisgarh Assembly Election 2023 एक सीट चार दर्जन प्रत्याशी : चुनाव की यह रणनीति आपको चौंकाएगी, कहीं गुदगुदाएगी, जानें कैसे साधते हैं समीकरण

Update: 2023-03-31 10:44 GMT

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Chhattisgarh Assembly Election 2023

रायपुर. आपने पार्षद और पंच से लेकर सांसद-विधायकों के चुनाव देखे होंगे. मतदान किया होगा, लेकिन क्या आपने इस बात पर गौर किया कि एक ही समाज से कई प्रत्याशी क्यों हैं? प्रमुख राष्ट्रीय दल को छोड़कर कहीं दो-चार तो कहीं दो-चार दर्जन उम्मीदवार खड़े हैं. पहले आपको बताते हैं कि हम बताना क्या चाह रहे हैं. विधानसभा चुनाव 2018 में रायपुर दक्षिण विधानसभा में सर्वाधिक 47 उम्मीदवार थे. इनमें से 23 मुस्लिम थे. जशपुर में कुल 12 प्रत्याशी थे, लेकिन इनमें से 6 भगत थे. कुरूद में तीन चंद्राकर और 6 साहू उम्मीदवार थे. धमतरी में 6 साहू उम्मीदवार थे.

ये सारे आंकड़े पढ़कर आप कह रहे होंगे कि यह तो अच्छी बात है. लोकतंत्र में हिस्सेदारी बढ़नी चाहिए. ज्यादा से ज्यादा लोगों को हिस्सा लेना चाहिए. यह कहना सही है कि राजनीति में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी होनी चाहिए और हर वर्ग को हिस्सा लेना चाहिए. लेकिन क्या जमानत जब्त होने की स्थिति हो, तब भी कोई चुनाव मैदान में उतरता है? इन लोगों को चुनाव का खर्च कहां से मिलता होगा? अब यदि हम यह कहें कि यह हिस्सेदारी नहीं, बल्कि वोट काटने की रणनीति है. अपने प्रतिद्वंद्वी के सामने मुश्किलें खड़ी करने के लिए ऐसे प्रत्याशियों को उतारा जाता है, जिससे वोट बंट जाए और उसका लाभ मिले. कई उम्मीदवार तो ऐसे होते हैं, जो ऐन चुनाव के दौरान अचानक प्रचार ही बंद कर देते हैं तो कई किसी को खुलकर समर्थन का ऐलान कर देते हैं. 2018 के चुनाव परिणाम के आधार पर ऐसे विधानसभा क्षेत्रों की जानकारी जुटाई, जहां ज्यादा उम्मीदवार थे. पहले उन सीटों और उम्मीदवारों की संख्या देख लीजिए...

विधानसभा – उम्मीदवार

भटगांव – 21

अंबिकापुर – 23

कोरबा – 21

तखतपुर – 25

बिल्हा – 30

बिलासपुर – 29

खल्लारी – 21

कसडोल – 30

रायपुर ग्रामीण – 23

रायपुर पश्चिम – 38

रायपुर दक्षिण – 47

दुर्ग शहर – 22

कवर्धा – 22

राजनांदगांव – 31

जगदलपुर – 22.

अब टॉप-3 विधानसभा सीटों रायपुर दक्षिण, रायपुर पश्चिम और राजनांदगांव की तत्कालीन परिस्थितियों के बारे में जान लेते हैं. रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट हर चुनाव में काफी चर्चित सीट होती है, क्योंकि यहां से भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल प्रत्याशी होते हैं. हर चुनाव में उनकी लीड बढ़ने का ट्रेंड था, लेकिन 2018 में उनकी लीड घट गई. यह माना जाता है कि मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस के पास होता है. यानी जितनी संख्या में मुस्लिम होंगे, कांग्रेस के उतने वोट कम हो जाएंगे.

रायपुर पश्चिम में मंत्री राजेश मूणत और विकास उपाध्याय दूसरी बार आमने-सामने थे. इससे पहले 2013 में मूणत कांटे की टक्कर में बड़ी मुश्किल से जीत पाए थे. 2018 में विकास की जीत हुई थी और मूणत 12 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए थे. रायपुर पश्चिम में साहू वोटर्स की अच्छी संख्या है. यहां से 8 साहू प्रत्याशी खड़े हुए थे. साहू समाज के वोट भाजपा के माने जाते हैं.

अब बात राजनांदगांव की. राजनांदगांव सबसे महत्वपूर्ण सीट थी, क्योंकि यहां 15 साल के सीएम डॉ. रमन सिंह के विरुद्ध इस बार पूर्व पीएम भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला चुनाव मैदान में थीं. करुणा शुक्ला ने कांग्रेस जॉइन कर लिया था. कांग्रेस का इस सीट पर खासतौर पर फोकस था. यहां कांटे की टक्कर थी. डॉ. रमन 17 हजार वोटों से जीते थे. यहां एक-एक वोट के लिए दोनों दलों में जबर्दस्त टक्कर थी.

पॉलिटिकल साइंस के प्रो. डॉ. अजय चंद्राकर के मुताबिक ज्यादा उम्मीदवार रणनीति का हिस्सा होता है. प्रतिद्वंद्वियों के वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए एक ही समाज या क्षेत्र से कई लोगों को खड़ा कर दिया जाता है, जिससे क्षेत्र या जाति विशेष का वोट बंट जाए और किसी एक पक्ष में न जाए. यह रणनीति सभी प्रत्याशी अपनाते हैं. इसे इस तरह से भी समझ सकते हैं कि जो वोट आपको न मिलें, उसे बांट दें. अमूमन ऐसे प्रत्याशियों के चुनाव का खर्च भी सक्षम उम्मीदवार ही उठाते हैं.

कुछ प्रमुख सीटों पर खास उम्मीदवार

भटगांव में कांग्रेस के उम्मीदवार पारसनाथ राजवाड़े थे. यहां से तीन राजवाड़े उम्मीदवार थे. बाकी दो निर्दलीय थे. कांग्रेस के पारसनाथ जीते थे.

कसडोल में कांग्रेस की शकुंतला साहू उम्मीदवार थीं. यहां शकुंतला सहित 7 साहू उम्मीदवार थे. शकुंतला रिकॉर्ड वोटों से जीती थीं.

रायपुर पश्चिम में 8 साहू उम्मीदवार थे. यहां कांग्रेस से विकास उपाध्याय और भाजपा से राजेश मूणत उम्मीदवार थे.

जशपुर में कांग्रेस से विनय कुमार भगत और भाजपा से गोविंद राम भगत उम्मीदवार थे. कुल 12 उम्मीदवारों में से 6 भगत थे. कांग्रेस के विनय भगत की जीत हुई थी.

धरमजयगढ़ में कांग्रेस से लालजीत सिंह राठिया और भाजपा से लीनव राठिया उम्मीदवार थीं. इनके अलावा दो और राठिया उम्मीदवार थे. कांग्रेस की जीत हुई थी.

धमतरी में भाजपा की रंजना साहू और कांग्रेस से गुरुमुख सिंह होरा उम्मीदवार थे. यहां से कुल 6 साहू उम्मीदवार थे. रंजना की मात्र 464 वोटों जीत पाई थीं.

खैरागढ़ में भाजपा के कोमल जंघेल और कांग्रेस के गिरवर जंघेल के अलावा तीन और जंघेल उम्मीदवार थे. यहां जोगी कांग्रेस के देवव्रत सिंह की जीत हुई थी.

Chhattisgarh Aseembly Election 2018 Flashback

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