CG आरक्षण पर समाज में दो फाड़: सर्व आदिवासी समाज का एक धड़ा राज्यपाल के पक्ष में, दूसरे ने 27 को राजभवन घेराव का ऐलान किया

Update: 2022-12-24 13:51 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर बनी असमंजस की स्थिति को लेकर अब आदिवासी समाज में दो फाड़ की स्थिति बन गई है। समाज का एक धड़ा राज्यपाल के पक्ष में है। सर्व आदिवासी समाज के इस धड़े ने राज्य सरकार से आदिवासी आरक्षण के संबंध में नए सिरे से अध्यादेश या विधेयक लाने की मांग की है, जबकि दूसरे धड़े ने 27 दिसंबर को राजभवन घेराव का ऐलान किया है। दोनों ने ही धड़ों ने एक-दूसरे को गलत ठहराया है।

आरक्षण के संबंध में हाईकोर्ट के फैसले के बाद फिलहाल राज्य में आरक्षण का नया रोस्टर लागू नहीं है। सामान्य प्रशासन विभाग ने भी सूचना का अधिकार के तहत दिए गए एक जवाब में इसे स्वीकार किया है। अब आदिवासी सहित अन्य समाज के लोगों की नजर राज्यपाल की ओर है। राज्यपाल अनुसुइया उइके जब संशोधन विधेयक में दस्तखत करेंगी तो आरक्षण लागू हो पाएगा। फिलहाल राज्यपाल ने राज्य सरकार से दस बिंदुओं पर जवाब मांगा है।


छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज, जिसके अध्यक्ष सोहन पोटाई और कार्यकारी अध्यक्ष बीएस रावटे हैं, की ओर से एक विज्ञप्ति जारी कर राज्य सरकार से आदिवासी समाज को 32 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए अलग से अध्यादेश या विधेयक लाने की मांग रखी है। समाज के कार्यकारी अध्यक्ष बीएस रावटे का कहना है कि राज्य सरकार आदिवासी समाज को दुर्भावनावश गुमराह करने और लड़ाने की कोशिश कर रही है। आदिवासियों के संरक्षक राजभवन के विरुद्ध स्तरहीन और अवैधानिक टिप्पणियां कर रहे हैं।

इधर, छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के युवा प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष कुंदन सिंह ठाकुर के नाम से एक पत्र जारी हुआ है। इस पत्र में 27 दिसंबर को राजभवन के घेराव का आह्वान किया गया है। पत्र में लिखा है, "जैसा कि हम सब आदिवासी समाज जानते हैं कि महामहिम रजायपाल ने आश्वस्त किया था कि 32 प्रतिशत आरक्षण विधेयक जैसे ही विधानसभा में पास होगा, वैसे ही वे तुरंत हस्ताक्षर कर देंगी। आज 22 दिन बाद भी राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किया है। इससे समाज आहत और उद्वेलित है। आदिवासी समाज इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। राज्यपाल के हस्ताक्षर की मांग को लेकर 27 दिसंबर को सुबह 11 बजे से राजभवन घेराव का कार्यक्रम आयोजित है।"


NPG.News से बातचीत में कुंदन सिंह ठाकुर ने इस बात की पुष्टि की है। वहीं, सर्व आदिवासी समाज (सोहन पोटाई-बीएस रावटे) को ठाकुर ने फर्जी बताया है। ठाकुर ने पूछा, पंजीयन क्रमांक लिखा है क्या?

जब बीएस रावटे से इस विषय पर बातचीत की गई तो उनका कहना था कि यह राज्य सरकार की मदद से चलने वाला संगठन है। सर्व आदिवासी समाज की ओर से बैठकें की जा रही हैं। राज्य सरकार यदि मांगों पर जल्द फैसला नहीं लेती तो आने वाले समय में छत्तीसगढ़ बंद किया जाएगा। आरक्षण की लड़ाई जारी रहेगी।

10 बिंदुओं का जवाब राज्य सरकार देगी

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार की ओर से दस बिंदुओं पर जवाब आएगा तो वे उससे सहमत होने के बाद दस्तखत कर देंगी। वे चाहती हैं कि जो भी विधेयक पारित हो, उसमें फिर अदालत में चुनौती न दी जा सके। इस पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्यपाल यदि अड़ी रहेंगी तो वे विभागों की ओर से जानकारी भेजने के लिए तैयार हैं। वे चाहते हैं कि राज्य के युवाओं का कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। हालांकि संवैधानिक प्रक्रिया के जानकार छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव देवेंद्र वर्मा का कहना है कि विधानसभा से विधेयक पारित होने के बाद विधानसभा और राजभवन के बीच का विषय होता है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।


इससे पहले अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम के नेतृत्व में आदिवासी विधायकों ने राज्यपाल उइके से मुलाकात की थी और आरक्षण के संबंध में लंबित विधेयक पर दस्तखत करने की मांग की थी।

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