CG Assembly Protem Speaker: जानिए...क्या होता है प्रोटेम स्पीकर, छत्तीसगढ़ में अब तक कौन-कौन रह चुके हैं प्रोटेम स्पीकर, क्या करते हैं प्रोटेम स्पीकर
CG Assembly Protem Speaker: छत्तीसगढ़ राज्य बने करीब 23 साल हो गए हैं। इस दौरान भाजपा लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीती और 15 वर्ष तक सरकार में रही, लेकिन प्रदेश में अब तक भाजपा का कोई भी विधायक प्रोटेम स्पीकर नहीं बन पाया है।
CG Assembly Protem Speaker: रायपुर। छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन और विधानसभा के पहले सत्र की चर्चा के बीच एक एक सवाल बार-बार उठ रहा है कि प्रदेश का अगला प्रोटेम स्पीकर कौन होगा। प्रदेश की नई विधानसभा के पहले दिन की कार्यवाही का संचालन कौन करेगा। प्रोटेम स्पीकर के तौर पर पहले बृजमोहन अग्रवाल का नाम सामने आया था। मीडिया से चर्चा करते हुए पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने अग्रवाल को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने की बात कही थी, लेकिन अब एक दूसरा नाम चर्चा में आ गया है। बताया जा रहा है कि अग्रवाल ने प्रोटेम स्पीकर बनने से मना कर दिया है ऐसे में वरिष्ठ आदिवासी विधायक राम विचार नेताम को प्रोटेम स्पीकर बनाया जा सकता है। नेताम रामानुजगंज सीट से चुनाव जीतकर आए हैं। वे पूर्व सीएम डॉ. रमन की कैबिनेट में रह चुके हैं।
सवाल उठ रहा है कि प्रोटेम स्पीकर कौन सा पद है। प्रोटेम स्पीकार का काम क्या है और वह विधानसभा अध्यक्ष से कैसे अलग होता है। विधानसभा के अफसरों के जरिये एनपीजी न्यूज ने इन सवालों का जवाब खोला है। प्रोटेम स्पीकर के संबंध में यहां सिलसिलेवार पूरी जानकारी दे रहे हैं।
जानिए...छत्तीसगढ़ में अब तक कौन-कौन बन चुके हैं प्रोटेम स्पीकर
छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण 2000 में हुआ था। तब से अब तक विधानसभा के पांच चुनाव हो चुके हैं, लेकिन 2000 में राज्य विभाजन के बाद नई विधानसभा का गठन हुआ था। इस लिहाज से 2023 में चुनाव जीतकर आए विधायक छत्तीसगढ़ की छठवीं विधानसभा के सदस्य कह लाएंगे और इस बार प्रोटेम स्पीकर बनेगा वह राज्य का छठवां प्रोटेम स्पीकर होगा। यानी इससे पहले पांच प्रोटेम स्पीकर बन चुके हैं।
वर्ष 2000 में राज्य विभाज के बाद बनी पहली विधानसभा में कांग्रेस के महेंद्र बहादुर सिंह प्रोटेम स्पीकर थे। 2003 में जब भाजपा की पहली सरकार बनी तब कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद शुक्ल को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। शुक्ल राज्य विधानसभा के पहले अध्यक्ष भी थे। 2008 में जब भाजपा फिर से सत्ता में लौटी तो फिर एक बार कांग्रेस के ही नेता को प्रोटेम स्पीकर बनने का मौका मिला। 2008 में बोधराम कंवर को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। 2013 में भाजपा के तीसरे कार्यकाल में सत्यनारायण शर्मा को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। शर्मा भी कांग्रेस के ही विधायक थे। 2018 में कांग्रेस की सत्ता में लौटी तब रामपुकार सिंह को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। सिंह भी कांग्रेस के ही विधायक थे।
छत्तीसगढ़ में अब तक के प्रोटेम स्पीकर
प्रथम विधानसभा (2000-2003) – महेंद्र बहादुर सिंह
द्वितीय विधान सभा (2003-2008)– राजेंद्र प्रसाद शुक्ल
तृतीय विधान सभा (2008-2013) – बोधराम कंवर
चतुर्थ विधान सभा (2013-2018)– सत्य नारायण शर्मा
पंचम विधान सभा (2018-2023) – रामपुकर सिंह
जनिए...किसे बनाया जाता है प्रोटेम स्पीकार और अब तक कोई भाजपाई क्यों नहीं बना
लोकसभा से लेकर देश के सभी राज्यों की विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर बनाए जाते हैं। अब तक की परंपरा यही रही है कि चुनाव जीतकर आए सबसे वरिष्ठ विधायक को ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। वरिष्ठता की गणना आयु से नहीं की जाती है बल्कि संसदीय अनुभव से किया जाता है। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो यह स्वभाविक है कि जो सबसे ज्यादा बार चुनाव जीता होगा वह आयु में भी सबसे बड़ा ही होगा।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले प्रोटेम स्पीकार महेंद्र बहादुर सिंह बसना सीट से चुनाव लड़ते थे। 1962 में वे पहली बार विधायक बने थे। 2000 में जब वे प्रोटेम स्पीकर बनाए गए तब वे 1998 में छठवीं बार चुनाव जीतकर आए थे। 2003 में प्रोटेम स्पीकर बनाए गए राजेंद्र प्रसाद शुक्ल 1967 में पहली बार विधायक चुने गए थे। 2003 में वे सातवीं बार विधायक बने थे। 2008 में प्रोटेम स्पीकर बना गए बोधराम कंवर सातवीं बार विधायक चुने गए थे। 1972 में वे पहली बार विधायक बने थे। 2013 में छठवीं बार विधायक चुने गए सत्यनारयण शर्मा को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। शर्मा ने 1985 में पहली बार विधायक का चुनाव जीता था। 2018 में कांग्रेस को बहुमत मिला तब रामपुकार सिंह को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। सिंह 2018 में आठवीं बार विधायक चुने गए थे। प्रोटेम स्पीकार बना गए ये सभी विधायक उस वक्त के सबसे वरिष्ठ विधायक थे।
जानिए... इस बार चुनाव जीतने वालों में कौन-कौन हैं वरिष्ठ
बृजमोहन अग्रवाल 1990 में पहली बार विधायक चुने गए। 2023 में वे लगातार आठवीं बार विधायक चुने गए हैं।
डॉ. रमन सिंह 1990 में पहली बार विधायक चुने गए थे। इस बार वे सातवीं बार विधायक चुने गए हैं। एक बार सांसद भी रहे हैं।
राम विचार नेताम 1990 में पहली बार विधायक चुने गए थे। वे छठवीं बार के विधायक हैं। राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं।
कवासी लखमा 1998 में पहली बार विधायक चुने गए थे। वे लगातार छठवीं बार विधायक चुने गए हैं।
भूपेश बघेल 1993 में पहली बार विधायक बने गए। बघेल इस बार छठवीं बार विधायक बने हैं।
डॉ. चरणदास मंहत 1980 में पहली बार विधायक चुने गए थे। वे 2023 में पांचवीं बार विधानसभा का चुनाव जीते हैं। तीन बार सांसद रह चुके हैं।
अजय चंद्राकर 1998 में पहली बार विधायक बने। इस बार वे पांवचीं बार राज्य विधानसभा के सदस्य बने हैं।
धमरलाल कौशिक 1998 में पहली बार विधायक चुने गए। 2023 में वे चौथी बार विधायक चुने गए हैं।
जानिए... कैसे होती है प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति
संसदीय कामकाज के जानकारों के अनुसार प्रोटेम स्पीकार का चुनाव मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल की सलाह पर राज्यपाल करते हैं। प्रोटेम स्पीकार को राजभवन में ही शपथ दिलाया जाता है।
जानिए...क्या है प्रोटेम स्पीकार का काम
प्रोटेम स्पीकार नई विधानसभा के पहले दिन की कार्यवाही का संचालन करता है। नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा की सदस्यता की शपथ प्रोटेम स्पीकार ही दिलाता है। सदस्यों के शपथ के बाद विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होता है। स्पीकर के पदभार ग्रहण करने के साथ ही प्रोटेम स्पीकार का काम और कार्यकाल स्वत: समाप्त हो जाता है।