Kishor Kumar Birth Anniversary: मस्तमौला किशोर कुमार पूरा पैसा न मिलने पर यूं खींचते थे निर्माताओं की टांग, उनके जन्मदिन पर पढ़िए मजेदार किस्से...
Kishor Kumar Birth Anniversary: गायक-अभिनेता किशोर कुमार साहब का अंदाज़ था मस्तमौला। पल में यहां, पल में वहां। कभी लेटकर गाने की ज़िद तो कभी गुलाटी मारकर सेट से निकलना। किस्से सुना-सुनाकर लता मंगेशकर जी तक को इतना हंसाना कि वे और उनका गला गाना गाने से पहले ही थक जाए।
Kishor Kumar Birth Anniversary: मुंबई। गायक-अभिनेता किशोर कुमार साहब का अंदाज़ था मस्तमौला। पल में यहां, पल में वहां। कभी लेटकर गाने की ज़िद तो कभी गुलाटी मारकर सेट से निकलना। किस्से सुना-सुनाकर लता मंगेशकर जी तक को इतना हंसाना कि वे और उनका गला गाना गाने से पहले ही थक जाए। और तो और अपने घर के गेट पर तख्ती टांगना कि 'किशोर से सावधान'.... ऐसा कलाकार और इंसान तो न पहले पैदा हुआ न ही शायद कभी होगा। 4 अगस्त को किशोर कुमार की बर्थ एनिवर्सरी है। उनके किस्से तो इतने मनोरंजक हैं कि लिखने लगो तो बकायदा सीरीज़ चलानी पड़े, पर हम यहां एक खास किस्म के किस्सों को उठा रहे हैं और वो हैं अपने पैसों की वसूली के लिए उनके अजब-गजब कारनामे और खुद कैंटीन वाले को बकाया के ' पांच रूपैया बारह आना' कभी न चुकाना... यह सब पढ़कर ये न सोचियेगा कि किशोर दा लोभी थे। वे एक बात पे अडिग थे कि कलाकार को उसकी कला के प्रदर्शन का तय पैसा पूरा मिलना चाहिए और यह भी कि उन्हें ये सब करके परम आनंद आता था। बाकी सच तो ये भी था कि उन्होंने अपने अज़ीज़ राजेश खन्ना के लिए गाना एक रुपया लेकर गाया और लता जी के साथ गाने पर उनकी तुलना में हमेशा एक रुपया कम ही लिया। तो कहने के मानी ये कि वे अपनी बात के पक्के थे। लीजिए बातों के चक्कर में किस्से न रह जाएं तो चलिए सुनाते हैं आपको निर्माताओं की टांग खिंचाई के चंद मजेदार किस्से।
'ए तलवार, दे दे मेरे आठ हजार'
एक निर्माता थे आर सी तलवार, उन्होंने किशोर कुमार को अपनी फिल्म के लिए साइन किया। पर उनसे एक खता हो गई कि वे तय समय पर किशोर दा को उनकी फीस में से आठ हज़ार रुपये कम दे पाए। हालांकि उन्होंने वादा किया था कि वे जल्द ही उनके पैसे दे देंगे लेकिन उन्हें थोड़ा समय लग रहा था। पर किशोर दा तो किशोर दा थे। उनके दिमाग में खिचड़ी पकी और वे रोज सुबह नियम से निर्माता के घर के सामने जा कर खड़े होने लगे। साथ ही ज़ोर से चिल्लाते ' ए तलवार दे दे मेरे आठ हज़ार '। ये सिलसिला कई दिन तक चला जब तक निर्माता ने उनके बाकी के पैसे नहीं चुका दिए।
5 हजार रुपये के लिए गुलाटी मारकर निकले सैट से
अशोक कुमार बचपन से ही बड़े केयरिंग भाई थे। किशोर कुमार के लिए पहला हारमोनियम लाने से लेकर उन्हें फिल्मों में काम और गाने दिलाने के लिए भी उन्होंने बड़े प्रयास किए। ऐसे ही एक बार एक फिल्म 'भाई-भाई' में उन्होंने किशोर कुमार को काम दिलवाया। किशोर कुमार को काम तो करना था पर मन में एक धुन भी थी शूटिंग शुरू होने से पहले अपने फीस में से बकाया के पांच हजार वसूलना है। तो हुआ ये कि जैसे ही फिल्म के एक सीन के लिए निर्देशक ने एक्शन बोला, किशोर कुमार दो कदम चले और फिर ' पांच हज़ार' चिल्ला कर गुलाटी खाते हुए सैट से बाहर निकल गए। आगे के दिनों में भी जब-जब उन्हें सैट पर पकड़ कर लाया गया उन्होंने बड़े बड़े कांड किए, जब तक उन्हें उनके पांच हज़ार रुपये नहीं मिल गए।
चाय पी?
गाने की फीस पूरी मिले, इसपर किशोर दा एकदम पक्की नज़र रखते थे। इसके लिए उन्होंने एक तरीका भी इज़ाद किया था।रिकॉर्डिंग के दौरान तक वे अपने साथी से पूछते ' क्यों भाई, चाय पी या नहीं'। असल में इसका अर्थ होता था कि 'अब तक पेमेंट हुई या नहीं? '
ऐसे में अगर पेमेंट हो गई होती तो उनके साथी का जवाब होता 'चाय पी ली, अच्छी गर्म थी', तब तो फिर किशोर दा ऐसे बह कर गाना गाते कि माहौल ही बन जाता।... और कहीं साथी की तरफ से जवाब आता... ' अभी तक पी नहीं ... चाय बस आ रही है' तो फिर क्या, देखते ही देखते किशोर सुर बिगाड़ देते।
पांच रुपैया- बारह आना
किशोर कुमार का ये फेमस गाना, केवल गाना नहीं था, एक कहानी थी, असली कहानी। दरअसल किशोर कुमार ने अपनी काॅलेज की पढ़ाई इंदौर के क्रिश्चियन काॅलेज से की थी। वहां की कैंटीन ' काका की कैंटीन' के नाम से जानी जाती थी। तो बात कुछ यूं थी कि उस दौरान किशोर कुमार की जेब रहती थी तंग और जीभ पर चढ़ा था काका की कैंटीन के पोहा-जलेबी का रंग। अब ऐसे में किशोर दा काका से उधारी पर पोहा-जलेबी खाते गए और हिसाब लिखवाते गए। उनका हिसाब धीरे-धीरे पहुंच गया' पांच रुपैया बारह आना' तक... उस दौरान जब भी काका पैसे का तकादा करते, मज़े-मज़े में किशोर गाते 'पांच रुपैया बारह आना...मारेगा काका... ना, ना, ना, ना। आगे जाकर उन्होंने इसै पूरे गाने के तौर पर फिल्म में इस्तेमाल किया। जीवन में खूब पैसा भी कमाया पर पांच रुपैया बारह आना कभी नहीं चुकाया...।
सहगल के गाने का पांच आना फिक्स...
अशोक कुमार को अपने भाई के सुरों पर बड़ा नाज़ था। वे जब-तब माहौल बनने पर उनसे गाना सुनाने की फरमाइश भी कर दिया करते थे। तो ऐसे ही एक बार किशोर हारमोनियम पर सुर छेड़ रहे थे। वे कुंदन लाल सहगल के मुरीद थे और उन्हीं के गाने गुनगुनाया करते थे। ऐसे में एक दिन बड़े भैया ने सहगल साहब का गाना सुनाने की फरमाइश कर दी। किशोर कुमार ने भी साफ बात की। गाना तो सुनाऊंगा लेकिन पांच आना देना होगा... और आखिर उन्होंने पांच आना लेकर ही गाना गाया।
सीने पर बांध कर ले जाऊंगा पैसा
हमारे देश में हमेशा पैसा पकड़ कर रखने वालों को सुनाया जाता है कि " पैसा क्या कब्र में साथ ले कर जाओगे? ' तो इसका भी किशोर दा मजे से जवाब देते थे..." बिल्कुल! सीने पर बांध कर ले जाऊंगा अपना पूरा पैसा और किसी ने चुराने की कोशिश की तो उठ कर उसे झापड़ भी मारूंगा। "... अब किशोर दा नहीं हैं पर उनकी यादें उतनी ही ज़िंदा हैं।