स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही व कारगुजारी भारी पड़ गया स्कूलों को, विभाग को मजाक बना दिया, संजय शर्मा ने की ये मांग...
रायपुर। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि प्रदेश शिक्षा प्रशासन में तालमेल की कमी व अदूरदर्शिता के कारण करोड़ो रूपये पानी मे बह गया। हर हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल के हजारो रुपये प्रश्नपत्र प्रिंट कराने में लग गए, विभाग ने अब प्रश्न ही रद्द कर दी।
जाहिर है सोमवार 26 सितम्बर से परीक्षा था, पूर्व दिवस अवकाश होने के कारण सभी हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल बोर्ड प्रदत्त प्रश्नपत्र प्रिंट करा चुके है, जिससे स्कूलों का हजारो रुपये परीक्षा के प्रश्नपत्र रदद् करने से बर्बाद हुआ है। प्रत्येक स्कूल को 200 रुपये प्रति छात्र की संख्या में शिक्षा विभाग अनुदान देवे। जिससे आगे स्कूल परीक्षा का सही संचालन हो सके।
शिक्षा प्रशासन में शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ मा शि मंडल, एससीईआरटी, समग्र शिक्षा में तालमेल की कमी के कारण ही 1 ली से 12 वी तक के तिमाही परीक्षा में लापरवाही व अदूरदर्शिता परिलक्षित हुआ है, तालमेल बनाकर विभाग को अपने कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए।
9 वी से 12 वी के प्रश्नपत्र रदद् किये जा चुके है, 1 ली से 8 वी तक के प्रश्न भी बिखरे पड़े है, ये सब परीक्षा है कि मजाक?? 10 वी 12 वी की वार्षिक बोर्ड परीक्षा के केंद्रीयकृत व एकीकृत प्रश्नपत्र को पुलिस सुरक्षा में रहते हुए भी यदाकदा सार्वजनिक होने की खबरे मिलती है, ऐसे में पूरे शिक्षा प्रशासन ने सोशल मीडिया में प्रश्नपत्र आबंटित किया, संदेह सच हुआ प्रश्न पत्र आज हर हाथ मे है, जो प्रश्नपत्र की सुरक्षा नही कर सकते उन्हें पूरे प्रदेश के लिए एकीकृत प्रश्नपत्र छापने का जिम्मा ही नही लेना चाहिए, स्कूल स्तर पर छोड़ने में किसी स्कूल का ही प्रश्नपत्र बाहर आता, शिक्षा प्रशासन की अदूरदर्शिता ने साख, धन व समय को जाया कर दिया।
दरअसल सत्र 2022-23 हेतु त्रैमासिक आंकलन परीक्षा के लिए शिक्षा विभाग के द्वारा कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के कक्षाओं के लिए मेल से साफ्ट कॉपी के रूप में प्रश्न पत्र उपलब्ध कराया गया है। जिसको लेकर प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाओ के शिक्षकों में व्यवहारिक दिक्कत के कारण विभाग के प्रति खासी नाराजगी देखी जा रही है। प्रश्नपत्र के शॉफ्ट कॉपी का प्रिंट आउट अथवा फोटो कॉपी कराने के बजट को देखते हुए सभी शिक्षको के पसीने छूट रहे है। प्राथमिक शालाओ में कक्षा पहली से 5 वी तक के पांच कक्षाओं के प्रश्नपत्रों की कुल प्रतियां 86 तथा माध्यमिक शालाओ की कक्षा छठवीं से लेकर आठवीं तक के प्रश्न पत्रों के कुल प्रतियां 137 पेज हो रही है। औसतन 50 दर्ज संख्या में प्राथमिक शाला के 86 गुना 50 = 4300 फोटोकापी पेज हो रहे है। 2 रुपये पेज के हिसाब से फोटोकापी करने पर रु 8600/- का खर्च हो रहा है। इसी प्रकार से पूर्व माध्यमिक शाला में 50 दर्ज संख्या पर 50 गुना 137 = 6850 फोटोकापी पेज हो रहे है, 2 रुपये प्रति पेज के हिसाब से फोटोकॉपी का खर्च = रु 13,700/- का बजट आ रहा है। अब सवाल यह है कि इतनी बड़ी राशि की व्यवस्था प्रत्येक स्कूल से कैसे और किस प्रकार से होगी? शिक्षा को छात्रों के लिए प्रमुख आधार मानते हुए स्कूल को समय पर पर्याप्त अनुदान सभी स्कूल को दिया जाना चाहिए जिससे प्रश्नपत्र व परीक्षा की अच्छी व्यवस्था किया जा सके।
स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार प्रत्येक माह में मासिक आंकलन के अलावा त्रैमासिक, अर्धवार्षिक और वार्षिक आंकलन लिया जाना है। अब तक विभाग द्वारा मासिक आंकलन का परीक्षा प्रश्न पत्र भी प्रिंट न करवाकर सॉफ्ट कॉपी के रूप में ही उपलब्ध करवाया गया है, अब त्रैमासिक परीक्षा का प्रश्न पत्र भी साफ्ट कॉपी के रूप में भेजने की परंपरा ईजाद किया है। शिक्षा विभाग ये केंद्रीयकृत साफ्ट कॉपी भेजने की इस परंपरा का शुरुवात परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए कर रही है, जो कि उचित नही है, सीधे प्रश्नपत्र भी विभाग द्वारा दिया जा सकता है। 1 ली से 8 वी तक के जो प्रश्नपत्र प्रदत्त है उसमे प्रश्न पत्र में ही उत्तर के लिए जगह है, कई प्रश्न में दिए गए चित्र को पहचानकर उत्तर लिखना है, ब्लैकबोर्ड के चित्र छोटे बच्चे पहचान नही पाएंगे, यह व्यवहारिक समस्या है, टेबल में बैठकर प्रश्नपत्र तैयार करना और बच्चो के द्वारा कक्ष में हल करना अलग अलग बात है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि शिक्षा विभाग को परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए हर स्कूलों को पर्याप्त बजट प्रदान करना चाहिए। परीक्षा आँकलन को विभाग के अधिकारियों को महज खानापूर्ति का विषय नही बनाया जाना चाहिए। विद्यार्थियों का वास्तविक आंकलन होना चाहिए। छात्रहित मे इस प्रकार बिना सुरक्षा के केंद्रीयकृत व एकीकृत प्रश्नपत्र से परीक्षा की परिपाटी उचित नहीं है। प्रत्येक स्कूल से विभाग द्वारा भेजे गए साफ्ट प्रश्न पत्रों के प्रत्येक स्कूलों के द्वारा जगह-जगह से फोटो कॉपी/प्रिंट आउट निकलवाने से प्रश्न पत्र की गोपनीयता भंग होना स्वाभाविक है।
वही सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जो प्रश्न पत्र शिक्षा विभाग द्वारा तैयार कर भेजा गया है, उसमे पाठ्यक्रम निर्धारण का ध्यान बिल्कुल भी नही रखा गया है, अर्द्ध वार्षिक स्तर तक के सिलेबस को त्रैमासिक परीक्षा के प्रश्नपत्र में शामिल किया गया है। वही कुछ कक्षाओं में आउट ऑफ सिलेबस प्रश्न भी शामिल है। अपने जारी कलेंडर शिक्षण से विभाग बाहर गया है।
वर्तमान में शिक्षकों को मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य, मतदाता सूची को आधार कार्ड से लिंक करने का कार्य, जाति प्रमाण पत्र बनाने आदि कार्यो में संलग्न रखा गया है, इन सबके बीच इस प्रकार से शिक्षा विभाग की कारगुजारियों से शिक्षा सुधार कार्य का लक्ष्य किस स्तर तक प्राप्त की जा सकेगी, इसका सहज अन्दाज लगाया जा सकता है।