Black Magic: मालदीव के प्रेसिडेंट पर काला जादू !, भारत में भी सदियों से प्रचलित, जानिए आखिर ब्लैक मैजिक है क्या और इसके खिलाफ इंडिया में क्या है कानून ?

कुछ दिनों पहले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्म मुइज्जू पर काला जादू करने के आरोप में पुलिस ने वहां के मंत्री शमनाज अली को गिरफ्तार किया था। इस खबर के बाद ब्लैक मैजिक पर चर्चा होने लगी। आइए जानते हैं कि ब्लैक मैजिक क्या होता है और भारत में इसके खिलाफ क्या कानून हैं? हालांकि NPG NEWS किसी भी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता, हम केवल मान्यताओं और प्रचलित धारणाओं की बात कह रहे हैं।

Update: 2024-08-01 12:42 GMT

रायपुर, एनपीजी न्यूज। कुछ दिनों पहले मालदीव काले जादू को लेकर सुर्खियों में रहा। यहां के राष्ट्रपति मोहम्म मुइज्जू पर काला जादू करने के आरोप में पुलिस ने पर्यावरण मंत्रालय के राज्य मंत्री शमनाज अली को गिरफ्तार किया था। पुलिस को मंत्री शमनाज अली के घर से ब्लैक मैजिक में इस्तेमाल होने वाली चीजें मिली थीं। हालांकि NPG NEWS किसी भी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता, हम केवल मान्यताओं और प्रचलित धारणाओं की बात कह रहे हैं।

ब्लैक मैजिक के नाम से लोगों में बैठ जाता है डर

इस खबर के बाद एक बार फिर से ब्लैक मैजिक, काला जादू या जादू-टोना जैसी खबरों ने जोर पकड़ लिया। काला जादू या ब्लैक मैजिक का नाम सुनकर ही लोगों में डर बैठ जाता है, क्योंकि जहां तंत्र-मंत्र सकारात्मकता का प्रतीक है, वहीं मान्यताओं और प्रचलित धारणाओं के मुताबिक काला जादू नकारात्मक शक्तियों को दर्शाता है।

आपसी रंजिश में कई लोग करते हैं इसका प्रयोग

ऐसा माना जाता है कि काला जादू के माध्यम से एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकता है। भारत समेत पूरी दुनिया में कई ऐसे तांत्रिक हैं, जो इस विद्या का प्रयोग करते हैं। काला जादू गुप्त तरीके से की जाती है, जिसका प्रयोग अक्सर किसी को वश में करने के लिए तो कहीं शत्रु पर विजय प्राप्ति के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति पर काला जादू किया जाता है, उसे शारीरिक-मानसिक और आर्थिक क्षति पहुंचती है।

ब्लैक मैजिक वाकई होता है या फिर ये अंधविश्वास है?

हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, जब विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है। ऐसे में बहुत से लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि क्या ब्लैक मैजिक सचमुच में होता है या फिर ये केवल एक अंधविश्वास है। विज्ञान के अनुसार काला जादू एक मात्र ऊर्जा है, जिसका सकारात्मक और नकारात्मक इस्तेमाल होता है। ये एक बंच ऑफ एनर्जी है, जो एक जगल से दूसरे जगह तक भेजी जाती है।

मनोवैज्ञानिक स्तर पर होता है ज्यादा असर, डर के चलते होने लगते हैं लोग बीमार

जानकार बताते हैं कि इसका असर अधिकतर मनोवैज्ञानिक स्तर पर ही होता है। यानी अगर आपने अपने घर या आसपास कोई ऐसी चीज देख ली, जैसे- खोपड़ी, खून, काली गुड़िया, सिंदूर लपेटा हुआ नींबू तो आपके ऊपर डर हावी हो जाता है। आपको लगता है कि किसी ने आपने ऊपर काला जादू कर दिया है और इसी भय से आप बीमार होने लगते हैं या फिर अपना आत्मविश्वास खो देते हैं।

जानकारों के मुताबिक रुद्राक्ष पहनने से होता है फायदा

जानकारों के अनुसार, अगर आपका मन मजबूत है या फिर आप दृढ़ इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति हैं, तो नकारात्मक ऊर्जा आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। पौराणिक धारणाओं के अनुसार, कमजोर इच्छाशक्ति वालों को काला जादू से बचने के लिए रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। ये आपको नकारात्मकता से सुरक्षा देते हैं। इसके अलावा हनुमान चालीसा का पाठ भी करने की सलाह पंडित देते हैं।

भारत में ब्लैक मैजिक के खिलाफ कानून

  • भारत में 4 जनवरी 2020 को प्रिवेंशन एंड ईरेडिकेशन ऑफ इनह्यूमैन ईविल प्रेक्टिसेज एंड ब्लैक मैजिक एक्ट, 2017 (अंधविश्वास विरोधी एक्ट) सरकार की सहमति के बाद लागू हुआ था।
  • ये एक्ट 16 ​​ऐसे कानूनों पर बैन लगता है, जो जादू-टोना, काला जादू, अंधविश्वास के नाम पर अन्य लोगों को बर्बाद कर सकते हैं। अगर कोई इस एक्ट के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे सजा के रूप में एक साल से 7 साल तक की जेल या 5 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।
  • दोषी के जुर्म के अनुसार, अंधविश्वास विरोधी एक्ट के साथ-साथ सेक्शन 302 (मर्डर) और सेक्शन 307 (मर्डर करने की कोशिश) सेक्शन 308 (सुसाइड के लिए उकसाना) के तहत भी उसे सजा मिल सकती है।
  • 2019 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने खुलासा किया कि डायन शिकार के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। पिछले एक साल में छत्तीसगढ़ में 22 मौतें अंधविश्वास के चलते हुई थी।
  • इस तरह के काम अंतर्राष्ट्रीय विधानों/इंटरनेशनल कन्वेंशन द्वारा भी किए जाते हैं, जिसका एक हिस्सा भारत भी है। उनमें से कुछ एक्ट्स मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा, 1948, नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय वाचा, 1966 और महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव का उन्मूलन, 1979 भी हैं।

चमत्कार के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने वालों के खिलाफ कानून

चमत्कार के नाम पर ठगने वाले लोगों के क्राइम के आधार पर उन्हें जेल, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

इस तरह की एक्टिविटीज को अपराध माना गया है-

  • कोई भी ऐसी एक्टिविटी करना, जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है या घातक चोटों की वजह बन सकती है।
  • ऐसा दावा करना कि मुझमें सुपरनैचरल पावर्स हैं। इन शक्तियों के नाम पर उसे धोखा देना या मन में डर पैदा करना।
  • सुपरनैचरल पावर्स के जरिए अनुष्ठान करना या उसका विज्ञापन करना।
  • किसी महिला को सुपरनैचरल पावर्स का यूज करके प्रेगनेंट करने का झांसा देना।
  • पिछले जन्म का साथी होने का दावा कर महिला को सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने के लिए मजबूर करना।
  • खुद में सुपरनैचरल पावर्स होने का दावा करके मानसिक रूप से बीमार पेशेंट्स का शोषण करना।
  • मेडिकल ट्रीटमेंट का विरोध करना।
  • किसी व्यक्ति को सांप या कुत्ते द्वारा काटे जाने पर या अगर बीमारियों को झाड़-फूंक या अनुष्ठान से ठीक करने का दावा करना।
  • किसी व्यक्ति को उसके होने वाले बच्चे का जेंडर उसकी मर्जी के अनुसार होगा, इस बात की गारंटी देना।
  • किसी को डायन, चुड़ैल या बुरी शक्ति बताकर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करना, उसे बहिष्कृत कर देना।

क्या कहता है सनातन धर्म?

सनातन धर्म का अथर्ववेद सिर्फ सकारात्मक और नकारात्मक चीजों के लिए ऊर्जाओं के इस्तेमाल पर ही समर्पित है। सनातन धर्म में माना जाता है कि ऊर्जा सिर्फ ऊर्जा होती है, वह न तो दैवीय होती है और न तो शैतानी। आप उससे कुछ भी बना सकते हैं- देवता या शैतान।

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से क्या कहा था, आप भी जानिए

अर्जुन ने भी कृष्ण से यही सवाल पूछा था कि आपका यह कहना है कि हर चीज एक ही ऊर्जा से बनी है और हर एक चीज दैवीय है, अगर वही देवत्व दुर्योधन में भी है, तो वह ऐसे काम क्यों कर रहा है? इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने जवाब दिया था कि ‘ईश्वर निर्गुण है, दिव्यता निर्गुण है। उसका अपना कोई गुण नहीं है।’ इसका अर्थ है कि वह बस विशुद्ध ऊर्जा है। आप उससे कुछ भी बना सकते हैं। जो बाघ आपको खाने आता है, उसमें भी वही ऊर्जा है और कोई देवता, जो आकर आपको बचा सकता है, उसमें भी वही ऊर्जा है। बस वे अलग-अलग तरीकों से काम कर रहे हैं।

नोट- NPG NEWS किसी भी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता, हम केवल मान्यताओं और प्रचलित धारणाओं की बात कह रहे हैं।

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