MDU Haryana Controversy: हरियाणा के MDU में शर्मनाक घटना? महिला कर्मचारियों से प्राइवेट पार्ट की तस्वीर मांगने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
MDU Haryana Controversy: हरियाणा के MDU में महिला सफाई कर्मचारियों से निजी अंगों की तस्वीर मांगने का आरोप लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। FIR दर्ज, दो पर्यवेक्षक सस्पेंड। अगली सुनवाई 15 दिसंबर को।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बेहद गंभीर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है। आरोप है कि हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU) में तीन महिला सफाई कर्मचारियों को अपने प्राइवेट पार्ट की तस्वीरें दिखाकर यह साबित करने के लिए कहा गया कि वे मासिक धर्म में हैं।
जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने इस मामले को गंभीर मानते हुए नोटिस जारी किया। सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मानसिकता दिखाता है। कर्नाटक में हम मासिक धर्म के लिए छुट्टी दे रहे हैं… अब यह पढ़कर सोच रही हूं कि क्या वहां भी सबूत मांगेंगे? उन्होंने आगे कहा कि अगर महिला कर्मचारी अस्वस्थ थीं और काम नहीं कर सकीं, तो किसी और को तैनात किया जा सकता था। उम्मीद है इस याचिका से कुछ अच्छा निकलेगा।
15 दिसंबर को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने भी इसे गंभीर आपराधिक मामला बताते हुए तुरंत ध्यान देने की मांग की। अब इस केस की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
याचिका में मांग की गई है कि केंद्र और राज्य सरकार को इस घटना की विस्तृत जांच का आदेश दिया जाए। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए गाइडलाइन्स बनाई जाएं कि महिलाओं की निजता, सम्मान और स्वास्थ्य से समझौता न हो।
पुलिस केस में क्या है?
31 अक्टूबर को पुलिस ने MDU से जुड़े तीन लोगों के खिलाफ यौन उत्पीड़न, धमकी और महिला का शील भंग करने जैसे गंभीर आरोपों में FIR दर्ज की थी। कर्मचारियों का आरोप है कि पर्यवेक्षकों ने उन्हें “अगर मासिक धर्म में हो तो साबित करो” कहते हुए तस्वीरें दिखाने को कहा।
विश्वविद्यालय का कहना है कि उसने दो पर्यवेक्षकों को निलंबित कर दिया है। ये दोनों हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड के जरिए अनुबंध पर रखे गए थे। साथ ही आंतरिक जांच के आदेश भी दिए गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
घटना 26 अक्टूबर की बताई जाती है, जब हरियाणा के राज्यपाल असीम कुमार घोष के विश्वविद्यालय दौरे से कुछ घंटे पहले यह विवाद हुआ। तीन महिला सफाई कर्मचारियों ने शिकायत में लिखा कि अस्वस्थ होने की जानकारी देने के बावजूद उन्हें काम पर मजबूर किया गया। फिर उनसे कहा गया कि अगर वे मासिक धर्म की वजह से काम नहीं कर सकतीं, तो इसे साबित करें।
11 साल से MDU में काम करने का दावा करने वाली एक महिला ने कहा हमने कहा कि हम पीरियड की वजह से अस्वस्थ हैं और तेज़ी से काम नहीं कर सकते। लेकिन उन्होंने कहा कि इसे साबित करो, और निजी अंगों की तस्वीरें दिखाने की मांग की। जब हमने इनकार किया तो बदसलूकी की और नौकरी से निकालने की धमकी दी।”
पुलिस ने क्या बताया?
महिला कर्मचारियों का आरोप है कि पर्यवेक्षकों ने यह भी कहा कि वे “सहायक रजिस्ट्रार श्याम सुंदर के आदेश” पर यह कर रहे हैं। श्याम सुंदर ने इस दावे से साफ इनकार किया है।पीजीआईएमएस पुलिस थाने के SHO ने बताया कि FIR में यौन उत्पीड़न, आपराधिक धमकी, महिला का शील भंग करने और महिला पर बल प्रयोग जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।