नरक चतुर्दशी कब है शुभ मुहूर्त जानिए मंत्र और कथा, इस दिन क्या लगाना चाहिए तेल ?
NPG डेस्क I दिवाली महापर्व का यह दूसरा दिन होता है। जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। यह पर्व इस साल 23 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। इस दिन नरक से जड़े दोष से मुक्ति पाने के शाम के समय द्वार पर दिया जलाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करके 16,100 कन्याओं को मुक्त कराया था। इस पर्व को रूप चौदस भी कहते हैं।
नरक चतुर्दशी पूजा का शुभ समय
कार्तिक चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ : अक्टूबर 23, 2022 को 06:03 PM बजे, कार्तिक चतुर्दशी तिथि समाप्त : अक्टूबर 24, 2022 को 05:27 PM बजे, नरक चतुर्दशी 24 अक्टूबर दिन सोमवार को है। काली चौदस 24 अक्टूबर 2022 को काली चौदस मुहूर्त : 23 अक्टूबर को 11:40 PM से 24 अक्टूबर को 12:31 AM तक पूजा अवधि : 00 घण्टे 51 मिनट
नरक चतुर्दशी की कथा
धनतेरस से पंच दिवसीय दीप पर्व शुरू हो जाता है। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और यम द्वितीया। इस दौरान अज्ञान और अभाव रूपी अंधकार को नष्ट करने के लिए दीप जलाए जाते हैं। धन-धान्य और ज्ञान में वृद्धि की कामना की जाती है और संसाधन जुटाए जाते हैं। देश के गांवों-शहरों में चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश दिखता है। धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी या अनन्त चतुर्दशी पड़ती है जिसे काली चौदस भी कहा जाता है। इस पर्व के लिए पुराणों में एक कथा है।
भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को इसी दिन निकृष्ट कर्म से रोका था। नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंदी बना लिया था। श्रीकृष्ण ने उन कन्याओं को छुड़ाने के लिए से नरकासुर से युद्ध किया और उसका वध कर दिया और उन कन्याओं को अपनी शरण में रखा।
कथासार यह है कि नरकासुर एक प्रकार से वासनाओं के समूह और अहंकार का प्रतीक है। यानी जैसे श्रीकृष्ण ने उन कन्याओं को अपनी शरण देकर नरकासुर का वध कर दिया, वैसे ही मनुष्य को स्वयं को भगवान को समॢपत कर देना चाहिए ताकि भीतर पलने वाला अहंकार नष्ट हो जाए और सोलह हजार कन्याओं रूपी आपकी अनन्त वृत्तियां भगवान के अधीन हो जाएं। नरक चतुर्दशी मनाने के पीछे उद्देश्य यही है।
इसका एक मंतव्य यह भी कि जब आपको जीवन में नरकासुर रूपी वासना घेरे और अहंकार बढ़े तो उसे नष्ट करने के लिए श्रीकृष्ण यानी भगवान की शरण में जाना चाहिए, जैसे वह सोलह हजार कन्याएं गईं। ईश्वर ही वह शक्ति है जिसकी शरण में जाने पर सारे पाप-ताप नष्ट हो जाते हैं। नरक चतुर्दशी के दिन चतुर्मुखी दीप जलाने से नरकरूपी भय से मुक्ति मिलती है।
नरक चतुर्दशी मंत्र
नरक चतुर्दशी को सायंकाल चार मुख वाला एक दीप जलाते हुए इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-
दत्तो दीपश्चतुर्दश्यां नरकप्रीतये मया।
चतुर्वॢतसमायुक्त: सर्वपापापनुत्तये।।
भावार्थ यह कि आज चतुर्दशी के दिन नरक के अभिमानी देवता की प्रसन्नता के लिए तथा समस्त पापों को नष्ट करने के लिए मैं चौमुखा दीप (चार बत्तियों वाला) अर्पित करता हूं।
नरक चतुर्दशी पर तेल की मालिश करके स्नान का विधान
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश करके स्नान करने का विधान है। सनत्कुमार संहिता एवं धर्मसिंधु ग्रंथ में कहा गया है कि इससे मनुष्य की नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है। ऐसी मान्यता है कि नरक चतुर्दशी की रात को मंत्र जाप करने से मंत्र सिद्ध होता है। इस रात सरसों के तेल अथवा घी के दीये से काजल बनाना चाहिए। यह काजल आंखों में लगाने से बुरी नजर नहीं लगती तथा आंखों का तेज बढ़ता है।