हरतालिका तीज 2022: वैवाहिक जीवन मेंखुशहाली का प्रतीक है यह व्रत, जानिए इसकी पूजा विधि और सामग्री

Update: 2022-08-22 23:30 GMT

रायपुर I अखंड सौभाग्य का व्रत हरितालिका तीज इस बार 30 अगस्त को हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में यह पर्व मनाया जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां दोनों करती है। यह व्रत मां पार्वती ने शिव को पति रुप में पाने के लिए किया था। शास्त्रों में कहा गया है कि इस पवित्र व्रत को करने से भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद से अच्छा जीवनसाथी मिलता है।

हरितालिका तीज की पूजा विधि

व्रत के दिन सुबह स्नानादि के बाद निर्जला व्रत का संकल्प लें। व्रत से एक दिन पहले बिना लहसुन प्याज के भोजन करें। व्रत के बाद निर्जल रहकर 24 घंटे व्रत रखें। दूसरे दिन चतुर्थी में पारण का विधान है। उससे पहले व्रत वाले दिन पूजा विधि कैसे करनी है जानते हैं....

बता दें कि शिव की पूजा प्रदोष काल में करने से उत्तम फल मिलता है। लेकिन इस दिन सुबह भी पूजा करें। सबसे पहले एक चौकी लें उस पर लाल वस्त्र का आसन दें फिर केले का पत्ता बिछायें।

केले के पत्ते पर मिट्टी से बने शिव-पार्वती की मूर्ति के विराजित करें। फिर अष्टदलकमल बनाकर उस पर पानी से भरा कलश रखें। कलश में सुपारी सिक्का और हल्दी डालें।

कलश के पर आम के पत्ते के साथ पान के 5 पत्ते, सुपारी चावल से भरी कटोरी रखें। मां पार्वती-गणेश जी को सिंदूर और चावल चढ़ाएं। शिव भगवान के जनेऊ और सफेद चंदन चढ़ा दें।

इसके बाद भगवान शिव को षोडशोपचार विधि से पूजा करें। भगवान शिव को श्रृंगार कर वस्त्र के रुप में मौली को पहनाएं और हार, जनेऊ, मालाएं, पगड़ी आदि पहनाएं। इत्र छिड़कर चंदन अर्पित करें, धूप, फूल, दीप, पान के पत्ते पर फल, मिठाई और मेवे आदि चढ़ा दें। शमीपत्री, बेलपत्र, 16 तरह की पत्तियां चढ़ाएं

हरतालिका तीज की व्रत कथा सुनें या पढ़ें। आरती करें। और मां पार्वती को सुहाग सामग्री अर्पित करें और सदा सुहागन रहने का वरदान मांग लें। कहते हैं कि मां पार्वती ने भगवान शिव के लिए 107 जन्म लिये थे। उसके बाद 108 वें जन्म में शिव की पत्नी बनी थी और जन्म-जन्मांतर तक रही।

हरितालिका तीज सामग्री

हरतालिका तीज की पूजा में मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री, वस्त्र के साथ भगवान शिव के लिए फूल धतूरा बेल पत्र चढ़ाया जाता है। जानते हैं हरितालिका तीज की षोड्षोपचार पूजा में कौन-कौन सी सामग्री चढ़ाई जाती है।....

शमी का पत्ता, केले का पत्ता, धतूरे का फल-फूल, आक का फूल, जनेऊ, नाड़ा, वस्त्र, फल एवं फूल पत्ते, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, फुलहरा विशेष प्रकार की 16 पत्तियां, 2 सुहाग पिटारा के साथ इन मंत्रों से ॐ उमाये नमः। ॐ पार्वत्यै नमः। ॐ जगद्धात्रयै नमः। ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नमः। ॐ शांतिरूपिण्यै नमः। ॐ शिवाय नमः। ॐ हराय नमः। ॐ महेश्वराय नमः। ॐ शम्भवे नमः। ॐ शूलपाणये नमः। ॐ पिनाकवृषेनमः। ॐ पशुपतये नमः। पार्वती-शिव को प्रसन्न किया जाता है।

हरितालिका तीज पर शुभ योग

हरितालिका तीज के दिन बहुत शुभ रवियोग बन रहा है तो इस दिन व्रत रखकर नियमों का पालन करते हुए अमर सुहाग की कामना करें और जिन पति-पत्नी के संबंध में कड़वाहट है वो भी इस व्रत को करके भोले बाबा- और मां पार्वती से प्रेम पूर्ण वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद लें।

फिर गणेशजी, शिवजी और माता पार्वती की आरती करें। भगवान की परिक्रमा करें। रात्रि जागरण और सुबह पूजा के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं। ककड़ी-हलवे का भोग लगाएं और फिर ककड़ी खाकर उपवास तोड़ें, अंत में समस्त सामग्री को एकत्र कर पवित्र नदी या किसी कुंड में विसर्जित किया जाता है। खुशहाली का प्रतीक यह व्रत मां पार्वती ने हजार वर्षों तक किया था।

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