Dussehra 2022: इस साल दशहरा कब मनाया जाएगा...4 या 5 अक्टूबर को? जानिए विजय दशमी की पूजन विधि और शमी की पत्तियों के पूजा का महत्व

Update: 2022-09-28 00:30 GMT

NPG डेस्क \ Dussehra 2022 I  हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा पर्व मनाया जाता है । इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा पर्व देशभर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. बुराई पर अच्छाई का प्रतीक ये पर्व सभी प्राणियों को एक सीख देता है। आज के दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध करके धरती को उसके प्रकोप से बचाया था। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम की पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता आती है। यही नहीं, इस दिन रावण का पुतला जलाने का भी विधान है।

दशहरा पर्व हर साल दिवाली से 20 दिन पहले मनाया जाता है। इस साल दशहरा 5 अक्टूबर, 2022 को मनाया जाएगा। इससे पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा के नवरात्रि रखे जाते हैं।

विजय दशमी पूजा मुहूर्त 2022

अश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि का आरंभ – 4 अक्टूबर 2022 दोपहर 2 बजकर 20 मिनट पर होगा।

अश्विन मास शुक्ल पक्ष तिथि समाप्त – 5 अक्टूबर 2022 दोहपर 12 बजे तक है।

पूजन का शुभ मुहूर्त – 5 अक्टूबर दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से लेकर 03 बजे तक है।

दशहरा की तिथि और शुभ मुहूर्त (Dussehra Date and Time)

अश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का प्रारंभ 4 अक्टूबर दिन मंगलवार को दोपहर 2:20 पर होगा।

दशमी तिथि का समापन 5 अक्टूबर दिन बुधवार को दोपहर 12:00 बजे होगा।

विजय मुहूर्त बुधवार को दोपहर 2:07 से 2:54 तक रहेगा।

विजयदशमी की पूजा विधि और महत्व -उपाय

दशहरा के दिन भगवान श्री राम ने अंहकारी रावण का वध किया था। इसी खुशी में भगवान श्री राम की आराधना की जाती है। इस दिन भगवान राम का नाम जपने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन हथियारों की पूजा का भी विधान है। इतना ही नहीं, योद्धा भी इस दिन हथियारों की पूजा करते हैं और जीत का जश्न मनाते हैं।

अगर आप नौकरी और व्‍यापार में उन्नति पाना चाहते हैं तो दशहरा के दिन 'ऊँ विजयायै नमः' मंत्र का जाप करें।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नीलकंठ पक्षी को देखना शुभ माना जाता है। इस दिन नीलकंठ के दर्शन करें और पान खाएं।।

दशहरा के दिन शमी के पेड़ की पूजा करें। शमी के कुछ पत्ते तोड़कर उन्हें अपने पूजा घर में रखें। साथ ही दीपक जलाएं।

ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

इसके बाद एक लाल कपड़े में अक्षत, एक सुपारी और शमी की कुछ पत्तियों को डालकर उसकी एक पोटली बना लें।

इस पोटली को घर के किसी बड़े व्यक्ति से ग्रहण करके भगवान राम की परिक्रमा करने से लाभ मिलता है।

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