चित्रकोट जलप्रपात: देश के सबसे चौड़े और खूबसूरत जलप्रपात को यूं ही नियाग्रा फॉल नहीं कहा जाता, पढ़िए चित्रकोट फॉल के कुछ अनछुए पहलुओं को

Update: 2022-09-12 18:08 GMT

दिव्या सिंह

छत्तीसगढ़ के दर्शनीय स्थलों का ज़िक्र हो और चित्रकोट जलप्रपात का ज़िक्र न हो, यह असंभव है। बस्तर के 16 श्रृंगारों में से एक है चित्रकोट जलप्रपात। इंद्रावती नदी पर स्थित यह जलप्रपात 90 फीट की ऊंचाई से गिरता है। बारिश के मौसम में इसकी चौड़ाई 150 मीटर होती है। चूंकि यह देश के सबसे चौड़ा जलप्रपात है और घोड़े की नाल के समान इसका आकार है इसलिए इसे नियाग्रा फॉल के नाम से भी जाना जाता है। यह झरना इंद्रावती नदी की खूबसूरती पर चार चांद लगा देता है। बाधा रूप में आने वाली चट्टानों से लड़ता, उन्हें रौंदता, वृक्ष-कुंजों के बीच से गुज़रता, विशाल जलराशि खुद में समेटे हुए उमगता, गरजता यह प्रपात आगंतुकों को रोमांच और सिहरन से भर देता है। शहर की उमस भरी गर्मी से तपते तन-मन को इसका शीतल जल ऐसी शांति देता है कि पर्यटक कुछ वक्त के लिए खुद को, अपनी तमाम परेशानियों को भूल ही जाता है।

ऐसी मान्यता है कि किसी समय यहां के सुंदर वातावरण में हिरणों के झुंड रहा करते थे। इसलिए इसका नाम 'चित्र' पर पड़ा है, हल्बी बोली में इस शब्द का अर्थ "हिरण" होता है। इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफ़ेद दिखाई देता है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के पास चित्रकोट जलप्रपात इंद्रावती नदी पर स्थित है, जो उड़ीसा से निकलती है, पश्चिम में बहती है और चित्रकोट में गिरती है। फिर आंध्रप्रदेश में प्रवेश करती है और अंत में गोदावरी नदी में विलीन हो जाती है।

Chitrakot पहुंचने के लिए सबसे पहले जगदलपुर पहुंचना होता है। यहां से केवल 40 किलोमीटर दूर पर आपको प्राकृतिक सौंदर्य का ये अनोखा और मनमोहक संगम नजर आएगा। वहीं राजधानी रायपुर से इसकी दूरी 273 किमी है। यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा समय मानसून का होता है। क्योंकि इन दिनों इंद्रावती नदी अपने उफान पर होती है। अलग-अलग अवसरों पर इस जलप्रपात से कम से कम तीन और अधिकतम सात धाराएँ गिरती हैं।

झरने के बिलकुल नीचे तट पर एक तालाब है, जहां पर भगवान शिव की मूर्ति स्‍थापित है। जलधारा शिवजी की मूर्ति पर इस तरह गिरती है मानो उनका जलाभिषेक कर रही हो। इसके पास प्राकृतिक रूप से निर्मित गुफाएं हैं, जिन्हें पार्वती गुफाओं के नाम से जाना जाता है। जुलाई-अक्टूबर का समय पर्यटकों के यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।विंध्याचल पर्वत माला में स्थित चित्रकोट जलप्रपात के आसपास घने वन हैं, जो कि उसकी प्राकृतिक सौंदर्यता को और बढ़ा देते हैं। रात में इस जगह पर रोशनी का पर्याप्त प्रबंध किया गया है। ताकि यहाँ के झरने से गिरते पानी के सौंदर्य को पर्यटक रोशनी के साथ देख सकें। झरने के पास आपको नाविक मिल जाएंगें जो आपको झरने के बीचोबीच लेकर जाएंगे। अब यहां कैंपिग की भी व्यवस्था की गई है। जिससे पर्यटक चांदनी रात में ठहरकर झरने का सौंदर्य निहार सकें और पूर्ण शांति का अनुभव कर सकें।

-चित्रकोट जलप्रपात देखने कैसे पहुँचें

हवाई मार्ग – आप यहाँ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा रायपुर से पहुंच सकते हैं। यह हवाई अड्डा भारत के सभी मुख्य राज्यों के हवाई अड्डे से जुड़ा हुआ हैं। जगदलपुर, रायपुर से 300Km की दुरी में हैं।

रेलवे मार्ग–जगदलपुर रेलवे लाईन से विशाखापट्नम और रायपुर से जुड़ा हुआ हैं।

सड़क मार्ग–नेशनल हाईवे NH30 और राज्य के कई बड़े शहरों के राजमार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ हैं। यहां नियमित रूप से बस सेवाएँ, एक्सप्रेस, व स्लीपर बसें चलती हैं। यहां तक की अंतराज्यीय बस स्टैंड जैसे राज्य परिवहन निगम की कई बसें जगदलपुर से हैदराबाद, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना से चलती हैं।

-कहाँ रुकें

यहां ठहरने के लिए सरकारी रेस्ट हाउस के अलावा आप छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग के अंतर्गत "दंडामी माड़िया लक्ज़री टूरिस्ट रिज़ार्ट" में बुकिंग करा सकते हैं। इसके अलावा यहां श्री जी भवन, नमन बस्तर, बस्तर जंगल रिजॉर्ट, और अनेक निजी, अच्छे और किफायती होटल मौजूद हैं। इन होटलों में आप अपने बजट और सुविधा के अनुसार कमरे बुक करा सकते हैं।

चित्रकोट जलप्रपात के आसपास अन्य दर्शनीय स्थल

कांगेर धारा – बस्तर जिले के सबसे सुंदर जलप्रपात में से एक कांगेर धारा जलप्रपात कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर है यह लगभग 10 से 15 फीट की ऊँचाई से गिरता है और इसके आसपास की घाटी और भी खूबसूरत दृश्य का निर्माण करती है।

तीरथगढ़ जलप्रपात – यह जलप्रपात मुनगाबहार नदी में स्थित है यह छत्तीसगढ़ का सबसे ऊँचा झरना है।

कुटुमसर गुफा –यह भारत की सबसे गहरी गुफा मानी जाती है।यह चूना पत्थर बैल्ट में चूने की गुफा है। इसमें रंग-बिरंगी अंधी मछलियां पाई जाती हैं।

नारायणपाल मंदिर – हजारों साल पुराना यह मंदिर इन्द्रावती और नारंगी नदी के संगम के बीच स्थित है।

इनके अलावा दंतेश्वरी मंदिर और चित्रधारा जलप्रपात आदि भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

तो यदि आप रोज़ की आपाधापी भरी- तपती ज़िन्दगी में राहत की फुहारें पड़ती महसूस करना चाहते हैं तो चित्रकोट जलप्रपात देखने निकल पड़िये। वापसी में आप खुद को बहुत हल्का पाएंगे।

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