कलेक्टर ने टीआई को थमाई नोटिस, दो दिन में जवाब दें वरना होगी अनुशासनात्क कार्रवाई, कलेक्टर-एसपी के बीच समन्वय पर उठ रहे सवाल

Update: 2020-04-29 15:36 GMT

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रायपुर, 29 अप्रैल 2020। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही की कलेक्टर शिखा राजपूत तिवारी ने गौरेला टीआई अमित पाटले को अनुशासनात्मक कार्रवाई की नोटिस दी है। कलेक्टर ने नोटिस में कहा है कि दो दिन के भीतर उनके समक्ष पेश होकर जवाब देें, वरना एकपक्षीय कार्रवाई की जाएगी।
मामला लाॅकडाउन में अनुमति के बिना अपात्र लोगों को बैरियर पार कराने का है। कलेक्टर ने नोटिस में लिखा है कि क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी की रिपोर्ट से पता चला है कि अनुमति से अधिक अपात्र लोग बैरियर पार करके छत्तीसगढ़ आ गए। यह आपके घोर लापरवाही को प्रदर्शित करता है बल्कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के विपरीत है।
जानकारों का मानना है, कलेक्टर आमतौर पर टीआई को नोटिस नहीं देते। छत्तीसगढ़ बनने के बाद ऐसी परिस्थति कभी निर्मित नहीं हुई कि कोई कलेक्टर टीआई को नोटिस दिया हो। हालांकि, जिला दंडाधिकारी के नाते कलेक्टर को व्यापक अधिकार हंै मगर वे इसका इस्तेमाल नहीं करते। ब्यूरोक्रेसी के लोग बताते हैं, कलेक्टर की नजर में अगर पुलिस का कोई प्रकरण आता है, तो उसे एसपी को सूचित कर देते हैं। इससे कलेक्टर, एसपी में कोआर्डिनेशन बना रहता है।
वैसे, राष्ट्रीय आपदा के दौरान कलेक्टर को सामान्य दिनों से अधिक अधिकार मिल जाते हंैै। वह सरकारी विभाग हो या सरकारी उपक्रम या प्रायवेट सेक्टर, किसी के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
जाहिर है, इस नोटिस से कलेक्टर-एसपी के बीच समन्वय पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि, थानेदार के खिलाफ गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के एसपी भी कार्रवाई कर सकते थे….आखिर कलेक्टर को नोटिस देने की जरूरत क्यों पड़ गई। वह भी कोरोना के इस संक्रमण की घड़ी में। एक रिटायर्ड चीफ सिकरेट्री का कहना है, कलेक्टर ने किन परिस्थितियों में टीआई को नोटिस दी है, इसकी जांच होनी चाहिए।

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