Yuktiyuktkaran: शिक्षकों का धरना फ्लाप शो हुआ, मुठ्ठी भर शिक्षक पहुंचे, 23 संगठनों की कोशिशों के बाद भी काउंसलिंग नहीं रुकी, जानिये ऐसा क्यों हुआ?

Yuktiyuktkaran: शिक्षकों के संभागस्तरीय धरना, प्रदर्शन का आज पहला दिन फ्लाप शो हुआ। आज रायपुर संभाग के शिक्षकों को 11 बजे पहुंचना था। मगर साढ़े ग्यारह बजे तक आलम यह था कि एक महिला शिक्षिका पहुंच पाई थी। महिला शिक्षिक का एक तंज भरे वीडियो वायरल होने के बाद दोपहर एक बजे 40-50 शिक्षक एकत्रित हो पाए। इस चक्कर में शिक्षकों ने संभाग स्तरीय प्रदर्शन वाला आंदोलन स्थगित करना ही मुनासिब समझा। दरअसल, शिक्षकों के आंदोलन में दिक्कत यह जा रही कि 23 नेता हो गए हैं। 23 संगठनों ने मिलकर एक साझा मंच बनाया है। इतने नेताओं की अगुआई में कोई भी आंदोलन नहीं चलता। कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन में भी सिर्फ एक कमल वर्मा नेता हैं। मगर शिक्षकों में इतने सारे ग्रुप और सबके अपने पसंद-नापसंद हैं कि उसक असर आज के धरना में दिखा।

Update: 2025-05-31 15:36 GMT
Yuktiyuktkaran: शिक्षकों का धरना फ्लाप शो हुआ, मुठ्ठी भर शिक्षक पहुंचे, 23 संगठनों की कोशिशों के बाद भी काउंसलिंग नहीं रुकी, जानिये ऐसा क्यों हुआ?
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Yuktiyuktkaran: कोरबा में काउंसलिंग की प्रक्रिया संपन्न हो गई और शिक्षकों ने काउंसलिंग में हिस्सा लेकर अपने स्कूल का चयन किया यह बात और है कि कुछ शिक्षकों को जहां अच्छी जगह मिल गई वहीं बहुत से शिक्षक निराश हुए और अच्छी जगह नहीं मिली और यह निराशा काउंसलिंग से बाहर आते समय उनके चेहरे पर भी झलक रही थी लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि 23 संगठनों के साझा मंच के बहिष्कार की घोषणा के बाद भी शिक्षकों ने काउंसलिंग में भाग लिया और साझा मंच का बहिष्कार कार्यक्रम सफल नहीं हो सका ।

जानिए क्यों शिक्षक नहीं उठा रहे हैं रिस्क !

इस मुद्दे पर छच्ळ ने काउंसलिंग में शामिल हुए कई शिक्षकों से बात की तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जो शिक्षक नेता विरोध के स्वर बुलंद कर रहे हैं उनका नाम अतिशेष सूची में नहीं है , हमने भी रायपुर में जाकर युक्तियुक्तकरण का विरोध किया था लेकिन सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी और यदि आज हम काउंसलिंग में शामिल नहीं होते हैं तो हम ठीक-ठाक जगह पाने का अवसर भी खो देंगे ।

इसके बाद काउंसलिंग के नियमानुसार जो शिक्षक नहीं पहुंचेंगे उनकी पदस्थापना अधिकारी अपने हिसाब से कर देंगे और हमें इसी बात का डर है कि जो हम ठीक-ठाक जगह का सकते हैं वह मौका भी चला जाएगा । अधिकारी पदस्थापना आदेश जारी कर देंगे और हमें फिर मजबूरी में वहां जाना पड़ेगा । हो सकता है कि फिर इसमें भी लेनदेन का खेल हो जाए और जो लोग अंदर ही अंदर सेटिंग कर लेंगे और हमसे लिस्ट में पीछे हैं उन्हें हमसे भी पास का और अच्छा जगह मिल जाए तो यह रिस्क लेने से बेहतर है कि हम काउंसलिंग में शामिल होकर अपनी किस्मत आजमाएं ।

जेडी और डीईओ के रवैये से आम शिक्षकों के मन में है डर

दरअसल जिस प्रकार का व्यवहा जेडी और डीईओ समस्या लेकर पहुंचे शिक्षकों से कर रहे हैं उससे आम शिक्षकों में कहीं ना कहीं डर का माहौल बन गया है और उन्हें यह डर है कि डीईओ और जेडी इस आपदा को भी अपने लिए अवसर में न बदला ले । एक शिक्षक ने तो यहां तक कहा की शिक्षक नेताओं का भी कोई भरोसा नहीं है हो सकता है कि हम न जाएं और शिक्षक नेता अपने करीबियों की पोस्टिंग सही जगह कर लें क्योंकि अधिकारियों से उनकी पहचान है हम तो आम शिक्षक हैं हम फिर ठगे जाएंगे इससे बेहतर है कि हम एक बार अपनी किस्मत आजमा ले ।

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