तहसीलदार की कार्रवाई पर नाराज हाई कोर्ट ने कहा-यह तो सरासर मनमानी है...

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सरकारी जमीन से बेदखली के मामले में तहसीलदार की कार्रवाई को लेकर ना केवल नाराजगी साथ ही यह कहा कि लगता है, पूरे मामले में तहसीलदार ने कब्जा हटाने के मामले में मनमानी की है। सोमवार को तहसीलदार को कोर्ट ने तलब किया है। पढ़िए अर्जेंट हियरिंग की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्या कहा और क्या फैसला दिया।

Update: 2024-09-22 08:08 GMT

बिलासपुर। तहसीलदार द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ मनमानी पर अवकाश के दिन सुबह स्पेशल कोर्ट बैठी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देते हुए अतिक्रमण की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने बरपाली तहसीलदार को व्यक्तिगत रूप से सोमवार को उपस्थित होने का आदेश दिया है।

बरपाली तहसीलदार ने बीते 20 सितंबर की शाम 6 बजे वाट्सएप के जरिये याचिकाकर्ता को बेदखली का नोटिस भेजा। दूसरे दिन फिर 21 सितंबर की सुबह कार्रवाई प्रारंभ कर दी। जिसे लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई है।

कोरबा जिला के बरपाली तहसील क्षेत्र के ग्राम कनकी निवासी नूतन राजवाड़े के वाट्सएप पर बीते 20 सितंबर की शाम 6 बजे के बाद तहसीलदार बरपाली ने सरकारी जमीन से बेदखली का नोटिस भेजा। वाट्सएप के जरिये भेजे नोटिस में तहसीलदार ने कब्जा हटाने कुछ घंटों का ही समय दिया था।

तहसीलदार द्वारा जारी नोटिस को चुनौती देते हुए नूतन राजवाड़े ने हाई कोर्ट में अपने अधिवक्ता के जरिये अर्जेंट सुनवाई के अनुरोध करते हुए याचिका पेश की थी।

मामले की गंभीरता को देखते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्पेशल बेंच का गठन करने रजिस्ट्रार जनरल को आदेश जारी किया था। चीफ जस्टिस के निर्देश पर जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की विशेष कोर्ट लगाई गई।

00 अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया, अफसर मौके पर पहुंचकर हटवा रहे कब्जा

सिंगल बेंच में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। याचिकाकर्ता की जमीन से बाड़ हटाना शुरू कर दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी, कि याचिकाकर्ता के कब्जे वाली जमीन सरकारी है लेकिन याचिकाकर्ता को उसके स्वामित्व की जमीन के बदले में इसे दिया गया था।

0 ऐसी कार्रवाई इसके पहले कभी नहीं हुई

तहसीलदार ने छत्तीसगढ़ भूमि राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के तहत कार्यवाही में याचिकाकर्ता के खिलाफ 5 अगस्त 2024 को एक आदेश पारित किया है। जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के समक्ष अपील दायर की है। सरकारी वकील ने दलील दी कि उन्हें कुछ मिनट पहले ही रिट याचिका की अग्रिम प्रति दी गई है। यह भी कहा है कि मोबाइल फोन पर प्राप्त निर्देश के अनुसार, याचिकाकर्ता का अतिक्रमण हटा दिया गया है।

0 यह तो सरासर मनमानी है

मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस पीपी साहू ने अपने आदेश में कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखने पर यह मनमानी लग रहा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि तक याचिकाकर्ता की भूमि पर कब्जे के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। साथ ही बरपाली तहसीलदार को सोमवार को हाई कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने कहा है।

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