President Draupadi Murmu: राष्ट्रपति मुर्मु का छत्तीसगढ़ विधान सभा में आह्वान, नारी सशक्तीकरण और समरसता से बनेगा श्रेष्ठ छत्तीसगढ़...

President Draupadi Murmu:‘मनखे-मनखे एक समान’ के सिद्धांत से बनेगा समरस छत्तीसगढ़ - राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु... लोकतांत्रिक परंपराओं में छत्तीसगढ़ विधानसभा एक आदर्श उदाहरण- राज्यपाल रमेन डेका

Update: 2025-03-24 10:48 GMT
President Draupadi Murmu: राष्ट्रपति मुर्मु का छत्तीसगढ़ विधान सभा में आह्वान, नारी सशक्तीकरण और समरसता से बनेगा श्रेष्ठ छत्तीसगढ़...
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President Draupadi Murmu: रायपुर। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज छत्तीसगढ़ विधान सभा के रजत जयंती समारोह में भाग लेते हुए प्रदेशवासियों को 25 वर्षों की लोकतांत्रिक यात्रा की बधाई दी और विधान सभा की उत्कृष्ट संसदीय परंपराओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की। राष्ट्रपति मुर्मु ने छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना को स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के असाधारण मार्गदर्शन का परिणाम बताया और उनके प्रति सादर नमन किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की लोकतांत्रिक यात्रा, जन-आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति का एक प्रेरणास्पद उदाहरण है। उन्होंने अपने विधायक काल की स्मृतियाँ साझा करते हुए कहा कि जन-प्रतिनिधि के रूप में कार्य करना जनसेवा की भावना से प्रेरित व्यक्तियों के लिए एक सौभाग्य होता है। उन्होंने विधान सभा को संस्कृति की संवाहक और नीति निर्धारण की दिशा देने वाला केंद्र बताया।

छत्तीसगढ़ विधान सभा: अनुकरणीय संसदीय आचरण का प्रतीक

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने छत्तीसगढ़ विधान सभा द्वारा अपनाई गई अनुशासित और मर्यादित परंपराओं की सराहना की। विशेष रूप से उन्होंने 'स्वयमेव निलंबन' जैसे नियमों की सराहना की और इस बात को ऐतिहासिक बताया कि 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ विधानसभा में कभी भी मार्शल का उपयोग नहीं करना पड़ा।

राष्ट्रपति मुर्मु ने छत्तीसगढ़ को मातृशक्ति का साक्षात प्रतीक बताते हुए राज्य की सांस्कृतिक गरिमा को नमन किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ की महिला विभूति मिनी माता को याद करते हुए उनके योगदान को नमन किया। साथ ही उन्होंने इस बात की सराहना की कि आज विधान सभा में 19 महिला विधायक हैं और राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक रही है। राष्ट्रपति ने महिला विधायकों से आह्वान किया कि वे राज्य की अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएँ। उन्होंने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ की भावना को धरातल पर उतारने की अपील की।

समावेशी समाज की दिशा में छत्तीसगढ़ की नीतियाँ

राष्ट्रपति मुर्मु ने छत्तीसगढ़ विधान सभा द्वारा पारित 565 विधेयकों को समावेशी विकास की दिशा में ऐतिहासिक बताया। विशेष रूप से महिलाओं को रूढ़ियों पर आधारित प्रताड़ना से मुक्त कराने वाले अधिनियम का उल्लेख करते हुए डॉ. रमन सिंह जी के कार्यकाल में इसे विधान सभा का महत्वपूर्ण योगदान बताया।

प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध, संभावनाओं से परिपूर्ण राज्य

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा छत्तीसगढ़ में विकास की असीम संभावनाएं विद्यमान है।उन्होंने कहा कि राज्य में खनिज, औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में विकास की व्यापक संभावना है। उन्होंने पर्यावरण-संरक्षण और विकास के बीच संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यहां के पारंपरिक लोक शिल्प की देश-विदेश में सराहना होती है। यह सुंदर राज्य हरे-भरे जंगलों, झरनों तथा अन्य प्राकृतिक वरदानों से समृद्ध है। छत्तीसगढ़ को महानदी, हसदेव, इंद्रावती और शिवनाथ जैसी नदियों का आशीर्वाद प्राप्त है। छत्तीसगढ़ को आधुनिक विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने के साथ-साथ पर्यावरण का संरक्षण भी सुनिश्चित करना है। राज्य के आप सब नीति-निर्माताओं पर विकास और प्रकृति के बीच संतुलन स्थापित करने की ज़िम्मेदारी है। इसके साथ ही समाज के सभी वर्गों को आधुनिक विकास-यात्रा से जोड़ना भी सभी जनप्रतिनिधियों का उत्तरदायित्व है।

वामपंथी उग्रवाद से मुक्ति की ओर निर्णायक प्रगति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य अंतिम और निर्णायक दौर में पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोग विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि छत्तीसगढ़ को उग्रवाद से पूर्णतया मुक्त करने के प्रयास में शीघ्र ही सफलता प्राप्त होगी और राज्य के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ेगा।

सामाजिक समरसता का मूलमंत्र 

गुरु घासीदास जी के संदेश ‘मनखे-मनखे एक समान’ को उद्धृत करते हुए राष्ट्रपति ने सामाजिक समानता और समरसता के आदर्श छत्तीसगढ़ के निर्माण की बात कही। राष्ट्रपति मुर्मु ने छत्तीसगढ़ विधान सभा को आदर्श लोकतांत्रिक संस्थान बताते हुए राज्य के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और सभी जनप्रतिनिधियों से श्रेष्ठ छत्तीसगढ़ के निर्माण हेतु समर्पण की भावना से कार्य करने का आह्वान किया।

राज्यपाल रमेन डेका ने रजत जयंती समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की गरिमामयी उपस्थिति को अद्वितीय और प्रेरणादायक बताते हुए राज्य की जनता की ओर से उनका हृदय से स्वागत किया। उन्होंने भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को स्मरण करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण उनके दूरदर्शी नेतृत्व और जन-आकांक्षाओं की गहरी समझ का परिणाम था। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 को राज्य सरकार ने ‘अटल निर्माण वर्ष’ के रूप में घोषित किया है, जिसमें अधोसंरचना विकास को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जाएगी। राज्यपाल डेका ने छत्तीसगढ़ विधान सभा की 25 वर्ष की यात्रा को गर्व और सम्मान की यात्रा बताया।

राज्यपाल ने विधानसभा द्वारा अपनाए गए ‘स्वयमेव निलंबन’ नियम को अनुशासन और लोकतांत्रिक मर्यादाओं के पालन का अद्भुत उदाहरण बताया। उन्होंने इसे पूरे देश की विधानसभाओं के लिए एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया, जिसे राष्ट्रभर में सराहा गया है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा जन आकांक्षाओं को मूर्त रूप देने वाला मंच है। राज्यपाल ने विधानसभा की नीतियों और कार्यक्रमों की सराहना की, जिनसे राज्य को सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाया गया। उन्होंने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और विकास के निरंतर प्रयासों से बस्तर अंचल के आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ने में सफलता मिल रही है।

खनिज संपदा से औद्योगिक शक्ति बनने की यात्रा

राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ को देश का प्रमुख स्टील और ऊर्जा उत्पादक राज्य बताते हुए उन्होंने इस उपलब्धि का श्रेय राज्य के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया। राज्यपाल ने जानकारी दी कि वर्तमान विधानसभा में 19 महिला विधायक हैं, जो कुल सदस्यों का 21.11 प्रतिशत हैं। इसे उन्होंने महिला सशक्तिकरण का श्रेष्ठ उदाहरण बताया और राज्य में महिलाओं की बढ़ती भूमिका की सराहना की।उन्होंने छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को नमन करते हुए कई महापुरुषों का स्मरण किया, जिनमें माता शबरी, गुरु घासीदास, स्वामी विवेकानंद, वीर नारायण सिंह, मिनीमाता आदि प्रमुख हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी विवेकानंद के किशोर जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष छत्तीसगढ़ में बीते, जिसने उनके आत्मिक विकास में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि रजत जयंती वर्ष हमें एक नई ऊर्जा देता है, और यह हमारा सामूहिक संकल्प होना चाहिए कि छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया की पहचान को बनाए रखते हुए राज्य को समान अवसर, सर्वांगीण समृद्धि और सांस्कृतिक गरिमा से युक्त विकसित छत्तीसगढ़ के रूप में आगे ले जाएँ।

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