High court News: पत्नी का बिना कारण वैवाहिक संबंधों से इंकार मानसिक क्रूरता, तलाक मंजूर
High court News: पारिवारिक विवाद से जुड़े एक 14 साल लंबे कानूनी संघर्ष का पटाक्षेप करते हुए हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है।
High court News: बिलासपुर। कोरबा जिले के दंपती की शादी 11 फरवरी वर्ष 2010 में हुई थी। पति एसईसीएल में माइनिंग सरकार के पद पर पदस्थ हैं। पति का आरोप था कि विवाह के कुछ समय बाद से पत्नी ने दांपत्य दायित्वों को निभाने से इंकार कर दिया और संयुक्त परिवार से अलग रहने का दबाव बनाने लगी। इसके बाद वह मायके चली गई और वर्ष 2011 से वहीं निवास कर रही है। पति का कहना था कि उसने कई बार पत्नी को वापस लाने का प्रयास किया, यहां तक कि कोर्ट की शरण भी ली, लेकिन पत्नी तैयार नहीं हुई।
पत्नी के आरोप – दहेज और उत्पीड़न
पत्नी ने दूसरी ओर पति और ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताड़ना, मारपीट और पांच लाख रुपये की मांग करने का आरोप लगाया। उसने 498ए, घरेलू हिंसा और भरण-पोषण से संबंधित मामले भी दर्ज कराए। हालांकि, वर्ष 2021 में अदालत ने पति और उसके परिवार को सभी आरोपों से बरी कर दिया था।
फैमिली कोर्ट ने की थी याचिका खारिज
कोरबा फैमिली कोर्ट ने 2017 में पति की तलाक याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह परित्याग और क्रूरता साबित नहीं कर सका। लेकिन हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच – जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद ने अपने आदेश में कहा कि मौखिक और लिखित साक्ष्यों से स्पष्ट है कि पत्नी ने बिना पर्याप्त कारण वैवाहिक जीवन से दूरी बनाई। 2011 से लगातार अलग रहना और बार-बार मुकदमे दर्ज करना मानसिक और शारीरिक क्रूरता को दर्शाता है।
पत्नी को मिलेगा एकमुश्त भत्ता
हाईकोर्ट ने पति के पक्ष में तलाक की डिक्री जारी करते हुए कहा कि पति एसईसीएल में माइनिंग सरदार के पद पर पदस्थ हैं और उसे पर्याप्त वेतन मिलता है। पत्नी और बेटी पूरी तरह उस पर आश्रित हैं। इसलिए पति को छह माह की अवधि में 15 लाख रुपये एकमुश्त गुजारा भत्ता पत्नी को देना होगा।