High Court News: पिता नहीं बल्कि मामा के पास रहेगा बच्चा, पिता को दी वीडियो कॉल और मुलाकात की अनुमति, कोर्ट ने खारिज की पिता की याचिका
मां की मौत के बाद बच्चा अपने मामा के साथ रह रहा है। बच्चे के पिता ने अपनी पत्नी की मौत के बाद दूसरी शादी कर ली थी। पिता ने बच्चे की कस्टडी पाने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने बच्चे के कल्याण को देखते हुए बच्चे की स्टडी मामा को ही सौंपी है। पिता को वीडियो कॉल में बात करने, त्योहार पर बेटे से मिलने और दो हफ्ते से ज्यादा की छुट्टियों में 5 से 10 दिन बेटे के साथ गुजारने की अनुमति दी है।
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High Court News: बिलासपुर। 8 वर्षीय बच्चे की कस्टडी केस में हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट का फैसला बरकरार रखा है। मां की मौत के बाद से मामा के पास पल रहे बच्चे का पालन–पोषण वहीं होगा। पिता को वीडियो कॉल, छुट्टियों और त्योहारों पर बेटे से मिलने का हक मिला है। पिता की अपील पर जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई।
कबीरधाम में रहने वाले तरण सिंह की पहली पत्नी रागिनी सिंह का 12 मार्च 2017 को प्रसव के कुछ दिन बाद निधन हो गया था। तब से नाबालिग अपने मामा के साथ रह रहा है। मामा ललित सिंह ने बच्चे की कस्टडी को लेकर फैमिली कोर्ट में मामला प्रस्तुत किया। इसमें बताया कि बच्चे के पिता ने पत्नी की मौत के एक साल बाद दूसरी शादी कर ली और उस रिश्ते से उनकी एक बेटी भी है। इसके अलावा बच्चे को अपने साथ ले जाने का कोई प्रयास भी नहीं किया। मामा ने गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट, 1890 के तहत बच्चे की कस्टडी की मांग की थी, जिसे फैमिली कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। परिवार न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कहा कि वे स्वाभाविक अभिभावक है और बेटे का बेहतर परवरिश कर सकते हैं।
हाई कोर्ट ने कहा – बच्चे को ले जाने कोशिश नहीं की
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्क और साक्ष्यों को देखने और सुनने के बाद पाया कि पिता ने कभी बेटे को अपने पास ले जाने की कोशिश नहीं की। बच्चा बचपन से मामा के साथ रह रहा है और वहां सुरक्षित है। इसी आधार पर कोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश बरकरार रखा।
हाईकोर्ट ने बरकरार रखा फैमिली कोर्ट का आदेश-
हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि बच्चे का पालन–पोषण और कल्याण वर्तमान में उसके मामा के पास ही सुरक्षित है। हालांकि, पिता को वीडियो कॉल और छुट्टियों में बेटे से मिलने का हक दिया गया है। यह भी आदेश दिया कि मुलाकात में मामा किसी तरह की रुकावट नहीं डालेंगे और बच्चे का कल्याण सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगा।
पिता को ये अधिकार मिले-
हर शनिवार/रविवार को एक घंटे की वीडियो कॉल या फोन पर बातचीत।
2 हफ्ते से ज्यादा की छुट्टियों में 5–10 दिन बेटे के साथ रहने की अनुमति।
त्योहार पर बेटे से मिलने और समय बिता सकेंगे।