High Court News: बच्चों को परोसा कुत्ते का जूठा खाना, हाई कोर्ट ने कहा- ये लापरवाही नहीं, अपराध है

High Court News: बलौदा बाजार जिले में कुत्ते के द्वारा जूठा किए गए मध्याह्न भोजन को विद्यार्थियों को खिलाने के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई की और इसे गंभीर लापरवाही माना है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि क्या पीड़ित बच्चों को वैक्सीन दी गई, मुआवजा प्रदान किया गया? इसके साथ ही दोषी शिक्षकों और स्व सहायता समूह को क्या सजा दी गई? कोर्ट ने मामले में स्कूल शिक्षा सचिव से हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है।

Update: 2025-08-05 07:37 GMT

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High Court News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक के लच्छनपुर मिडिल स्कूल में मिड-डे मील में कुत्ते द्वारा जूठा किया गया भोजन 83 बच्चों को परोसने की घटना पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तीखी नाराज़गी जताई है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने इसे अत्यंत गंभीर लापरवाही और अमानवीय कृत्य करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि बच्चों को परोसा जाने वाला भोजन सिर्फ योजना की औपचारिकता नहीं, बल्कि यह उनके स्वास्थ्य, गरिमा और जीवन सुरक्षा से जुड़ा विषय है। अदालत ने इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को 19 अगस्त तक व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

क्या है पूरा मामला

28 जुलाई 2025 को लच्छनपुर स्कूल में मिड-डे मील के दौरान ऐसा भोजन परोसा गया जिसे एक आवारा कुत्ता पहले ही जूठा कर चुका था। इस बात की जानकारी बच्चों ने अपने अभिभावकों को दी, जिसके बाद स्कूल समिति की बैठक हुई और दबाव में आकर 83 छात्रों को एंटी रेबीज वैक्सीन दी गई। हालांकि, एक रिपोर्ट में यह संख्या 78 बताई गई है, जिससे आंकड़ों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

कोर्ट ने उठाए ये सवाल-

क्या सभी प्रभावित छात्रों को समय पर वैक्सीन दी गई?

दोषी स्व-सहायता समूह और शिक्षकों पर क्या कार्रवाई हुई?

क्या बच्चों को मुआवजा दिया गया?

भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए क्या ठोस व्यवस्था की गई?

स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है हाईकोर्ट-

यह मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा स्वत: संज्ञान में ली गई जनहित याचिका के रूप में विचाराधीन है। इससे पूर्व कोर्ट द्वारा नियुक्त आयुक्त की रिपोर्ट के आधार पर महिला एवं बाल विकास विभाग और बलौदाबाजार जिला प्रशासन से भी व्यक्तिगत हलफनामा मांगा गया था।

यह अपराध-

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रेबीज एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिसका संक्रमण एक बार हो जाने पर उसका इलाज संभव नहीं होता। इस लिहाज से कुत्ते के जूठे भोजन को परोसना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि बच्चों की जान को जानबूझकर खतरे में डालने जैसा अपराध है।

अगली सुनवाई 19 अगस्त को-

अब शिक्षा सचिव को आगामी 19 अगस्त 2025 तक हलफनामा देकर जवाब देना होगा कि इस गंभीर घटना पर प्रशासन की क्या कार्रवाई और तैयारी है। कोर्ट ने दोहराया कि इस एक घटना से राज्य की योजनाओं की साख और बच्चों के जीवन पर सीधा असर पड़ा है।

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