घोटालों का JD? स्कूल शिक्षा विभाग के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा जेडी ऑफिस, घपलों, घोटालों के अलावा और कोई काम नहीं

Ghotalon ka JD? छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग में कसावट के लिए संयुक्त संचालक याने ज्वाइंट डायरेक्टर ऑफिस बनाए गए। मगर छोटे जिले होने के बाद जेडी आफिस का अब कोई तुक नहीं रह गया है। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग में जितने बड़े घोटाले हुए हैं, सबके तार जेडी आफिस से जुडे़ रहे हैं।

Update: 2024-05-28 13:32 GMT

Ghotalon ka JD? रायपुर। राजस्व संभाग की तरह छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा में भी पांच संभाग हैं। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और सरगुजा। पांचों जेडी ऑफिस में क्या चल रहा है, यह इससे समझा जा सकता है कि शिक्षक पदोन्नति घोटाले में पांच में से चार जेडी सस्पेंड किए जा चुके हैं।

संभागों में इस सोच के साथ जेडी आफिस स्थापित किया गया था की इसकी स्थापना के बाद स्कूल शिक्षा विभाग में कसावट आएगी और शिक्षा विभाग को इससे लाभ होगा और शिक्षकों को भी अपनी समस्याओं के लिए भटकना नहीं होगा। लेकिन हुआ ठीक इसके उलट....स्कूल शिक्षा विभाग के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक कालिख पोताई वाली कोई घटना हुई है तो वह घटना है पदोन्नति घोटाला जिसमें करोड़ों के वारे न्यारे हुए। हजारों की संख्या में शिक्षक और उनका परिवार परेशान हुआ। कई शिक्षक तो इसके टेंशन में काल के गाल में समा गए और भ्रष्टाचार का आलम देखिए कि यह मामला केवल एक संभाग का नहीं था बल्कि पांचो संभाग में एक जैसी घटना घटी और सभी जेडी कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी इसमें लिप्त नजर आए। निलंबन की कार्रवाई भी हुई। लेकिन सभी दोषियों की फिर विभाग में वापसी हो गई और बेचारे शिक्षक लाखों रुपए खोकर भी न्याय नहीं पा सके। वह तो भला हो उच्च न्यायालय का, जिसने शिक्षकों को देर से ही सही लेकिन राहत दे दी वरना जेडी ऑफिस के चक्कर में वह तमाम शिक्षक पीस कर रह गए जिनका नाम पदोन्नति सूची में शामिल था जिन्होंने पैसा दिया वह संशोधन के खेल में बुरी तरह परेशान रहे और जिन्होंने पैसा नहीं दिया वह आज भी दूर दराज में अपनी सेवा देने को विवश है और इस पूरे खेल का सेंटर था जेडी कार्यालय...... यह केवल एक मामला नहीं है इससे पहले नई पोस्टिंग में भी यही खेल हुआ था बिलासपुर में, जहां जेडी ऑफिस से सूची बाहर निकली और उसके बाद दलाल शिक्षकों ने नवनियुक्त शिक्षकों को सही जगह पर पोस्टिंग दिलाने के नाम पर खेल खेलना शुरू किया।

उस मामले में तो कुछ शिक्षकों की गिरफ्तारी भी हुई और उस खेल का भी केंद्र बिंदु भी जेडी कार्यालय बिलासपुर ही था। बिलासपुर के मामले में ऑडियो वायरल हो गया इसलिए प्रकरण सामने आ गया बाकी जगहों पर भी पोस्टिंग के नाम पर जमकर खेला हुआ तो यदि यह कहा जाए की जेडी कार्यालय लेनदेन का अड्डा बन चुका है तो गलत नहीं होगा ।

जेडी आफिस का कोई तुक नहीं

शिक्षा विभाग में कसावट और सरलीकरण के लिए बना जेडी कार्यालय अपने मूल उद्देश्य से कोसों दूर है। ऐसे दर्जनों गंभीर मामले हैं जिनमे फाइल कार्यालय में धूल खा रही है। और ऐसे कई मामले हैं जिनमें व्यक्तिगत लाभ देखकर मामला रफा दफा कर दिया गया है। संभाग का निरीक्षण और स्कूलों में आमूलचूल परिवर्तन की तो बात ही मत कीजिए उसके लिए तो अधिकारी कार्यालय में है ही नहीं । कुल मिलाकर स्थिति वही है जो जेडी कार्यालय के स्थापना के पूर्व थी। आत्मानंद स्कूलों में बिल्डिंग से लेकर फर्नीचर तक में कमीशन का जबरदस्त खेल हुआ लेकिन जेडी कार्यालय जिनके नाक के नीचे यह सब होता रहा उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगी। मामला जब मीडिया में आया तब जाकर शासन को इसकी जानकारी लगी। सभी जेडी कार्यालय में सेटअप के अनुसार और कई में तो उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत है जो शासन से मोटी तनख्वाह पा रहे हैं और शासन के लिए सफेद हाथी साबित हो रहे हैं क्योंकि इनके स्थापना में जो राशि खर्च हो रही है उसका कोई फायदा शासन को मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। शिक्षा विभाग के जानकारों का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग के रहनुमाओं को यह आवश्यक सोचना चाहिए कि जिन चीजों को लेकर विभाग खुलकर पैसे लूटा रहा है इसका लाभ स्कूल शिक्षा विभाग को मिल भी रहा है या नहीं?

Full View

Tags:    

Similar News