Coal Scam: कोयला घोटाला; CJM ने EOW डायरेक्टर, ASP व DSP को नोटिस जारी कर मांगा जवाब, पूर्व सीएम भूपेश बघेल बोले...

Coal Scame: छत्तीसगढ़ कोल स्कैम केस में सीजेएम ने EOW के डायरेक्टर, ASP और DSP को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Update: 2025-10-12 10:49 GMT

Coal Scame: रायपुर। कोयला घोटाला में बड़ा अपडेट सामने आया है। CJM मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने EOW को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जांच एजेंसी के अफसरों ने अदालत के सामने आरोपी निखिल चंद्राकर का बयान दर्ज कराने के बजाय पहले से तैयार टाइप्ड बयान कोर्ट में पेश कर दिया। इस पर कोर्ट ने EOW-ACB के निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

स्पेशल कोर्ट में कोल स्कैम के मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इसी दौरान अफसरों ने कोर्ट में पहले से टाइप किये हुए बयान वाले दस्तावेज पेश कर दिया। सूर्यकांत तिवारी के वकीलों ने इसका विरोध किया। हाई कोर्ट में भी EOW-ACB क इसी तरह की शिकायत की गई है।

स्पेशल कोर्ट ने EOW-ACB के निदेशक अमरेश मिश्रा, उप पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंद्रेश ठाकुर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पूर्व CM भूपेश बघेल ने भी जांच एजेंसी पर सवाल उठाए हैं।

पूर्व सीएम ने X प्लेटफार्म पर लिखा कि जांच एजेंसियां झूठे बयान और सबूत खुद बनाने लगी हैं क्या? किसी को भी फंसाने के लिए अब जांच एजेंसियां सुपारी ले रही हैं क्या? जांच एजेंसी EOW/ACB पर झूठे साक्ष्य बनाकर अदालत के साथ आपराधिक धोखाधड़ी की शिकायत बेहद गंभीर है।

कोर्ट में इस्तेमाल होने वाली भाषा मे नहीं है बयान की कॉपी

कोल घोटाले में आरोपी सूर्यकांत तिवारी की जमानत पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान EOW, ACB ने कोर्ट में कुछ दस्तावेज पेश किए। इन दस्तावेजों में सह आरोपी निखिल चंद्राकर का बयान भी शामिल था, जिसे EOW ने कोर्ट को धारा 164 के तहत रिकॉर्ड किया गया बताया। शिकायतकर्ता गिरीश देवांगन के मुताबिक कोर्ट में जब निखिल चंद्राकर के बयान की कॉपी सूर्यकांत तिवारी के वकीलों को दी गई, तो उसमें कई गड़बड़ियां सामने आईं। इससे EOW, ACB पर झूठे तरीके से साजिश रचने का शक हुआ, जो प्रति कोर्ट को दी गई वह उस भाषा में नहीं है जो आमतौर पर कोर्ट में इस्तेमाल होती है। उसमें जो फॉन्ट इस्तेमाल हुआ है, वह भी कोर्ट में इस्तेमाल होने वाला फॉन्ट नहीं है। वह फॉन्ट तो छत्तीसगढ़ की अदालतों में कभी उपयोग में लाया ही नहीं जाता।

पेनड्राइव में लाकर कोर्ट में जमा कर दिया

गिरीश देवांगन ने आरोप लगाया कि EOW की गड़बड़ियों से साफ जाहिर होता है कि बयान कोर्ट में नहीं बल्कि बाहर किसी कंप्यूटर पर तैयार किया गया, फिर उसे पेनड्राइव में लाकर कोर्ट में जमा कर दिया गया। मजिस्ट्रेट के सामने निखिल चंद्राकर का बयान दर्ज नहीं कराया गया, बल्कि बाहर तैयार की गई फाइल को ही उसका बयान बताकर जमा कर दिया गया। शिकायतकर्ता ने कहा कि इस तरह की गड़बड़ी से साफ पता चलता है कि ईओडब्लू/एसीबी ने दस्तावेजों की कूटरचना (फर्जीवाड़ा) की है। इसलिए इस मामले की गंभीरता से जांच कर जरूरी कार्रवाई की मांग की जा रही है।

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