सिम्स में तमाशा: डीन क़े निलंबन और स्टे से सिम्स में खड़ा हुआ बखेड़ा, मंत्री से गलत आदेश तो नहीं कराया गया?

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आदेश के बाद सिम्स के डीन के निलंबन को लेकर प्रशासनिक के साथ ही सियासत भी सरगर्म होने लगी है। सवाल यह है कि स्वास्थ्य मंत्री को वस्तुस्थिति क्यों नहीं बताई गई कि जैसा वे आदेश जारी कर रहे हैं. इस तरह का निलंबन नहीं होता। मंत्री के सलाहकारों ने अगर सही सलाह दी होती तो इस तरह सिस्टम की भद नहीं पिटती। मंत्री के निर्देश के बाद जारी आदेश में मीटिंग में अनुपस्थिति का हवाला देते हुए डीन को निलंबित किया गया था। इसी में मामला फंस गया। हाई कोर्ट के आदेश के बाद सिम्स में अब कुर्सी की लड़ाई छिड़ गई है।

Update: 2024-10-27 09:42 GMT

बिलासपुर। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के निर्देश के बाद सिम्स के डीन डॉ केके सहारे को राज्य शासन ने निलंबित कर दिया था। शासन के आदेश को चुनौती देते हुए डा सहारे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने शासन के निलंबन आदेश काे रद कर दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद सिम्स में अब दो डीन काबिज हो गए हैं। शासन ने डॉ सहारे को निलंबित करने के साथ ही डॉ अर्चना सिंह को प्रभारी डीन के पद पर पदस्थ कर दिया है। अब दोनों के बीच डीन की कुर्सी को लेकर विवाद छिड़ गया है।

दो दिन पहले डा सहारे और डॉ सिंह के बीच पद को लेकर विवाद छिड़ गया। सुबह के वक्त सबसे पहले प्रभारी डीन डा सिंह आफिस पहुंची,तकरीबन आधे घंटे बाद डा सहारे भी पहुंच गए। डा सहारे जब चेंबर पहुंचे तब डीन की कुर्सी पर डा सिंह बैठकर फाइल निपटा रही थी। बस फिर क्या था, दोनों के बीच विवाद की स्थिति बन गई। हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए डा सहारे ने चेंबर से बाहर जाने की बात कह दी। डा सिंह ने मना कर दिया। इस पर डा सहारे बगल की कुर्सी पर बैठ गए। कुछ देर बाद स्वशासी कमेटी के अध्यक्ष के कक्ष में चले गए।

0 राज्य शासन का अब तक नहीं आया आदेश

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले के बाद सिम्स में डीन की कुर्सी और चेंबर को लेकर दो अधिकारियों के बीच विवाद की स्थिति बनी हुई है। अचरज की बात ये है कि राज्य शासन की ओर से अब तक किसी तरह का आदेश नहीं आया है। डा अर्चना सिंह का कहना है कि राज्य शासन के आदेश से प्रभारी डीन की हैसियत से काम कर रही हैं। शासन को तय करना है कि डा सहारे और उनकी आगे क्या भूमिका रहेगी।

0 अफसरों के विवाद में कर्मचारियों की बढ़ी परेशानी

दोनों अधिकारियों के बीच जारी विवाद के चलते सिम्स के कर्मचारियों और चिकित्सकों की परेशानी बढ़ गई है। बताया जाता है कि दोनों ही अधिकारी कर्मचारियों को यह हिदायत दे रखे हैं कि शासन स्तर से आने वाले महत्वपूर्ण आदेश के साथ ही फाइल उनके टेबल पर आनी चाहिए। इसे लेकर अब असमंजस की स्थिति बनती जा रही है।

0 एक फाइल पर दो-दो हस्ताक्षर

सिम्स में चर्चा इस बात की भी है कि बतौर डीन दोनों अधिकारी एक ही फाइल पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है जब फाइलों पर दो डीन के हस्ताक्षर हो रहे हैं। कर्मचारी भी असमंजस में है कि किसकी बात मानें और किसे इन्कार करें।

0 पढ़िए ये क्या कह रहे

डा केके सहारे

हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते बताते हैं कि कोर्ट ने राज्य शासन द्वारा जारी निलंबन आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद स्वाभाविकतौर पर डीन का प्रभार मैं ही लूंगा, बतौर डीन फाइलें भी निपटाने का अधिकार मुझे है। प्रभारी डीन डा अर्चना सिंह का कहना है कि राज्य शासन के आदेश पर प्रभारी डीन की हैसियत से वे कामकाज कर रही हैं। जब तक शासन का आदेश नहीं आ जाता वे अपना कामकाज करती रहेंगी।

0 मंत्री का आदेश जिससे पिट रही सिस्टम की भद

बता दें 24 सिंतबर को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल सिम्स के शासी निकाय की बैठक ले रहे थे। इस दौरान डीन डा सहारे अनुपस्थित थे। अफसरों ने मंत्री को पूरी बात नहीं बताई और सीधेतौर पर जानबुझकर ना आने की बात उनके कान पर कह दी गई। सलाहकारों की बातों पर भरोसा करते हुए नाराज मंत्री ने सीधे निलंबित करने आदेश सुना दिया। यही नहीं, आदेश में अनुपस्थिति का उल्लेख किया गया. जबकि, कथित तौर पर भाई क़े निधन क़े बाद वे छुट्टी पर थे. जैसा कि उनका दावा है, स्वास्थ्य आयुक्त कार्यालय को उन्होंने मेल किया था. इसी आधार पर कोर्ट से उन्हें राहत मिल गई.

0 क्या है मामला

राज्य शासन के आदेश को चुनौती देते हुए डा सहारे ने अपनी याचिका में कोर्ट को जानकारी दी कि 22 सितंबर 2024 को उन्होंने चिकित्सा शिक्षा आयुक्त के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। इसमें अपने भाई के निधन होने के कारण तीन दिन की छुट्‌टी ली थी।

डा सहारे ने कोर्ट को बताया कि भाई के निधन की जानकारी देने के बाद भी दुर्भावनावश उन्हें निलंबित किया गया है। नियमों के अनुसार किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को अनुपस्थित होने पर कारण बताना पड़ता है। पर्याप्त कारण के अभाव में अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान है। उसने पहले ही छुट्‌टी पर जाने का कारण बता दिया था। इसके बावजूद उन्हें निलंबित कर दिया गया।

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