Chaitanya Baghel: चैतन्य बघेल पर ईडी का बड़ा खुलासा, प्रेसनोट जारी कर कहा-16.70 करोड़ रूपये की अवैध कमाई को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में खपाया...
Chaitanya Baghel: छत्तीसगढ़ में 2500 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को भी भारी भरकम राशि मिली है। चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपये की राशि मिली। इस राशि का उपयोग उसने रियल स्टेट के धंधे में किया है। ईडी ने प्रारंभिक जांच पड़ताल में इस तरह का खुलासा किया है।
Chaitanya Baghel: रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच 00 करोड़ रुपये का शराब घोटाला हुआ है। ईडी ने दावा किया है कि शराब घोटाले से बड़ी धन राशि पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को मिला है। 16.70 करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर चैतन्य को मिला। ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए उसने इसे अपने रियल स्टेट के धंधे में लगा दिया।
ईडी ने जांच में दावा किया है कि चैतन्य बघेल ने पीओसी का उपयोग अपने प्रोजेक्ट के ठेकेदार को नकद भुगतान, नकदी के खिलाफ बैंक प्रविष्टियों आदि के माध्यम से किया गया था। उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ भी मिलीभगत की और अपनी कंपनियों का उपयोग एक योजना तैयार करने के लिए किया जिसके अनुसार उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के नाम पर अपने "विट्ठलपुरम प्रोजेक्ट" में फ्लैटों की खरीद की आड़ में अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), रायपुर जोनल कार्यालय ने 2019 से 2022 के बीच हुए शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को धन शोधन निवारण अधिनियम PMLA 2002 के प्रावधानों के तहत 18 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया है। उन्हें विशेष न्यायालय (पीएमएलए), रायपुर के समक्ष पेश किया गया और न्यायालय ने 5 दिनों के लिए यानी 22 जुलाई 2025 तक ईडी की हिरासत प्रदान की है।
छत्तीसगढ़ राज्य में हुए शराब घोटाले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू, रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की। पुलिस जांच से पता चला है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और अनुसूचित अपराधों से अर्जित 2500 करोड़ रुपये से अधिक की आपराधिक आय POC लाभार्थियों की जेबों में भर गई।
ईडी की जांच से पता चला है कि चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपये की POC प्राप्त हुई थी। उन्होंने उक्त पीओसी को मिलाने के लिए अपनी रियल एस्टेट फर्मों का इस्तेमाल किया था। यह पता चला है कि उन्होंने पीओसी की उक्त नकद राशि का उपयोग अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के विकास में किया था। पीओसी का उपयोग उनके प्रोजेक्ट के ठेकेदार को नकद भुगतान, नकदी के खिलाफ बैंक प्रविष्टियों आदि के माध्यम से किया गया था। उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ भी मिलीभगत की और अपनी कंपनियों का उपयोग एक योजना तैयार करने के लिए किया जिसके अनुसार उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के नाम पर अपने "विट्ठलपुरम प्रोजेक्ट" में फ्लैटों की खरीद की आड़ में अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। बैंकिंग ट्रेल है जो इंगित करता है कि लेनदेन की प्रासंगिक अवधि के दौरान, त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त किया।
1000 करोड़ रुपये से अधिक के POC को सुरक्षित रखने का भी है गंभीर आरोप
ईडी ने दावा किया है कि चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले से उत्पन्न 1000 करोड़ रुपये से अधिक के पीओसी (POC) को संभालन कर रखा है। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष को पीओसी हस्तांतरित करने के लिए अनवर ढेबर और अन्य के साथ समन्वय करते थे। ईडी द्वारा की गई जांच से पता चला है कि इस शराब घोटाले से प्राप्त धनराशि को आगे निवेश के लिए बघेल परिवार के प्रमुख सहयोगियों को भी सौंप दिया गया था। इस धनराशि के अंतिम उपयोग की आगे जांच की जा रही है।
शराब घोटाले में अब तक गिरफ्तारी
अनिल टुटेजा (पूर्व आईएएस), अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी (आईटीएस) और कवासी लखमा (विधायक और छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी मंत्री) को ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था।
छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे को ईडी की टीम ने 18 जुलाई को गिरफ्तार कर रायपुर कोर्ट में पेश था, जहां से उन्हें पांच दिनों की रिमांड पर कोर्ट ने ईडी को सौंप दिया है। अब ईडी ने चैतन्य बघेल को लेकर प्रेसनोट जारी किया है, नीचे पढ़ें जारी प्रेसनोट
''चैतन्य बघेल, पुत्र भूपेश बघेल (छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम) को शराब घोटाला मामले में 18.07.2025 को (जो 2019 से 2022 के बीच हुआ) धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया है। उन्हें विशेष न्यायालय (पीएमएलए), रायपुर के समक्ष पेश किया गया और माननीय न्यायालय ने 5 दिनों के लिए यानी 22.07.2025 तक ईडी की हिरासत प्रदान की है। ईडी ने छत्तीसगढ़ राज्य में शराब घोटाले में आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू, रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की।
अनुसूचित अपराधों के कमीशन द्वारा उत्पन्न 2500 करोड़ रुपये की अपराध आय (पीओसी)। ईडी की जांच से पता चला है कि चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपये की पीओसी प्राप्त हुई थी। उन्होंने उक्त पीओसी को मिलाने के लिए अपनी रियल एस्टेट फर्मों का इस्तेमाल किया था। यह पता चला है कि उन्होंने पीओसी की उक्त नकद राशि का उपयोग अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के विकास में किया था। पीओसी का उपयोग उनकी परियोजनाओं के ठेकेदार को नकद भुगतान, नकदी के खिलाफ बैंक प्रविष्टियों आदि के माध्यम से किया गया था। उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ भी मिलीभगत की और अपनी कंपनियों का उपयोग एक योजना तैयार करने के लिए किया जिसके अनुसार उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के नाम पर अपने "विट्ठलपुरम प्रोजेक्ट" में फ्लैटों की खरीद की आड़ में अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
बैंकिंग ट्रेल है जो इंगित करता है कि लेनदेन की प्रासंगिक अवधि के दौरान, त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त किया वह छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष को पीओसी हस्तांतरित करने के लिए अनवर ढेबर और अन्य लोगों के साथ समन्वय करता था। ईडी द्वारा की गई जाँच से पता चला है कि इस शराब घोटाले से प्राप्त धनराशि को आगे निवेश के लिए बघेल परिवार के प्रमुख सहयोगियों को भी सौंप दिया गया था।
इस धनराशि के अंतिम उपयोग की आगे जाँच की जा रही है। इससे पहले, अनिल टुटेजा (पूर्व आईएएस), अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी (आईटीएस) और कवासी लखमा (विधायक और छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी मंत्री) को ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था। आगे की जाँच जारी है।''