CG Yuktiyuktkaran: युक्तियुक्तकरण में गड़बड़ी, सर्व शिक्षक संघ ने कलेक्टर, डीईओ को सौंपा ज्ञापन
युक्तियुक्तकरण में भारी गड़बड़ी की शिकायत करते हुए सर्व शिक्षक संघ ने कलेक्टर और डीईओ को ज्ञापन सौंपा. शिक्षकों के अभ्यावेदन का परीक्षण कर उचित निराकरण की मांग की.
बिलासपुर। बिलासपुर में 04जून को जिला स्तरीय एवं 7 जून को संभाग स्तरीय युक्तियुक्तकरण के तहत शिक्षकों का काउंसलिंग किया गया था जिसमें विसंगतियों को लेकर शिक्षकों में भारी आक्रोश है। दूसरी तरफ जब शिक्षक अपनी समस्याओं को लेकर अधिकारियों के पास जा रहे हैं तो अधिकारी उनकी समस्याओं को सुनने को भी तैयार नहीं हैं। सर्व शिक्षक संघ ने युक्तियुक्तकरण से नियम विरुद्ध प्रभावित शिक्षकों के साथ मिलकर आज जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. कलेक्टर की अनुपस्थिति में अतिरिक्त क्लेक्टर रंजीत बनर्जी को ज्ञापन दिया गया।
सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप पाण्डेय ने बताया कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में बिलासपुर जिले में ढेरों विसंगतियां निकलकर सामने आ रही है, और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण विषय यह है कि इन मामलों में सुनवाई नहीं हो रही है. शिक्षक अभ्यावेदन प्रस्तुत कर चुके हैं और उनके प्रकरण का निराकरण करने के बजाय उन्हें कार्यमुक्त होकर नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने के लिए कहा जा रहा है । अतः आज हमने अधिकारियों के समक्ष शिक्षकों द्वारा प्राप्त कई गड़बड़ियों को दस्तावेजी प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया है और निवेदन किया है कि इन प्रकरणों की सूक्ष्मता से जांच कर शिक्षकों को न्याय मिलना सुनिश्चित करें ।
इस तरह की मिल रही गड़बड़ियां-
1. शासकीय प्राथमिक शाला सीपत , संकुल केंद्र जांजी में महिला शिक्षिका सुनीता जायसवाल की प्रथम नियुक्ति 21 जून 2008 है और संस्था में उनका नियुक्ति दिनांक भी वही है । वहां पदस्थ पांच शिक्षकों में से संस्था में सुनीता जायसवाल सबसे वरिष्ठ है बावजूद इसके उन्हें अतिशेष बताकर उनका स्थानांतरण कर दिया गया है।
2. शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सरवानी में पदस्थ भौतिकी के व्याख्याता श्री घनश्याम जायसवाल का प्रशासनिक स्थानांतरण 2022 में संस्था में हुआ था और उस संस्था में पहले से कार्यरत व्याख्याता श्री राजेश तिवारी का स्थानांतरण जिला मुंगेली हुआ था । इसके विरुद्ध राजेश तिवारी 2 बार न्यायालय गए थे और पहली बार में उन्हें तत्कालीन सत्र तक के लिए स्टे मिला था और समिति के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने को कहा गया था । विभागीय समिति ने उनके अभ्यावेदन को अमान्य कर दिया था और इसके बाद उन्होंने पुनः न्यायालय की शरण ली थी जहां न्यायालय ने उन्हें बिना कोई राहत दिए उनके मामले को खारिज कर दिया था और स्टे को भी समाप्त कर दिया था । ऐसे में उनका स्थानांतरण मुंगेली किया जाना था लेकिन ऐसा न करके वर्तमान में अतिशेष की सूची में श्री घनश्याम जायसवाल को लाया गया और श्री राजेश तिवारी को सुरक्षित कर लिया गया जो कि नियम विरुद्ध है और सीधे तौर पर श्री घनश्याम जायसवाल के साथ अन्याय हैं।
3. शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बहतराई में पदस्थ रसायन की व्याख्याता सुनंदा डोंटे का प्रशासनिक स्थानांतरण सन 2022 में बहतराई में हुआ था , उस संस्था में पहले से कार्यरत रसायन के व्याख्याता विनय तिवारी न्यायालय से स्टे के आधार पर विद्यालय में कार्यरत हैं । अतः ऐसे में सुनंदा डोंटे को अतिशेष माना गया लेकिन अतिशेष की सूची तैयार करते समय उन्हें महिलाओं के क्रम में सबसे अंत में रखा गया जबकि उनकी प्रथम नियुक्ति सन 2008 और जिले में नियुक्ति 2012 है । गौरतलब है कि चाहे फिजिक्स की सूची हो या रसायन की सभी में क्रम का निर्धारण उनकी प्रथम नियुक्ति तिथि से किया गया है लेकिन सुनंदा के क्रम का निर्धारण उनके बहतराई स्कूल में कार्यभार ग्रहण दिनांक से किया गया जिसके कारण जिसे लिस्ट में सबसे ऊपर होना था वह सबसे नीचे पहुंच गई और सीधे तौर पर इस एक चूक के कारण उसे सही स्कूल नहीं मिल सका जो उसका हक था , यह आश्चर्यचकित करने वाला विषय है कि जिसने यह लिस्ट तैयार किया था उसने केवल उसी के क्रम का निर्धारण वर्तमान स्कूल में कार्यभार ग्रहण के आधार पर कैसे किया।
4. सुनंदा के समान ही शासकीय प्राथमिक शाला चांटीडीह विकासखंड बिल्हा में कार्यरत सहायक शिक्षक दिनेश सिंह उईके की नियुक्ति कोटा विकासखंड में 22/ 6 /2008 को हुई थी तत्पश्चात सविलियन उपरांत उनका स्थानांतरण सन 10/09/ 2022 को विकासखंड बिल्हा के चांटीडीह स्कूल में हुआ और इनके वरिष्ठता क्रम का निर्धारण करते हुए भी इनका चांटीडीह स्कूल में कार्यभार ग्रहण दिनांक लिया गया जबकि इनका तो स्थानांतरण भी संविलियन उपरांत हुआ है और जिला केडर होने के कारण इनकी वरिष्ठ भी प्रभावित नहीं हुई है। वरिष्ठता का निर्धारण उनकी प्रथम नियुक्ति से किया जाना था जैसा अन्य शिक्षकों का किया गया है उस स्थिति में यह ऊपर के क्रम में होते किंतु सूची में इनका ही नाम स्कूल में कार्यभार ग्रहण दिनांक से लिया गया जो कि गलत है।
5. शासकीय कन्या हाईस्कूल बैमा को शासकीय बालक हायर सेकेंडरी स्कूल बैमा के साथ एक परिसर में होना बताकर मर्ज किया गया है जबकि वास्तविकता में दोनों संस्थाएं अलग-अलग परिसर में स्थित है और दोनों रोड के अलग-अलग दिशाओं में स्थित है जबकि इन्हें एक परिसर में संचालित शाला बताकर गलत तरीके से इन्हें मर्ज किया गया है । एक पल के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्कूल को दूरस्थ अंचल का स्कूल भी मान लिया जाए तो भी यह युक्तियुक्तकरण के किसी भी नियम के तहत मर्ज होने योग्य नहीं था क्योंकि उपरोक्त स्कूल में दर्ज संख्या 90 है जबकि कलेक्टर महोदय को उसी स्थिति में अलग-अलग परिसर को मर्ज करने का अधिकार दिया गया था जब शाला की दर्ज संख्या 10 से कम हो। इस प्रकार दोनों स्कूलों का मर्ज होना और वहां के प्राचार्य और व्याख्याता को अतिशेष बताकर उनका स्थानांतरण किया जाना गलत है।
6. शासकीय प्राथमिक शाला भरारी विकासखंड बिल्हा की महिला शिक्षिका लक्ष्मी बृजवासी की वरिष्ठता का भी निर्धारण गलत किया गया है जिसके कारण वह अतिशेष होकर स्कूल से बाहर हो गई हैं और उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन पर भी किसी प्रकार का कोई विचार नहीं किया गया है।
7. इसी प्रकार स्वामी आत्मानंद के कुछ स्कूलों के कुछ शिक्षकों को अतिशेष मानकर उनका स्थानांतरण किया गया है जबकि वहीं शहर के आत्मानंद स्कूलो में एक ही विषय के शिक्षकों की संख्या अधिक होने के बाद भी उनका नाम अतिशेष सूची में नहीं आया है जो कि सीधे तौर पर नियम विरुद्ध है।
पूर्व में शिक्षकों द्वारा अपना अभ्यावेदन व्यक्तिगत रूप से अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है उन सभी अभ्यावेदनों पर विचार कर नियमानुसार उसका निराकरण कर उसकी कॉपी संबंधित शिक्षक को प्रदान करने की मांग किया है, ताकि उसे भी यह ज्ञात हो सके कि उसके प्रकरण को किन नियमों के तहत मान्य /अमान्य किया गया है। कलेक्टर के द्वारा समस्त शिक्षकों को यह भरोसा दिया गया था की युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शी तरीके से और निष्पक्षता के साथ होगी और दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होगी। युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में जानबूझकर गंभीर लापरवाही का आरोप संघ ने लगाया है।