CG शराब ठेकेदारों के पंडों की गुंडागर्दी रोकने अमर अग्रवाल ने जब शराब नीति बदल दी थी, पहले ही साल 1000 करोड़ का रेवेन्यू बढ़ा

बिलासपुर में शराब ठेकेदारों के बीच वर्चस्व की लडाई में जब आए दिन गोलियां चलने लगी तो तत्कालीन आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल ने बड़ा कदम उठाते हुए शराब नीति बदलकर ठेकेदारों के धंधा पानी खतम कर दिया था। इससे पहले ही साल एक हजार करोड़ का राजस्व बढ़ गया। मगर अमर को इसका राजनीतिक खामियाजा उठाना पड़ा।

Update: 2024-06-20 15:03 GMT

रायपुर। विष्णुदेव साय सरकार ने लोगों के मुंह पर ताला लगाते हुए बिचैलियों का सिंडिकेट खतम कर दिया है। पिछली सरकार ने ब्रेवरेज कारपोरेशन के जरिये शराब खरीदने की बजाए टेंडर कर लोकल बिचैलियों से शराब खरीदना प्रारंभ कर दिया था। इसमें बड़ा गोलमाल की खबर है। ईडी इसकी जांच कर रही है, उधर छत्तीसगढ़ की जांच एजेंसी ईओडब्लू भी अब शिकंजा कस रही है। बहरहाल, बिचैलियों के लायसेंसी सिस्टम खतम करने से छत्तीसगढ़ में न केवल अब लोगों को पसंदीदा शराब मिलने लगेगी बल्कि सस्ती भी होगी। पिछली सरकार में ब्रांडेड शराब की काफी किल्लत हो गई थी। चूकि बिचैलियो शराब सप्लाई कर रहे थे, इसलिए उन्होंने अपना मोनोपल्ली चलाया। जिस कंपनी से अधिक कमीशन मिलता था, उस कंपनी की शराब सप्लाई की जाती थी। छत्तीसगढ़ के शराब प्रेमियों की मजबूरी थी कि जो मिल रहा, उसे खरीदकर सेवन करें। दिसंबर में सरकार बदली तो भी यह सिस्टम बदस्तूर जारी रहा। मगर कल विष्णुेदेव कैबिनेट ने बिचैलिये का सिस्टम बंद कर दिया। अब सरकार सीधे शराब कंपनियों से शराब खरीदेगी। इससे बिचैलियों का कमीशन बचेगा, जिससे शराब अब सस्ती हो जाएगी।

इस वजह से बदली ठेकेदारी प्रथा

छत्तीसगढ़ में 2016 से पहले तक शराब में ठेकेदारी प्रथा चल रही थी। ठेकेदारों को जिलों की दुकानें अलाट किया जाता था। इसके लिए हर साल फरवरी में बोली लगाई जाती थी, जिसे कलेक्टर अंजाम देते थ्ेो। अंजाम देने का आशय यह कि कलेक्टर की मौजूदगी में शराब दुकानों की बोली लगाई जाती थी। तब छत्तीसगढ़ में शराब ठेकेदारों के पंडों का बड़ा आतंक होता था। छत्तीसगढ़ के शराब ठेकेदार बिहार, यूपी के लठैतों को महंगे पगार पर रखते थे और उनसे सारे अवैध काम करवाते थे। वे बात-बात पर मारपीट पर उतारु हो जाते थे।

लगातार दो साल गोली चली

शराब ठेकेदारों में वर्चस्व की लड़ाई इतनी बढ़ गई कि बिलासपुर में ठेकेदारों के पंडों के बीच 2015 और 2016 में कई बार बीच सड़क पर खूनी संघर्ष हो गया। दो बार गोली चल गई। इससे न केवल बिलासपुर बल्कि छत्तीसगढ़ भी सहम गया था। इसके बाद तत्कालीन आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल ने शराब ठेकेदारों की गंुडागर्दी बंद करने के विषय में तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ0 रमन सिंह से बात की। रमन भी पंडों की रंगदारी और गुंडागर्दी से दुखी थे। उन्होंने ओके कर दिया। इसके बाद अमर ने नई शराब नीति बनाकर शराब ठेेकेदारों को सड़क पर ला दिया। राज्य सरकार ने ठकेदारी प्रथा बंद कर खुद लगी शराब खरीदने। हालांकि, सरकार शराब बेचेगी, लोगों को अटपटा लगा मगर सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि पहले ही साल शराब के रेवेन्यू में एक हजार करोड का इजाफा हो गया। और हमेशा के लिए छत्तीसगढ़ शराब ठेकेदारों के पंडों के आतंक से मुक्त हो गया।

सड़क पर आ गए शराब ठेकेदार

सरकार द्वारा ठेकेदारी सिस्टम बंद करने के बाद शराब ठेकेदारों एकाएक जमीन पर आ गए। छत्तीसगढ़ के कई ठेकेदारों ने दूसरा धंधा चालू कर दिया। सरकार को फायदा यह हुआ कि रेवेन्य बढ़ गया। ठेकेदारी प्रथा जब ंबंद हुआ था, तब 2017 में शराब से राजस्व था 3200 करोड़। मगर अगले साल एक हजार करोड़ बढ़कर 42 सौ करोड़ हो गया। और 20118 तक यह बढ़कर 5 हजार करोड़ पर पहुंच गया था। जानकारों का कहना है, छत्तीसगढ़ में शराब ठेकेदार हर महीने करीब 100 करोड़ का वारा-न्यारा कर रहे थे। इसमें से 50 करोड़ रुपए वे नीचे से लेकर उपर तक बांट देते थे। इसमें राजनेता से लेकर अफसर, नौकरशाह सभी शामिल थे।

अमर को बड़ा सियासी नुकसान

चूकि शराब ठेकेदारों के पेट पर लात पड़ा तो वे भी चुप थोड़े बैठते। 2018 के विधानसभा चुनाव में शराब ठेकेदारों का सिंडिकेट एक राय होकर अमर के खिलाफ बड़ी फंडिंग की। उस समय 15 साल की राज्य सरकार की एंटी इंकाम्बेंसी था ही, शराब ठेकेदारों ने ऐसा माहौल बनाया कि अमर को चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा।

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