CG Paddy News: हड़ताल से धान खरीदी होगी बाधित? धान खरीदी शुरू होने में 48 घंटे बचा, कर्मचारियों की हड़ताल से अफसरों के हाथ-पांव फुले, सरकार ने कमिश्नरों को लिखा ये पत्र....
CG Paddy News: अब से ठीक 48 घंटे बाद राज्य सरकार किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू कर देगी। धान खरीदी से पहले उपार्जन केंद्रों में काम करने वाले समिति प्रबंधक, कम्प्यूटर आपरेटर, दैनिक कर्मचारी, लेखापाल, सेल्समैन, चौकीदार, चपरासी सहित 15 हजार कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। हालांकि 11 नवंबर को राज्य सरकार ने प्रदेशभर के कमिश्नर और कलेक्टर्स को पत्र लिखकर विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को इस काम पर लगाने का निर्देश दिया है। बगैर तकनीकी और व्यवहारिक जानकारी के ये कर्मचारी धान की खरीदी से लेकर हिसाब रख पाएंगे या नहीं। इसे लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। जिन कर्मचारियों का खरीदी केंद्रों और धान खरीदी से दूर-दूर तक कभी नाता ही नहीं रहा है, वे कैसे खरीदी करेंगे और कितना बारिकी से हिसाब रख पाएंगे। अफसर भी इस बात भली भांति जानते हैं, तभी तो पूरा सिस्टम इसी सोच में डुबा हुआ है कि कैसे और किस तरह खरीदी शुरू होगी। अफसरों के तो हाथ पांव फुल गए हैं।
CG Paddy News: बिलासपुर। धान खरीदी की शुरुआत कैसे होगी, हो पाएगी भी या नहीं। इसे लेकर अफसर भी असमंजस में है। कारण साफ है। किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदने के लिए राज्य सरकार ने 2739 बनाया है। यहां काम करने वाले समिति प्रबंधक, कम्प्यूटर आपरेटर, दैनिक कर्मचारी, लेखापाल, सेल्समैन, चौकीदार, चपरासीतकरीबन 15 हजार कर्मचारी तैनात हैं। ये कर्मचारी खरीदी शुरू करने से ठीक पहले हड़ताल पर चले गए हैं। जब तक मांगें पूरी नहीं होती या फिर सरकार की ओर से पुख्ता आश्वासन नहीं मिल जाता, काम पर लौटने वाले नहीं है।
कर्मचारियों के रूख को देखते हुए राज्य सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था करना प्रारंभ किया है। इसके लिए प्रदेशभर के कमिश्नर व कलेक्टर्स को यह तय करने कहा गया है कि विभिन्न विभागों के उन कर्मचारियों को चिन्हित किया जाए जो इस काम को बखूबी कर सकते हैं। राज्य सरकार ने दूसरे विभाग के कर्मचारियों को समिति प्रबंधक की जिम्मेदारी सौंपकर खरीदी प्रारंभ कराने का निर्णय लिया है।
एक दिन से ट्रेनिंग में कितना सीख पाएंगे कर्मचारी
विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को धान खरीदी में लगाने से पहले एक दिन की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह ट्रेनिंग आज ही होनी है। ट्रेनिंग के बाद ये सीधे खरीदी केंद्रों में जाएंगे और किसानों का धान खरीदना प्रारंभ करेंगे। एक बड़ा सवाल यह भी है कि धान में नमी को लेकर अक्सर विवाद की स्थिति बनती है। ये कर्मचारी अगर ज्यादा नमी वाले धान खरीद लेते हैं और 72 घंटे के भीतर उपार्जन केंद्रों से संग्रहण केंद्रों के लिए उठाव नहीं हो पाया तब क्या होगा। ज्यादा नमी वाले धान जितने दिनों तक समिति में डंप रहता है वजन कम होते जाता है। धूप की वजह से नमी सूखता है और धान का वजन कम हो जाता है। इसका खामियाजा समिति प्रबंधकों को भुगतना पड़ता है।
एक बड़ा सवाल यह भी,गड़बड़ी मिली तो कौन होगा जिम्मेदार
मान लेते हैं कि हड़ताल जारी रहा और अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों ने काम संभाल कर धान खरीदना शुरू कर दिया। खरीदी के दौरान अगर एक सप्ताह बाद कर्मचारी संघ और सरकार के बीच समझौता होता है और काम पर लौटते हैं तो उतने दिनों की धान खरीदी के दौरान अगर गड़बड़ी हुई तो उसकी जिम्मेदारी किस पर थोपेंगे। किसकी होगी। जिम्मेदारी तय करने को लेकर विवाद की स्थिति बनेगी। जिसकी सबसे ज्यादा संभावना देखी जा रही है।
सूखत को लेकर विवाद की स्थिति
विवाद का सबसे बड़ा कारण सूखत को लेकर है। 17 प्रतिशत नमी के साथ किसानों के धान को राज्य सरकर ने खरीदने का निर्देश दिया है। सरकार का यह भी निर्देश है कि खरीदी केंद्रों से 72 घंटे के भीतर संग्रहण केंद्रों के लिए धान का उठाव कर लिया जाए। इसके लिए मार्कफेड व खाद्य विभाग के अफसरों की जिम्मेदारी बनती है कि कस्टम मिलिंग के लिए जिन मिलर्स से अनुबंध किया है उनसे खरीदी केंद्रों के जरिए धान का उठाव कराया जाए। आमतौर पर शिकायत यही रहती है कि खरीदी केंद्रों से महीनों धान का उठाव नहीं हो पाता। 17 प्रतिशत की नमी वाले धान एक महीने तक समिति में डंप रहने के कारण नमी सूख जाती है और धान का वजन कम हो जाता है। तब समिति प्रबंधक पर फर्जीवाड़ा का आरोप लगता है।
कल कैबिनेट, चर्चा को लेकर अटकलें
कल सीएम विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में कैबिनेट मीटिंग होने वाली है। चर्चा इस बात की भी हो रही है कि मीटिंग के दौरान हड़ताल पर चर्चा हो सकती है। माना जा रहा है कि विवाद का पटाक्षेप हो जाएगा और कर्मचारी काम पर लौट आएंगे। बहरहाल यह चर्चा है। मीटिंग में सरकार क्या निर्णय लेती है और कर्मचारी संगठन का क्या रिएक्शन होता है यह भी देखने वाली बात होगी।