CG News: जशपुर ने पकड़ी विकास की रफ्तार, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, रोजगार, बिजली के क्षेत्र में विकास का नया आयाम स्थापित कर रहा जिला...

CG News: सुशासन सरकार में मात्र 20 महीने में ही जशपुर जिले में विभिन्न विकास कार्य स्वीकृत हुए हैं, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, रोजगार, विद्युत, आदिवासी कल्याण आदि क्षेत्रों में हमारा जशपुर विकास के नए आयाम स्थापित कर रहा है

Update: 2025-09-16 13:30 GMT

CG News: रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश में विकास की रफ्तार लगातार तेज हो रही है। जशपुर जिले को संवारने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सरकार का खजाना खोल दिया है। किसी भी जिले के लिए विकास का पैमाना बुनियादी ढांचा को माना जाता है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले में बीते दो साल के अंदर इस क्षेत्र में तेजी से काम हुआ है। सड़क व पुल के साथ ही शिक्षा,स्वास्थ्य,पानी की सुविधा विकसीत कर,आम नागरिकों का जीवन सुखद बनाने के लिए तेजी से काम हो रहा है।

सुशासन सरकार में मात्र 20 महीने में ही जशपुर जिले में विभिन्न विकास कार्य स्वीकृत हुए हैं, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, रोजगार, विद्युत, आदिवासी कल्याण आदि क्षेत्रों में हमारा जशपुर विकास के नए आयाम स्थापित कर रहा है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना के अंतर्गत जशपुर जिले को बड़ी सौगात मिली है।

जशपुर जिले में आवागमन को सुगम बनाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सड़कों की मरम्मत के साथ नए सड़कों के निर्माण पर ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं। जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इसके साथ भारतमाला सड़क का निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है। बीते दो साल में मुख्यमंत्री साय ने लंबे समय से अधूरे पड़े हुए दमेरा चराईडांड़ रोड,जशपुर सन्ना सड़क,चराईडांड़ बतौली सड़क,बंदरचुवां से फरसाबहार सड़क के निर्माण को पूरा कराया है।

12 सड़कों के लिए 41 करोड़ 81 लाख स्वीकृत

जिले के 12 महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण और उन्नयन के लिए कुल 41 करोड़ 81 लाख रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है। इन सड़कों के निर्माण से न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की रफ्तार बढ़ेगी, बल्कि किसान, व्यापारी, छात्र और आम नागरिकों को आवागमन की बेहतर सुविधा उपलब्ध होगी। यह स्वीकृति प्रदेश सरकार की ग्रामोन्मुखी विकास नीति का प्रमाण है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जशपुर जिला तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है। सड़क, पुल, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि सहित सभी क्षेत्रों में कार्य योजनाएं धरातल पर उतर रही हैं, जिससे जिले का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित हो रहा है।

इन राशि से जशपुर जिले के पर्यटन स्थलों को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए पक्की सड़के बनाई जाएगी। इसके साथ ही जिला वासियों के लिए भी आवागमन आसान हो जाएगा। इन सड़कों के बन जाने से जशपुर के मनोहर प्राकृतिक पर्यटन स्थलों तक पहुँच आसान होगी, जिले में ज्यादा से ज्यादा पर्यटक पहुंचेंगे और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए रास्ते भी खुलेंगें। इसके साथ ही जशपुर में पर्यटन में पर्यटन को नई पहचान मिलेगी।

150 करोड़ से जिले के दो स्टेट हाईवे का जीर्णोंद्धार

सीएम के निर्देश पर जिले की दो महत्वपूर्ण स्टेट हाईवे के पुर्ननिर्माण के लिए 149 करोड़ रूपये से अधिक की राशि स्वीकृत करते हुए बजट जारी कर दिया गया है। निर्माण एजेंसी ने इन सड़कों के निर्माण के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है। बरसात के बाद इन सड़कों का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इन स्टेट हाईवे में 41 किलोमीटर लंबी तपकरा-लुड़ेग और 13 किलोमीटर लंबी कोतबा बागबहार स्टेट हाईवे शामिल है।

परिवहन के लिहाज से ये दोनों स्टेट हाईवे जशपुर जिले के लिए अहम है। ये सड़के जशपुर जिले को पड़ोसी राज्य ओडिसा व झारखंड के साथ राजधानी रायपुर व न्यायधानी बिलासपुर से जोड़ती है। इस सड़क से हो कर रोजाना दर्जनों यात्री बस रायगढ,बिलासपुर,रायपुर,झारसुगड़ा सहित अन्य गंतव्य के लिए रवाना होती है। लगातार भारी वाहन चलने से इन सड़कों की स्थिति खराब हो गई थी। इनकी मरम्मत की मांग लगातार जिलेवासियों द्वारा की जा रही थी।

चार उच्च स्तरीय पुल निर्माण को मंजूरी

जशपुर जिले में पुल-पुलिया की कमी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री ने चार वृहद पुल निर्माण के लिए 13 करोड़ 46 लाख रूपये की स्वीकृति दी है। इनमें गुलझरिया बम्हनी मार्ग पर नदी पर उच्च स्तरीय पुल एवं पहुंच मार्ग निर्माण शामिल है। पुलविहिन इस नदी पर पुल निर्माण करने का मांग ग्रामीणों द्वारा लंबे समय से किया जा रहा था। बरसात के दिनों में इस नदी को पार करने में ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता था।

इस समस्या को दूर करने के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नदी पर पुल निर्माण के लिए 3 करोड़ 66 लाख रुपए की स्वीकृति दी है। इस पुल के निर्माण से गुलझरिया से बम्हनी के बीच बसे लगभग दर्जन भर गांव के रहवासियों का विकासखंड मुख्यालय दुलदुला तक पहुंच आसान हो जाएगा। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ और झारखंड के बीच कनेक्टिविटी के लिए एक और वैकल्पिक मार्ग मिल जाएगा। इसके अलावा सीएम साय ने जिले में 1.71 करोड़ की लागत से बेनसारी नाला में किलकिला से केराकछार रोड में पुल पुलिया का निर्माण,मैनी नदी में कांसाबेल से शब्दमुंडा मार्ग में पुलिया के जगह नए पुल निर्माण के 3.49 करोड़ की लागत से निर्माण किया जा रहा है और जिला मुख्यालय जशपुर में बांकी नदी पर जर्जर पुल हो चुके पुल की जगह नए उच्च स्तरीय पुल निर्माण के लिए 4 करोड़ 60 लाख की स्वीकृति दी है।

102 ट्रांसफार्मर से दूर होगी लो वोल्टेज की समस्या

ट्रांसफार्मर की कमी जशपुर जिले में विद्युत व्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या थी।गांव में ट्रांसफार्मर बिगड़ जाने से उसे बदलना मुश्किल हो जाया करता था।खासकर ग्रामीण इलाकों में ट्रांसफार्मर ना लगने लो वोल्टेज की समस्या की शिकायते भी मिल रही थी। इस समस्या से जिले को मुक्ति दिलाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जिले में ट्रांसफार्मर की उपलब्धता सुनिश्चित की। जिले में विद्युत वितरण व्यवस्था को सुदृढ करने ले लिए बीते 21 माह में 102 नए ट्रांसफार्मर स्थापित किये गए हैँ।विभाग के अधीक्षण अभियंता केव्ही मैथ्यू ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री साय के निर्देश पर ग्रामीण अंचल में सर्वे का काम जारी है। सर्वे में जहां भी ट्रांसफार्मर की आवश्यकता मिल रही है वहाँ तत्काल ट्रांसफार्मर लगाया जा रहा है।

56 करोड़ में बनेंगे 484 नए आंगनबाड़ी भवन

जशपुर जिले में 56 करोड़ से भी अधिक की लागत से 484 नए आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है। प्रत्येक आंगनबाड़ी भवन पर 11 लाख 69 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। इस प्रकार करोड़ों रुपए की राशि सीधे तौर पर जिले में आंगनबाड़ी सेवाओं के सुदृढ़ीकरण और विस्तार पर लगाई जाएगी। इससे न केवल बच्चों और माताओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी बल्कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी एक स्थायी और सुसज्जित कार्यस्थल प्राप्त होगा।

अब तक अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र भवन जर्जर हालत में या किराए के मकानों में संचालित होते थे।ऐसे स्थानों में न तो बच्चों को बैठने की समुचित सुविधा मिलती थी और न ही साफ-सफाई का पर्याप्त वातावरण। लेकिन नए भवन बनने के बाद बच्चों को स्वच्छ, सुरक्षित और अनुकूल माहौल उपलब्ध होगा, जिससे उनकी शिक्षा और पोषण संबंधी गतिविधियाँ व्यवस्थित ढंग से संचालित होंगी।

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