CG News: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इम्पैक्ट, स्टेट बार कौंसिल ने पंजीयन शुल्क में की भारी कमी

सामान्य वर्ग के ला ग्रेज्युएट स्टूडेंट को 17500 की जगह अब पंजीयन शुल्क के रूप में देने होंगे 750 रुपये,सुप्रीम कोर्ट के फैसले और देशभर के स्टेट बार कौंसिल को जारी दिशा निर्देश का हुआ असर। छत्तीसगढ़ स्टेट बार कौंसिल ने पंजीयन शुल्क में किया बदलाव व जारी किया सर्कुलर। सामान्य वर्ग के ला ग्रेज्युएट स्टूडेंट को मिलेगी भारी राहत।

Update: 2024-09-03 10:20 GMT

बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट के फैसले और दिशा निर्देशों का बड़ा इम्पैक्ट छत्तीसगढ़ में दिखाई दे रहा है। छत्तीसगढ़ स्टेट बार कौंसिल ने सरर्कुलर जारी कर ला ग्रेज्युएट स्टूडेंट्स के लिए पंजीयन शुल्क में भारी कमी कर दी है।

पूर्व में स्टेट बार कौंसिल द्वारा 17500 रुपए लिया जाता था। अब इसे घटाकर 750 रुपए कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले और छग स्टेट बार कौंसिल के ताजा सर्कुलर ने ला ग्रेज्युएट सामान्य वर्ग के स्टूडेंट्स की परेशानी काफी हद तक कम कर दी है। इस फैसले से छत्तीसगढ़ के 12 ला ग्रेज्युएट स्टूडेंट्स और उनके परिजनों को राहत मिलेगी।

इनके लिए मामूली फीस

एससी-एसटी वर्ग के विधि स्नातक छात्रों को नामांकन नंबर प्राप्त करने के लिए अब सिर्फ 125 रुपए देने पड़ेंगे। इसमें 100 रुपए स्टेट बार काउंसिल व 25 रूपए बार काउंसिल आफ इंडिया के नाम से चालान के माध्यम से जमा करना होगा। सामान्य व ओबीसी के छात्रों को 600 रुपए स्टेट बार काउंसिल व 150 रुपए बार काउंसिल आफ इंडिया के नाम से चालान भरना होगा।

20.10 करोड़ का उठाना पड़ेगा नुकसान

छत्तीसगढ़ में एलएलबी, बीए एलएलबी, बी.कॉम एलएलबी और एलएलएम करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 12 हजार से अधिक है। बिलासपुर जिले में पांच कॉलेजों में 1220 सीट है।पूर्व की व्यवस्था के अनुसार 17500 रुपए के हिसाब से 12 हजार छात्रों से पंजीयन के नाम पर 21 करोड़ रूपए तक जमा होते थे। नई व्यवस्था में अब 90 लाख रुपए ही जमा होंगे। स्टूडेंट्स को 20 करोड़ 10 लाख रुपए तक की बचत होगी। ऐसा भी कह सकते हैं कि इतनी ही राशि के नुकसान में स्टेट बार कौंसिल रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला,जिससे स्टूडेंट्स को मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ कहा है कि देश के विभिन्न राज्यों में संचालित स्टेट बार कौंसिल अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में निर्धारित कानूनी शर्त से अधिक नामांकन शुल्क नहीं ले सकतीं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सामान्य वर्ग के अधिवक्ताओं के लिए कुल नामांकन शुल्क 750 रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के अधिवक्ताओं के लिए यह 125 रुपए से अधिक नहीं होगा। छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल ने सर्कुलर जारी कर 1 सितंबर 2024 से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत पंजीयन शुल्क में बदलाव कर दिया है।

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