CG News: चने के दाने ने ली मासूम की जान, सांस की नली में फंसने से 16 महीने के बच्चे की मौत
CG News: चना खाते समय चने का दाना 16 माह के मासूम बच्चे के श्वास नली में फंस गया। बच्चा छटपटाने लगा और उसका चेहरा नीला पड़ने लगा।
CG News: बिलासपुर। जीवन में कभी-कभी मामूली-सी असावधानी भी गहरे हादसे का कारण बन जाती है। मंगलवार को रतनपुर में घटित एक हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया। कोरबा जिले के पाली ब्लॉक के ग्राम बरपारा निर्धि निवासी जयकुमार पोर्ते, जो वर्तमान में बिलासपुर जिले के रतनपुर के खाल्हेपारा में रहकर मजदूरी और संजय जायसवाल के प्लॉट में चौकीदारी का कार्य करते हैं, उनके 16 माह के पुत्र शिवांश पोर्ते की असमय मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया। मासूम के गले में चना फंस गया, जिसके चलते उसकी सांसें थम गईं और परिवार का सुख-चैन पल भर में मातम में बदल गया।
खेलते-खेलते हुई अनहोनी-
मंगलवार की दोपहर शिवांश घर के बिस्तर पर खेलते-खेलते चना खा रहा था। अचानक एक दाना उसके गले में फंस गया। कुछ ही सेकंड में बच्चा जोर-जोर से छटपटाने लगा और उसका चेहरा नीला पड़ने लगा। परिजन घबराकर तुरंत उसे गोद में उठाकर पास के रतनपुर स्वास्थ्य केंद्र ले भागे। लेकिन दुर्भाग्यवश तब तक काफी देर हो चुकी थी। अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने परीक्षण के बाद मासूम शिवांश को मृत घोषित कर दिया।
परिवार और मोहल्ले में पसरा मातम-
शिवांश की मौत की खबर सुनते ही परिजनों पर मानो आसमान टूट पड़ा। मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। मासूम की खिलखिलाती हंसी और उसकी मासूम अदाएं अब केवल तस्वीरों और यादों तक ही सीमित रह गई हैं। इस दुखद घटना से पूरे मोहल्ले में शोक की लहर दौड़ गई। आसपास के लोग गमगीन होकर परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचे।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने मर्ग कायम कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है, ताकि घटना की संपूर्ण जानकारी दर्ज की जा सके।
चिकित्सकों की चेतावनी-
चिकित्सकों ने चेतावनी देते हुए बताया है कि छोटे बच्चों को कभी भी कठोर और दानेदार खाद्य पदार्थ जैसे चना, मूंगफली, मक्का, सूखे मेवे या इसी प्रकार की वस्तुएं अकेले खाने के लिए नहीं देनी चाहिए। इस प्रकार के खाद्य पदार्थ गले में फंसकर दम घुटने की स्थिति पैदा कर देते हैं, जिससे बच्चे की जान पर बन सकती है। विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि बच्चों को हमेशा बड़ों की निगरानी में ही खाना-पीना देना चाहिए। उनके आहार में ऐसी वस्तुएं शामिल करने से बचना चाहिए जो उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं।