CG Neet Selection EWS Scam News : फर्जी EWS सर्टिफिकेट, तहसील कार्यालय से दस्तावेज गायब, तहसील के बाबू पर शक,जारी हुआ नोटिस

CG Neet Selection EWS Scam News : फर्जी EWS सर्टिफिकेट मामले में जिन तीन छात्राओं के जाली सर्टिफिकेट बने हैं उनके मूल दस्तावेज तहसील कार्यालय से ही गायब हो चुके हैं। मामले में तहसील के बाबू पर शक गहरा गया है। उसे तहसीलदार ने स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाया है। वहीं जिन तीन छात्राओं का सर्टिफिकेट बना है उनका भी स्पष्टीकरण लिया जाएगा। बता दें कि NPG.NEWS ने इस फर्जीवाड़े का सबसे पहले भांडाफोड़ किया है। NPG.NEWS की खबर के बाद अब फर्जीवाड़ा करने वालो की पड़ताल शुरू हो गई है।

Update: 2025-09-01 09:51 GMT

CG Neet Selection EWS Scam News: बिलासपुर। बिलासपुर तहसील से जुड़े फर्जी ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) प्रमाणपत्र प्रकरण में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि जिन तीन प्रमाणपत्रों को फर्जी पाया गया है, उनके मूल दस्तावेज तहसील कार्यालय से ही गायब कर दिए गए हैं। इस घोटाले की आंच अब सीधे उस बाबू तक पहुंच चुकी है, जिसकी आईडी से इन प्रमाणपत्रों का ऑनलाइन निर्माण किया गया था। संदेहास्पद भूमिका को देखते हुए संबंधित बाबू को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाया गया है।

मेडिकल प्रवेश में हेरफेर का नया तरीका

नीट जैसी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में सफल होने के बाद मेडिकल कॉलेजों में दाखिला पाने के लिए अभ्यर्थी तरह-तरह की जुगत लगाते हैं। इसका ताजा उदाहरण फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों का निर्माण है। बिलासपुर तहसील में अब तक तीन फर्जी प्रमाणपत्र बनाए जाने की पुष्टि हो चुकी है, जबकि चार अन्य प्रमाणपत्रों की जांच जारी है। जिन प्रमाणपत्रों को फर्जी घोषित किया गया है, उनके कागजात अब तहसील के रिकॉर्ड से लापता हैं। इससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।

दस्तखत पर उठे सवाल

फर्जी प्रमाणपत्रों पर किए गए हस्ताक्षर भी रहस्य बने हुए हैं। तहसीलदार गरिमा सिंह ने साफ कर दिया है कि दस्तावेजों पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। सवाल यह है कि यदि तहसीलदार ने दस्तखत नहीं किए, तो आखिर यह दस्तखत किसके हैं? अधिकारियों का मानना है कि यदि गायब दस्तावेज मिल जाते, तो इससे कई अहम राज़ बेनकाब हो सकते थे। मगर इनके लापता होने से जांच और भी उलझ गई है।

छात्रा का अंबिकापुर में एडमिशन

पूरे मामले का एक सिरा अंबिकापुर से भी जुड़ा हुआ है। जानकारी के अनुसार, नीट में चयनित एक छात्रा ने ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र का उपयोग कर मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर में प्रवेश लिया। उस समय तहसीलदार मुकेश देवांगन थे।

बाद में जब छात्रा के परिजन दस्तावेज लेकर तहसील कार्यालय पहुंचे, तो नए तहसीलदार गरिमा सिंह ने नियमों का हवाला देते हुए दस्तखत करने से इनकार कर दिया। उस वक्त छात्रा के अभिभावक निराश होकर लौट गए। लेकिन बताया जाता है कि कुछ ही दिनों बाद वे दोबारा पहुंचे और बाबू से प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर करवाकर ले गए। इसी तरह एक छात्रा ने कोरबा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया है।

तहसील में मची खलबली

दस्तावेजों के गायब होने की खबर के बाद तहसील कार्यालय में अफसरों और कर्मचारियों में खलबली मच गई है। अफसरों का कहना है कि बाबू की भूमिका संदिग्ध है क्योंकि उसी की आईडी से ऑनलाइन प्रक्रिया की गई थी। अब उस पर ही संदेह गहराता जा रहा है। इस मामले में तहसीलदार गरिमा सिंह ने बताया कि “बाबू ने अपनी आईडी से प्रमाणपत्रों को गलत ढंग से ऑनलाइन दर्ज किया। दस्तावेजों पर किए गए हस्ताक्षर मेरे नहीं हैं। संबंधित बाबू को नोटिस दिया गया है और उससे जवाब लिया जाएगा।”

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