CG Education: स्कूलो में फर्स्ट पेरेंट्स मीट का डेट बदला, स्कूल शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश, पढ़िए सचिव ने क्या कारण बताया

CG Education: प्रदेशों में फर्स्ट पेरेंट्स मीट की तारीखों में बदलाव किया गया है...

Update: 2024-06-25 10:10 GMT

CG Education रायपुर। प्रदेशों में फर्स्ट पेरेंट्स मीट की तारीखों में बदलाव किया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने आदेश जारी कर पालक-शिक्षक की प्रथम मेगा बैठक 9 अगस्त की जगह 6 अगस्त तय किया हैं। 

दरअसल, 9 अगस्त 2024 को विश्व आदिवासी दिवस हैं और इस दिन प्रदेश में कई जगहों और विभागों में कार्याक्रम होते हैं। विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों को देखते हुये पालकों की बैठक को 9 अगस्त की जगह अब 6 अगस्त निर्धारित किया गया है। नीचे देखें स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में क्या कुछ लिखा हैं... 


स्कूल शिक्षा में सुधार के संदर्भ में सीएम विष्णुदेव के निर्देश 

मालूम हो कि छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा में सुधार के संदर्भ में सीएम विष्णुदेव सरकार ने प्रायवेट स्कूलों सरीखा सरकारी स्कूलों में पैरेंट्स मीट आयोजित करने का आदेश दिया हैं। हालांकि, इससे पहले कई बार पैरेंट्स मीट करने पर विचार हुआ। पिछली सरकार में स्कूल शिक्षा विभाग ने भी सरकारी स्कूलों में पैरेंट्स मीट शुरू करने का प्रयास किया था। मगर इसका क्रियान्वयन नहीं हो पाया। मगर विष्णुदेव सरकार ने अब इसका आदेश जारी कर दिया है।

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सिकरेट्री सिद्धार्थ कोमल परदेशी का कलेक्टरों को पत्र

बता दें, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा जैसे राज्यों में इस पर अच्छा काम हो रहा है। वहां नियमित पैरेंट्स मीट का आयोजन किया जाता है। इसी के तहत छत्तीगसढ़ में इसके लिए शेड्यूल तय कर दिया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग के सिकरेट्री सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कलेक्टरों को पत्र लिख पहली पैरेंट्स मीट का तारीख भी तय कर दी है। पहली मीट 6 अगस्त को होगी। परदेशी ने कलेक्टरों को सुनिश्चित करने कहा है कि पैरेंट्स मीट में कोई कोताही न बरती जाए। उन्होंने पैरेंट्स मीट करने के फायदे भी गिनाए हैं। मसलन, बच्चों के शरीरिक, मानसिक विकास के लिए पालकों और स्कूलों के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिए।

बच्चों के संपूण गतिविधियों से पालकों को अवगत कराने से उन्हें बेहतर मार्गदर्शन और प्रेरणा मिल सकती है। शिक्षकों और पालकों के संपूर्ण प्रयास से बच्चां की पढ़ाई के प्रति साकारात्मक वातावरण बनेगा। बच्चों की काउंसलिंग से उन्हें परीक्षा का तनाव नहीं रहेगा और स्कूलों से ड्रॉप आउट याने पढ़ाई छोड़ देने से रोकने में पालकों की भूमिका सुनिश्चत करना।

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