CG Bus Ticket Broker: अंतरराज्यीय बस स्टैंड बना दलालों का अड्डा, वसूली का विरोध करने पर यात्री हो रहे दुर्व्यव्हार का शिकार, पुलिस और परिवहन विभाग मौन...

CG Bus Ticket Broker: छत्तीसगढ़ की राजधानी के अंतराष्ट्रीय बस स्टैंड भाठागांव में दर्जनों प्रयासों के बावजूद टिकट दलाली का खेल और दलालों का बोलबाला खत्म नहीं हो रहा है...

Update: 2024-05-31 14:38 GMT

CG Bus Ticket Broker: रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी के अंतराष्ट्रीय बस स्टैंड भाठागांव में दर्जनों प्रयासों के बावजूद टिकट दलाली का खेल और दलालों का बोलबाला खत्म नहीं हो रहा है। दलाल यात्रियों को झांसे में लेकर उन्हें दो से तीन गुनी कीमत पर टिकट बेच रहे है। ऐसे कई दलाल आपको बस स्टैंड परिसर या उसके इर्द गिर्द मंडराते दिख जायेंगे हैं। जो 500 से 2000 रुपये की टिकट के लिए दोगुना से भी ज्यादा दाम वसूले रहे है। इसका मुख्या कारण बस स्टैंड में टिकटों की रेट लिस्ट चस्पा नहीं होना। रेट लिस्ट नहीं होने के कारण यात्रियों को ये पता नहीं चल पाता है कि कौन सी दूरी के लिए कितने पैसे देने होंगे।

इसी का फायदा उठाकर यात्रियों से दोगुना-तिगुना दाम लेकर टिकट बेची जा रही है। हैरत की बात यह है कि सब जानते हुए भी परिवहन विभाग और पुलिस अनजान हैं। पुलिस और परिवहन विभाग चाहे तो कुछ ही दिनों में इन दलालों पर लगाम लगा सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। आये दिन बस स्टैंड में यात्रियों से मारपीट और विवाद की शिकायतें मिलती रहती है। कार्रवाई नहीं होने से इन दलालों के हौसले और बढ़ते जा रहे है।

ट्रेनें, बसें में भीड़ का फायदा

इन दिनों कई ट्रेने रद्द चल रही है। ऊपर से गर्मी का सितम भी जारी है। जो ट्रेने चल रही वो भी हाउस फुल है। यात्री किसी भी सूरत पर अपने गंतव्य तक पहुंचना चाहते हैं। ऐसे में बस स्टैंड पहुंचते है और उनका संपर्क सीधे टिकट दलालों से होता है।

जानिए कैसे होती है टिकटों की दलाली

बस स्टैंड में सक्रिय दलाल आपकों आपके गंतव्य के बारे में पूछेंगे और टिकट दिलाने के नाम पर अपने साथ लेकर जायेंगे. यहां आपसे दोगुना दाम लेकर काउंटर से टिकट दिलवाएंगे। चूंकि किराये की दरों का पता नहीं होने पर यात्री दलालों के झांसे में आ जाते हैं और उनके द्वारा मांगे गए रूपए भी दे दिए जाते है। रुपये नहीं देने पर दलालों के द्वारा गाली-गलौज और मारपीट की जाती है। इतना ही नहीं उन्हें टिकट नहीं देते और यात्रा करने से रोक देते है। ऐसा एक बार नहीं आये दिन होता रहता है।

आखिर जवाबदेही तय करने वाला महकमा मौन क्यों हैं?

ऐसे नहीं है कि विभाग के अधिकारी इस बात को नहीं जानते। उनकी मज़बूरी यह है कि यदि अंकुश लगाया गया तो सारा भंडाफोड़ हो जायेगा। विभाग की दूसरी मजबूरी यह है कि दलाल पैसा कमाने के माध्यम हैं। जैसे ही इन पर अंकुश लगेगा नोटों की आवक बंद हो जायेगी।

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