CG Breaking News: छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार ननों को मिली जमानत, NIA कोर्ट ने सुनाया फैसला, दो लड़कियों के साथ दुर्ग में पकड़ी गई थीं
CG Breaking News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से गिरफ्तार दो ननों को लेकर बड़ी खबर सामने आ (Chhattisgarh Nuns Arrest Case) रही है। बिलासपुर एनआईए कोर्ट से दोनों ननो को जमानत(Chhattisgarh Nuns Bail) मिल गई है।
Chhattisgarh Nuns Arrest Case
CG Breaking News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से गिरफ्तार दो ननों से जुडी बड़ी खबर सामने आ (Chhattisgarh Nuns Arrest Case) रही है। बिलासपुर एनआईए कोर्ट से दोनों ननो को जमानत(Chhattisgarh Nuns Bail) मिल गई है। इन्हें दुर्ग रेलवे स्टेशन से ह्यूमन ट्रैफिकिंग और धर्म परिवर्तन के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
एनआईए बिलासपुर स्थित स्पेशल कोर्ट ने ननों को जमानत दी। पिछले दिनों की गिरफ्तार किए जाने के बाद लोअर कोर्ट ने दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सेशन कोर्ट ने भी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बता इसे एनआईए कोर्ट में लगाने की बात कह सुनवाई से इनकार कर दिया था। फिर एनआईए कोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई थी। सुनवाई के बाद जमानत मंजूर कर ली गई है।
इन शर्तों के तहत मिली जमानत
धर्मांतरण एवं ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में 55 वर्षीय प्रीति मैरी निवासी डिडौरी मध्यप्रदेश, 53 वर्षीय वंदना फ्रांसिस निवासी आगरा उत्तरप्रदेश, 19 वर्षीय सुखमन मंडावी निवासी नारायणपुर उत्तरप्रदेश को दुर्ग स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। इनके जमानत के लिए पूर्व डिप्टी सॉलिसिटर जनरल बी गोपा कुमार और अमृतों दास ने केस लड़ा। जबकि एनआईए की तरफ से दाऊ चंद्रवंशी, हेमंत कुमार मिश्रा और परांकुश मिश्रा ने जमानत आवेदन का विरोध किया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तीनों को 50–50 हजार के बॉण्ड ऑर्डर पर जमानत दे दी गई। इसके साथ ही दोनों ननों को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा और केस खत्म होने तक वे देश छोड़ कर नहीं जा सकेंगी।
दो लड़कियों के साथ दुर्ग में पकड़ी गई थीं
दुर्ग में हाल ही में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दो ननों को पकड़कर पुलिस को सौंपा था। इन पर आरोप था कि वे धर्मांतरण और मानव तस्करी के उद्देश्य से नारायणपुर की तीन युवतियों को दूसरे राज्य ले जा रही थीं। इसके आधार पर पुलिस ने दो ननों और एक अन्य महिला को गिरफ्तार किया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
विपक्षी दलों का इस मामले में कहना था कि "न महिलाएं नाबालिग थीं, न किसी प्रकार की जबरदस्ती हुई थी। वे सभी बालिग हैं और अपनी मर्जी से रोजगार के लिए बाहर जा रही थीं। लेकिन हिंदूवादी संगठनों ने उन्हें निशाना बना लिया। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर राज्य से लेकर देशभर में सियासी माहौल तेज हो गया था। एक तरफ भाजपा सरकार पर अल्पसंख्यकों के दमन का आरोप लग रहा था तो दूसरी तरफ बजरंग दल अपने रुख पर कायम थी।
दुर्ग जेल में कांग्रेसी और वामपंथी सांसद ननों से मुलाकात करने भी पहुंचे थे। इस मामले में मानवाधिकार आयोग से शिकायत की भी तैयारी थी। लोअर कोर्ट के द्वारा जमानत खारिज करने के बाद दुर्ग सेशन कोर्ट में जमानत लगाई गई थी। जहां ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़ा मामला होने के चलते अधिकार क्षेत्र से बाहर बता सेशन कोर्ट में सुनवाई से इनकार कर दिया था। इसके बाद बिलासपुर एनआईए कोर्ट में जमानत लगाई गई थी। कल 1 अगस्त को मामले की सुनवाई हुई और अदालत ने दोनों पक्षों को सुना। दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद फैसला रिजर्व रख लिया गया था। आज फैसला ओपन किया गया जिसमें दोनों ननों को जमानत दे दी गई।