Bilaspur High Court: पीएससी प्रीलिम्स के पुनर्मूल्यांकन की याचिका हाई कोर्ट ने इस आधार पर कर दी खारिज, 40 परीक्षार्थियों ने लगाई थी गुहर

Bilaspur High Court: पीएससी 2023 की प्रारंभिक परीक्षा के नतीजों को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। 40 परीक्षार्थियों ने पुनर्मुल्यांकन की मांग की थी। जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है

Update: 2024-10-02 08:39 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। पीएससी 2023 की प्रारंभिक परीक्षा के नतीजों में पुनर्मुल्यांकन की मांग करते हुए लगाई गई 40 याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। पीएससी 2023 के नतीजे घोषित होने के बाद 40 विद्यार्थियों ने पांच सवालों को लेकर पीएससी के निर्णय को गलत बताते हुए याचिका लगाई थी। जिसमें हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि सहानुभूति पुनर्मुल्यांकन के निर्देश देने का आधार नहीं हो सकता। परीक्षार्थी परीक्षा की तैयारी के लिए जितनी मेहनत करते हैं उतनी ही मेहनत अधिकारी भी परीक्षा आयोजित करने के लिए करते हैं। इसके साथ ही सभी 40 परीक्षार्थियों की याचिकाएं खारिज कर दी गई।

पीएससी ने राज्य सिविल सेवा के पदों पर भर्ती के लिए 29 नवंबर 2023 को विज्ञापन जारी किए थे। इसके बाद 11 फरवरी 2024 को दो पालियों में प्रारंभिक परीक्षा ली गई थी। परीक्षा के बाद मॉडल आंसर जारी किए गए थे। दावा आपत्ति मंगाने के बाद पीएससी ने संशोधित मॉडल आंसर जारी किए संशोधित मॉडल आंसर के आधार पर प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम घोषित किए गए। पीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के आधार पर मुख्य परीक्षा के लिए चयनित नहीं हो पाए 40 परीक्षार्थियों ने पांच सवालों को लेकर पीएससी के निर्णय को गलत बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका के अनुसार संशोधित मॉडल आंसर जारी करने के बाद कुछ प्रश्नों को हटा दिया गया था। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यदि उन प्रश्नों को नहीं हटाया जाता तो वे मुख्य परीक्षा से वंचित नहीं होते। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा कि किसी विशेष प्रश्न को हटाने से अनुपातिक अंक दिए गए हैं, लेकिन यह उस अभ्यर्थी को दिया जाता है जिसने उक्त प्रश्न का प्रयास ही नहीं किया या जिसने उक्त प्रश्न का गलत उत्तर दिया है। यह अनुचित हैं।

पांच आंसरों पर आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में पुनर्मूल्यांकन के निर्देश देने की मांग रखी थी। प्रकरण की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई के बाद फैसले में अदालत ने कहा कि सहानुभूति पुनर्मूल्यांकन के निर्देश देने का आधार नहीं हो सकता। अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि परीक्षार्थी परीक्षा की तैयारी में कड़ी मेहनत करते हैं, पर साथ ही हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अधिकारी भी परीक्षा आयोजित करने के लिए उतनी ही मेहनत करते हैं। उसके साथ ही पीएससी 2023 की प्रारंभिक परीक्षा के नतीजों को चुनौती देने वाली 40 परीक्षार्थियों की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी हैं।

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