Bilaspur High Court: डिवाइन लेबोरेटरीज पर हाई कोर्ट ने ठोका 25 हजार रुपये का जुर्माना, CGMSCL ने कंपनी को 3 साल के लिए कर दिया ब्लैक लिस्टेड
Bilaspur High Court: CGMSCL ने डिवाइन लेबोरेटरीज को हीपैरीन इंजेक्शन बनाने के लिए तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। हीपैरीन इंजेक्शन को लैब रिपोर्ट में अमानक पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई थी। सीजीएमएससीएल के निर्णय को चुनौती देते हुए कंपनी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। कंपनी को 25 हजार का जुर्माना भी किया है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। डिवाइन लेबोरेटरीज द्वारा सीजीएमएससीएल को हीपैरीन इंजेक्शन का आपूर्ति किया जाता था। लैब टेस्ट में इंजेक्शन को अमानक NSQ पाए जाने के बाद सीजीएमएससीएल ने डिवाइन लेबोरेटरीज को ब्लैक लिस्टेड करते हुए खरीदी बिक्री पर रोक लगा दी थी। इस निर्णय के खिलाफ लेबोरेटरीज ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता आपूर्ति कंपनी पर 25 हजार का जुर्माना भी ठोका है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता कंपनी के संचालक को इस बात की राहत दी है कि यदि वे चाहे तो नई याचिका पेश कर सकता है।
डिवाइन लेबोरेटरीज सीजीएमएससीएल को हीपैरीन इंजेक्शन का आपूर्ति करता था। इस दौरान राज्य शासन को शिकायत मिली कि कंपनी द्वारा आपूर्ति किए जा रहे इंजेक्शन अमानक स्तर का है। जो मापदंड तय किया गया है, इंजेक्शन का निर्माण नहीं किया जा रहा है। अमानक स्तर के होने के कारण इससे लोगों को जानमाल का खतरा हो सकता है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सीजीएमएससीएल ने इंजेक्शन का लैब टेस्ट कराया। लैब टेस्ट में इंजेक्शन अमानक स्तर का मिला। इसके बाद सीजीएमएससीएल ने आपूर्तिकर्ता कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया।
डिवाइन लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSCL) के उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसमें कंपनी के द्वारा आपूर्ति किये गए हीपैरीन सोडियम इंजेक्शन को अमानक (NSQ) पाए जाने के कारण कंपनी को केवल हीपैरीन सोडियम इंजेक्शन के लिए तीन वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया था।
याचिकाकर्ता कंपनी ने CGMSCL के उस आदेश को रद्द करने का आग्रह किया था, जिसके अंतर्गत उसे हीपैरीन इंजेक्शन आपूर्ति से तीन वर्षों के लिए प्रतिबंधित किया गया था। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल प्रफुल भारत ने पक्ष रखा।
सीजीएमएससीएल की ओर से अधिवक्ता राघवेंद्र प्रधान, स्टैंडिंग काउंसिल के रूप में प्रस्तुत हुए।
याचिकाकर्ता डिवाइन लेबोरेटरीज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी. जयंत के. राव ने याचिका का पक्ष रखा। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिका को निरस्त कर दिया है। याचिका खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना किया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता कंपनी को आवश्यकता होने पर भविष्य में पुनःकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की स्वतंत्रता (liberty) प्रदान की गई है।
0 पृष्ठभूमि
यह मामला तब सामने आया जब रायपुर और अंबिकापुर के शासकीय अस्पतालों से हीपैरीन इंजेक्शन की प्रभावशीलता को लेकर गंभीर शिकायतें प्राप्त हुई थीं। CGMSCL द्वारा की गई गुणवत्ता जांच में यह इंजेक्शन मानक से कम गुणवत्ता (NSQ) पाया गया।
जन स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए CGMSCL ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए- संदिग्ध बैचों को तत्काल वापस मंगाया (recall)दर अनुबंध (rate contract) को समाप्त करते हुए हीपैरीन इंजेक्शन के लिए डिवाइन लेबोरेटरीज को तीन वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया। कंपनी ने इस आदेश को अनुचित बताते हुए इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।