Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ की फैक्ट्रियां उगल रहीं जहर: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा- दोबारा जांच कर पेश करें रिपोर्ट
Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ की फैक्ट्रियां जहर उगल रही हैं। प्रदूषण के कारण फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ रहा है आसपास के लोग भी इससे तेजी के साथ प्रभावित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में आधा दर्जन पीआईएल पर सुनवाई हो रही है। राज्य सरकार द्वारा प्रदूषण के संबंध में पेश रिपोर्ट को लेकर डिवीजन बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए नए सिरे से जांच करने और रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका में याचिकाकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ में संचालित 60 फैक्ट्रियों में प्रदूषण निवारण संयंत्र ना लगाए जाने और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का खुला उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि प्रदूषण के कारण प्लांट में काम करने वाले श्रमिक भी इसका शिकार हो रहे हैं। गंभीर बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। श्रमिकों के अलावा औद्योगिक इकाइयों के आसपास रहने वाले रहवासी भी तेजी के साथ प्रभावित हो रहे हैं। औद्योगिक प्रदूषण का दायरा लगातार बढ़ते ही जा रहा है। रोकथाम व नियंत्रण ना किए जाने के कारण यह जानलेवा साबित हो रहा है। राज्य शासन ने सुनवाई के दौरान रिपोर्ट पेश किया। रिपोर्ट के अध्ययन के बाद डिवीजन बेंच ने नाराजगी जताई व नए सिरे से जांच कर दोबारा रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच के निर्देश के बाद अब राज्य सरकार को दोबारा सभी 60 औद्योगिक इकाइयों की नए सिरे से जांच पड़ताल करनी होगी। उत्कल सेवा समिति, लक्ष्मी चौहान, गोविंद अग्रवाल और अमरनाथ अग्रवाल सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है। सभी याचिकाओं पर डिवीजन बेंच में एकसाथ सुनवाई चल रही है। याचिकाकर्ताओं ने प्रदूषण का मुद्दा उठाया है। याचिका में लिखा है कि प्रदेश में संचालित स्पंज आयरन, सीमेंट, स्टील प्लांटऔर अन्य भारी उद्योगों से निकलने वाले जहरीले धुएं और धूल के कारण वातावरण तेजी के साथ प्रदूषित हो रहा है। इसका सीधा असर श्रमिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआं और धूल के कण फेफड़ों की गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है।
हाई कोर्ट ने की है कोर्ट कमिश्नरों की नियुक्ति
प्रदेश के औद्योगिक इकाइयों में प्रदूषण का हाल जानने के लिए कोर्ट कमिश्नरों की नियुक्ति की है। अधिवक्ता प्रतीक शर्मा सहित आधा दर्जन अधिवक्ताओं को औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण करने और रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट कमिश्नरों ने निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट डिवीजन बेंच को सौंप दी है। जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में प्रदूषण और श्रमिकों के स्वास्थ्य को लेकर कोर्ट कमिश्नरों ने गंभीर चिंता जताई है। माना जा रहा है कि इसी रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट को लेकर डिवीजन बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए दोबारा जांच कर नए सिरे से रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।