Bastar Tourism: बेमिसाल है छत्तीसगढ़ का बस्तर, गर्मी की छुट्टियों में इस यादगार ट्रिप पर हैरतअंगेज सफ़र के साथ लीजिए आदिवासियों के लोकल फूड का लुत्फ़...

Bastar Tourism: बस्तर के लिए क्या कहें... बस, बेमिसाल है बस्तर। यहां पग-पग पर खूबसूरती बिखरी पड़ी है। चित्रकोट वाॅटरफाॅल पर बोट से ठीक झरने के नीचे जाइए और पानी की नन्ही बूंदों की शैतानी देखिए। आप पर बरसेंगी और हैरान कर खिलखिलाएंगी। मिचनार हिल टाॅप देखिए,

Update: 2024-05-21 09:22 GMT

Bastar Tourism

Bastar Tourism: बस्तर के लिए क्या कहें... बस, बेमिसाल है बस्तर। यहां पग-पग पर खूबसूरती बिखरी पड़ी है। चित्रकोट वाॅटरफाॅल पर बोट से ठीक झरने के नीचे जाइए और पानी की नन्ही बूंदों की शैतानी देखिए। आप पर बरसेंगी और हैरान कर खिलखिलाएंगी। मिचनार हिल टाॅप देखिए, इतना खूबसूरत कि मानो हरा कालीन बिछा हो और बादलों के झुंड पकड़म-पकड़ाई खेल रहे हों। आंखें ठिठक जाएंगी, रूह को सुकून मिल जाएगा। दलपत सागर झील देखिए। आपको यकीन नहीं होगा ये इतनी विशाल, इतनी व्यवस्थित, इतनी रौशन और लोगों की इतनी पसंदीदा झील उस बस्तर का हिस्सा है जिसकी कुछ खबरें सुनकर खौफ पैदा होता है। कोटुमसर गुफा का नज़ारा तो भूले से भी छूटने न पाए। यहां प्रकृति अपनी कारीगरी से आपको भौंचक कर देगी। इसके साथ ही अनेकों-अनेक छोटे-बड़े जलप्रपात, गुफाएं, मंदिर और आदिवासियों की जीवनशैली नज़दीक से देखने का रोमांच।... तो है न बस्तर बेमिसाल। तस्वीरें ध्यान से देख लीं तो बस्तर ट्रिप पर जाने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। थोड़ा डीटेल से जानना चाहेंगे? चलिए बताते हैं आपको।

चित्रकोट

आपने बहुत से वाॅटरफाॅल देखे होंगे लेकिन इसे न देखा तो क्या देखा! छत्तीसगढ़ में रहते हैं या ट्रिप पर आए हैं तब तो चित्रकोट वाॅटरफाॅल देखिए ही देखिए। इसे भारत का नियाग्रा फाॅल यूं ही नहीं कहते। इस झरने की ऊंचाई ही नहीं चौड़ाई भी बहुत ज्यादा है। और यही इसे खास बनाता है। इस झरने की चौड़ाई करीब 30-40 फीट है और यहां इंद्रावती नदी की धारा करीब 90 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरती है। पर्यटकों के आकर्षण को देखते हुए प्रशासन ने प्रशिक्षित नाविकों को अनुमति दी है कि वे गिरती जलधारा के निकट से बोट में पर्यटकों को सैर कराएं। और कहना न होगा कि ये अनुभव कभी न भूलने वाला अनुभव है। पानी की ठंडी बूंदे जब चेहरे पर बरसती हैं न, ये समझिए कि कभी न हंसने वाला इंसान भी हंस दे। फिर यहां नाइट कैंपिंग, होम स्टे, लोकल फूड जैसे ढेर सारे अट्रैक्शन और हैं।

मिचनार हिल टाॅप

चित्रकूट जलप्रपात की सैर कर आप तरोताज़ा हो गए हों और थोड़ी कसरत करने का दम आ गया है तो मिचनार हिल टाॅप पर जाने का साहस कर सकते हैं। मिचनार बस्तर के सबसे ऊंचे हिल टॉप में से एक है। जिसपर चढ़ना माने फुल एडवेंचर। एक तय जगह तक आप अपने वाहन से जा सकते हैं, उसके बाद आपको पैदल चढ़ाई करनी होगी। ये चढ़ाई बहुत कठिन भी नहीं है पर आसान भी नहीं है। कहीं आपको नेक्स्ट स्टैप के लिए आसानी से अगली चट्टान मिल जाएगी तो कभी कदम बढ़ाने से पहले आपका दिल थोड़ा तेज़ धड़केगा लेकिन जब आप टाॅप पर पहुंच जाएंगे तब टाॅप पर पहुंचने की खुशी आपके लिए ईनाम जैसी होगी। यहां दूर-दूर तक फैले अद्भुत प्राकृतिक नज़ारे, ठंडी हवा के झौंके, नीचे नज़र आते गांवों का सौंदर्य और हरियाली ही हरियाली आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।

दलपत सागर

ढलती सांझ में दलपत सागर के नज़ारे... उन नयनाभिराम दृश्यों का सौंदर्य सिर्फ दिल की गहराई में संजो कर रखा जा सकता है, बयां नहीं किया जा सकता।... और उसके बाद जब शाम के धुंधलके में खूबसूरती से लगाई गई लाइटें रौशन होती हैं, मन मंत्रमुग्ध हो जाता है। यह छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक है जिसका प्रथमतः निर्माण रियासत काल में बस्तर के राजा दलपतदेव ने करवाया था। झील करीब 400 हेक्टेयर में फैली हुई है। मौजूदा दौर में इसे जिस तरह से आगंतुकों के लिए तैयार किया गया है, वह अहम है। यह झील बस्तर जैसी जगह पर एक खूबसूरत शाम आपके नाम करने का वादा करती है। यहां परिवार के साथ आप रिलैक्स कर सकते हैं।सुंदर-सुंदर तस्वीरें खिंचवा सकते हैं।

बताते चलें कि झील के बीच में एक आइलैंड भी है जहां स्थित है बस्तर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक भूपालेश्वर महादेव का मंदिर। करीब 200 साल पुराना यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। जहां वे मोटर बोट के जरिए पहुंचते हैं और सैकड़ों साल पुराने भूपालेश्वर महादेव के दर्शन करते हैं।

तीरथगढ़ जलप्रपात

तीरथगढ़ जलप्रपात को बस्तर की आत्मा कहा जाता है। इस बेहद सुंदर और ऊंचाई से गिरने वाले झरने के करीब तस्वीर लेना यूं है मानो प्रकृति की असल पोट्रेट बनाना। यहां झरना 300 फीट की ऊंचाई से गिरता है जो इसे छत्तीसगढ़ का सबसे ऊँचा जलप्रपात बनाता है।इतनी ऊंचाई से झरता पानी देख ऐसा लगता है मानो दूध की नदिया बह रही हो। इसलिए इसे मिल्की ड्रॉप्स के रूप में भी जाना जाता है। कांगेर नदी की सहायक नदी मुनगा-बहार नदी इस खूबसूरत झरने का निर्माण करती है। यहां चंद्राकार पहाड़ी पर से पानी स्टैप्स में नीचे गिरता है जो बहुत सुंदर लगता है। तीरथगढ़ जलप्रपात का अपना एक अलग सौंदर्य है तिस पर इसे पास जाकर महसूस भी किया जा सकता है। बस उसके लिए आपको करीब 300-400 सीढ़ियों से नीचे उतरना होगा। झरने के समीप ही भगवान शिव और माँ पार्वती का मंदिर है। तीरथगढ़ वाॅटरफाॅल पिकनिक का लुत्फ उठाने के लिए लोगों का पसंदीदा स्पाॅट है।

कांगेर वैली नेशनल पार्क

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान या यूं कहिए तपते मानव मन को राहत देने ईश्वर का वरदान।कांगेर घाटी में प्रवेश के साथ ही हरे-भरे वृक्षों के झुरमुट आपके मन को तरो-ताज़ा कर देंगें। और जैसे-जैसे आप भीतर जाएंगे, एक से एक प्राकृतिक नज़ारे आपका दिल जीत लेंगे। यहां बच्चों के मनोरंजन और ज्ञानवर्धन के लिए ढेरों जानवर और पक्षी हैं। कई सारी गुफाएं हैं और लहराती कांगेर नदी की मनभावन कलाएं हैं। यहां छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी 'पहाड़ी मैना' भी है। जो इंसानी बोली को सीख लेने का हुनर रखती है। पर्यटकों के सुविधा के लिए होम स्टे भी ग्रामीणों के द्वारा संचालित किए जाते है। इस खूबसूरत यात्रा में साहसिक खेलों का रोमांच जोड़ने के लिए पार्क में कांगेर नदी पर बांस राफ्टिंग और कायाकिंग की भी व्यवस्था की गई है जो आपके पूरे परिवार का दिल खुश कर देगी।

कोटमसर गुफा

जब आप बस्तर की ट्रिप पर जाएं तो कोटमसर गुफा को बिल्कुल मिस न करें।

कांगेर वैली नेशनल पार्क में ही यह विशालकाय गुफा मौजूद है जिसके अंदर जाते ही आप हैरत में पड़ जाते हैं। इस गुफा की सबसे बड़ी खासियत हैं यहां चूना पत्थर से बनी विभिन्न आकृतियां। स्तभों जैसी ये आकृतियां चूनायुक्त पानी की बूंदों के टपकने से खुद ब खुद बनी है। यहां छोटी-छोटी अंधी मछलियां भी हैं। यह प्राकृतिक भूमिगत गुफा 60 - 120 फीट गहरी है और इसकी लम्बाई करीब 4500 फिट है। गुफा के भीतर सूर्य की रौशनी बिल्कुल भी नहीं पहुंचती है। टाॅर्च की रौशनी से देखने पर आप इसके हैरतअंगेज सौंदर्य का दीदार कर सकते हैं।

इन लोकप्रिय स्पाॅट के अलावा भी बस्तर में बहुत कुछ देखने योग्य है जिसपर पूरी किताब लिखी जा सकती है।फिर आप यहां नज़दीक से आदिवासियों की जीवनशैली और नृत्य-संगीत का आनंद ले सकते हैं। लोकल फूड का लुत्फ़ उठा सकते हैं। एक बात का ध्यान रखें कि बस्तर ट्रिप का आनंद आप 15 जून यानि बारिश की शुरुआत से पहले ही ले लें। क्योंकि इनमें से कई जगहों पर बारिश के मौसम में जाने पर पाबंदी है।

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