AG Office Riform: महाधिवक्ता कार्यालय में बड़ा रिफार्म: लीगल टीम को मजबूत करने सरकार ने लिया बड़ा फैसला, जानिए क्या है कारण
AG Office Riform: लीगल टीम को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। ऐसा पहली बार हुआ कि पूर्व की गई सभी नियुक्तियों को विधि विधायी विभाग के प्रमुख सचिव ने एक आदेश जारी कर निरस्त कर दिया और उसके ठीक 10 मिनट के भीतर ही भीतर नई लीगल टीम की घोषणा भी कर दी गई। मतलब साफ है, राज्य सरकार के इशारे पर विधि विधायी विभाग के अफसर और लीगल टीम से जुड़े जानकार पहले ही महाधिवक्ता कार्यालय में रिफार्म की तैयारी में जुटे हुए थे। अतिरिक्त महाधिवक्ता व उप महाधिवक्ता की टीम में कुछ पुराने चेहरे को छोड़कर पूरी टीम नई नजर आ रही है। निश्चिततौर पर महाधिवक्ता विवेक शर्मा की रायशुमारी भी ली गई होगी। आखिरकार हाई कोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष महाधिवक्ता कार्यालय के लीगल टीम ही रखेगी। जाहिरतौर पर उनकी पसंद का ख्याल रखा गया है।
Mahadhivakta Karyalay Me Riform: बिलासपुर। लीगल टीम को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। ऐसा पहली बार हुआ कि पूर्व की गई सभी नियुक्तियों को विधि विधायी विभाग के प्रमुख सचिव ने एक आदेश जारी कर निरस्त कर दिया और उसके ठीक 10 मिनट के भीतर ही भीतर नई लीगल टीम की घोषणा भी कर दी गई। मतलब साफ है, राज्य सरकार के इशारे पर विधि विधायी विभाग के अफसर और लीगल टीम से जुड़े जानकार पहले ही महाधिवक्ता कार्यालय में रिफार्म की तैयारी में जुटे हुए थे।
अतिरिक्त महाधिवक्ता व उप महाधिवक्ता की टीम में कुछ पुराने चेहरे को छोड़कर पूरी टीम नई नजर आ रही है। निश्चिततौर पर महाधिवक्ता विवेक शर्मा की रायशुमारी भी ली गई होगी। आखिरकार हाई कोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष महाधिवक्ता कार्यालय के लीगल टीम ही रखेगी। जाहिरतौर पर उनकी पसंद का ख्याल रखा गया है।
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के साथ ही हाई कोर्ट की स्थापना भी हो गई थी। राज्य निर्माण के बाद महाधिवक्ता कार्यालय में लीगल टीम की नियुक्तियों को लेकर इससे पहले इतना बड़ा फैसला कभी नहीं हुआ है। दो साल पहले की नियुक्तियों को विधि विधायी विभाग की प्रमुख सचिव ने एक झटके में निरस्त कर दिया। निरस्त करने के ठीक 10 मिनट के भीतर ही भीतर महाधिवक्ता विवेक शर्मा की नई टीम की घोषणा भी कर दी गई। राज्य सरकार ने ऐसा कर एक संदेश देने की कोशिश की है।
हाई कोर्ट में दायर होने वाले मामले जिसमें राज्य सरकार प्रमुख पक्षकार की भूमिका में नजर आती है, मामले मुकदमों की प्रभावी ढंग से पैरवी करना और सरकार का पक्ष उसी अंदाज में रखने को प्रमुख कारण माना जा रहा है। बीते दो वर्ष के दौरान राज्य सरकार को हाई कोर्ट में कई ऐसे मामलों में फजीहत झेलनी पड़ी। सबसे ज्यादा किरकिरी शिक्षका सोना साहू के प्रकरण में झेलनी पड़ी। क्रमोन्नति वेतनमान को लेकर दायर मामले में सरकार को न्यायालय से बड़ा झटका लगा।
सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार का पक्ष बेअसर रहा। सोना साहू की याचिका में हाई कोर्ट के फैसले के बाद क्रमोन्नति वेतनमान को लेकर दो हजार से ज्यादा मामले हाई कोर्ट में लगे। सरकार के पक्ष में कोर्ट का फैसला नहीं आता को राज्य सरकार के खजाने को तकरीबन सात हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ता। प्रिंसिपल पदोन्नति भी कुछ इसी तरह का झमेला सामने आया जब ई संवर्ग के व्याख्याताओं के प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति में छह महीने से ज्यादा का विलंब हुआ। इसका खामियाजा उन लेक्चरर्स को उठाना पड़ा जो रिटायरमेंट के करीब थे। अदालत का फैसला आता इसके पहले ही रिटायर हो गए। इन दो मामलों में महाधिवक्ता कार्यालय के प्रदर्शन को लेकर राज्य सरकार की नाराजगी बढ़ी। लीगल टीम में बड़े बदलाव के पीछे इसे भी कारण माना जा रहा है।
59 लॉ अफसरों की नई नियुक्ति
राज्य सरकार ने महाधिवक्ता कार्यालय में अपनी लीगल टीम की पुरानी सभी नियुक्तियां का आदेश निरस्त कर 59 ला अफसरों की नई सूची जारी कर दी है। बीते महीने महाधिवक्ता ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद विवेक शर्मा को नया एजी नियुक्त किया गया। पिछले हफ्ते अतिरिक्त महाधिवक्ता रणवीर सिंह मरहास का इस्तीफा सामने आ गया। इसके बाद सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए सभी पुरानी नियुक्तियों को रद्द कर 59 अधिवक्ताओं की नई टीम का आदेश जारी कर दिया है। इसमें छह अतिरिक्त महाधिवक्ता, आठ उप महाधिवक्ता, 17 शासकीय अधिवक्ता और 18 उप शासकीय अधिवक्ता शामिल हैं।
ये हुए रिपिट
एडिशनल एजी- आशीष शुक्ला, यशवंत सिंह ठाकुर, राजकुमार गुप्ता,इनके अलावा तीन नए एडिशनल एडवाेकेट जनरल की नियुक्ति की गई है। डिप्टी एजी में संजीव पांडेय, विनय पांडेय सौरभ पांडेय को रिपीट किया गया है। इनके अलावा पांच डिप्टी एडवोकेट जनरल की नियुक्ति की गई है।
शासकीय अधिवक्ताओं में नए चेहरे
महाधिवक्ता कार्यालय में 17 शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति की गई है। संतोष सोनी, जितेंद्र श्रीवास्तव, अखिलेश कुमार साव केशव गुप्ता, राहुल तामस्कर व संघर्ष पांडेय रिपीट हुए हैं। शेष नए चेहरे को मौका दिया गया है। दो शासकीय उप अधिवक्ताओं को उनके कामकाज के आधार पर पदोन्नत किया गया है। उप शासकीय अधिवक्ता से सुनीता मानिकपुरी, सुयश बड़गैया और शैलजा शुक्ला को पदोन्नत करते हुए शासकीय अधिवक्ता बनाया गया है।
उप शासकीय अधिवक्ता में सभी नए चेहरे, यूथ पर भरोसा
17 उप शासकीय अधिवक्ता की नियुक्ति की गई है। इनमें एक अतनू घोष को छोड़कर शेष सभी नए चेहरे को मौका दिया गया है। अधिकांश यूथ अधिवक्ता हैं। यूथ और टेलेंट पर राज्य सरकार ने भरोसा जताया है।
लीगल टीम में यह पहली बार हुआ
महाधिवक्ता कार्यालय के लीगल टीम में आमतौर पर बनाए जाने वाले पैनल लॉयर को उसी के अनुरुप काम दिया जाता है। उनकी भूमिका पैनल लाॅयर तक सीमित रहती है। महाधिवक्ता विवेक शर्मा की लीगल टीम में यह पहली बार देखने को मिला है कि पैनल लॉयर में शामिल यूथ व टेलेंटेड अधिवक्ता को प्रमोट कर गर्वनमेंट एडवोकेट बनाया गया है। राज्य सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि लीगल टीम में टेलेंट और काम करने वालों को ही जगह मिलेगी। जाहिरतौर पर आने वाले दिनों में इसका असर भी दिखाई देने लगेगा।