बदल रहा बस्तर : नक्सलियों के खौफ से कांपता था जो इलाका…. वहीं कलेक्टर-एसपी ने बेखौफ गुजारी पूरी रात…..ग्रामीणों के बीच लगाया जनता दरबार….साथ बैठ डिनर भी किया…

Update: 2021-01-13 03:38 GMT

जगदलपुर 13 जनवरी 2021। नक्सलियों के मांद में घुसकर ग्रामीणों के बीच विश्वास की लौ जलाने की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कोशिशों में बस्तर कलेक्टर रजत बंसल और एसपी दीपक झा रंग भरने की कोशिशों में जुटे हैं। लगातार वो उन इलाकों में जा रहे हैं जहां के बारे में कभी कहा जाता था कि यहां हर कदम पर मौत बिछी है। नक्सलियों की हुकूमत की अलग दुनिया के लिए कुख्यात कई इलाकों में कलेक्टर-एसपी ना सिर्फ अब तक पहुंचे हैं… बल्कि वहां रात गुजार कर नक्सलगढ़ में ग्रामीणों को ये संकेत भी दिया है कि पुलिस-प्रशासन हमेशा उनके साथ खड़ी है, उनके सुख-दुख में साझीदार है।

यूं तो नक्सलगढ़ में पहुंचना और वहां ग्रामीणों के बीच रात गुजारना कलेक्टर रजत और एसपी दीपक के लिए कोई नयी बात नहीं है, लेकिन हैरानी तब हुई, जब ये कोलेंग पहुंच गये हैं। कहते हैं कि कोलेंग में नक्सलियों की अपनी दुनिया है। वहां लाल आंतक का खौफ भी है और ग्रामीणों में पैठ भी…लेकिन लाल आतंक को खुला चैलेंज कर अफसरों की टीम ना सिर्फ कोलेंग पहुंची, बल्कि वहां रात भी गुजारी । कोलेंग के आसपास के गांव मुण्डागढ और छिंदगुर जैसे गांव में तो आज भी नक्सली बेख़ौफ़ पहुँचते ही रहते हैं। ऐसे में जिले के दो बड़े अधिकारीयों का यहाँ रात बिताना निश्चित ही सराहनीय पहल माना जा रहा है।

बस्तर कलेक्टर रजत बंसल और एसपी दीपक झा जब कोलेंग पहुंचे तो गांव के युवा क्रिकेट खेल रहे थे, मैदान पहुँच कर दोनों अधिकारीयों ने भी बल्ले पर हाँथ आजमाया। रात रुकने के लिए दोनों अधिकारीयों ने पंचायत भवन को चुना तो ग्रामीणों ने भी आवभगत में कोई कमी नहीं छोड़ी और खुद सभी के लिए भोजन तैयार करने लगे। ग्रामीण के घर पर ही जमीन पर बैठ कर सभी अधिकारीयों ने भोजन किया और इस दौरान ग्रामीणों से समस्याओं पर चर्चा भी करते रहे।

आज़ादी के बाद पहली दफा इतने बड़े अधिकारीयों को इतने सहज रूप में अपने बीच पाकर पहले तो ग्रामीण झिझक रहे थे पर जल्द ही वे इन दोनों अधिकारीयों से ऐसे चर्चा करने लगे जैसे इनसे रोज की मुलकात हो। रात बीती और सुबह की शुरुवात होते ही दोनों अधिकारीयों ने मुण्डागढ जाने का फैसला किया। अभी विधानसभ चुनाव के बाद भी इस गांव के ग्रामीणों की नक्सलियों ने मतदान करने पर जमकर पिटाई की थी। ऐसे इलाके में इन दोनों अधिकारीयों का पहुंचना ग्रामीणों में एक भरोसा और विश्वास पैदा कर रहा था , और यही वजह थी कि आज जब बस्तर के अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा कैम्पों का विरोध किया जा रहा है तो वहीँ मुण्डागढ के ग्रामीणों ने बस्तर एसपी से कैंप की मांग की।

लम्बे समय से नक्सलवाद का दंश झेल रहे ये गांव आज भी विकास से कोसों दूर हैं और यही वजह थी ग्रामीणों ने अपनी मांगों की लाइन लगा दी। कलेकटर और एसपी सभी की मांग सुनते रहे और तत्काल अपने अधीनस्त अधिकारीयों को निराकरण के आदेश देते गए। इस दौरान गांव वालों ने नेटवर्क , सड़क व् शासन की अन्य योजनाओं की मांग की।

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