Tamil Nadu IAS jailed: ACS रैंक के आईएएस समेत 3 अफसरों को अदालत ने भेजा जेल, इस मामले में हाईकोर्ट ने दी सजा

1. अदालत ने अवमानना के चलते यह आदेश दिया है, साथ ही 1000 का जुर्माना भी 2. IAS प्रदीप यादव राजमार्ग और लघु बंदरगाह विभाग में ACS हैं

Update: 2023-08-03 14:42 GMT

Tamil Nadu IAS jailed: मदुरै। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ में अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अफसर प्रदीप यादव और शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण के तत्कालीन निदेशक मुथुप्पलानिचामी और तिरुनेलवेली जिले के मुनांचीपट्टी में जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान के तत्कालीन प्रिंसिपल बूपाला एंडो को 2 सप्ताह की जेल की सजा सुनाई है। अदालत ने अपने आदेश की अवमानना के चलते यह आदेश दिया है। साथ ही एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।

तिरूनेलवेली के पी ज्ञान प्रकाशम को ओलियास्थान्म शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान में वर्ष 1996 में स्वीपर व माली के रूप में नियुक्त किया गया था। वह पूर्णकालिक आकस्मिक कर्मचारी के रूप में 40 वर्ष 5 माह सेवा देने के बाद वह 30 जून 2006 में सेवानिवृत हुए। पर उन्हें अपेक्षित रिटायरमेंट का लाभ नहीं मिला। जिस पर उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट के मदुरै बेंच में याचिका लगाई। कोर्ट को याचिकाकर्ता ज्ञानप्रकाशम द्वारा अवगत करवाया गया कि राज्य सरकार ने 1971 में उन सभी आकस्मिक कर्मचारियों को नियमित करने के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया है जिसके तहत 5 साल नियमित काम करने वाले कर्मचारियों का वेतन सबसे निचली श्रेणी को लाभ के दायरे में लाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन इसको हर विभाग में समान रूप से लागू नहीं किया गया। ज्ञानप्रकाशम ने अपने मामले में सरकारी आदेश लागू करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्होंने सेवा को नियमित करने के लिए राज्य सरकार को कई बार आवेदन दिया था पर उनके अभ्यावेदन पर कोई विचार नहीं किया गया इसलिए उन्होंने राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। मदुरै पीठ ने अधिकारियों को सेवा नियमित करने और सभी मौद्रिक लाभ प्रदान करने का निर्देश तीन दिसंबर 2012 में दिया था। जारी आदेश के अनुसार आठ सप्ताह की अवधि में उचित आदेश पारित करके मौद्रिक लाभ प्रदान करने के निर्देश दिए थे। लेकिन आठ वर्षो तक अदालत के आदेश का पालन नहीं किया गया।

अदालत के आदेश का पालन नहीं होने पर याचिकाकर्ता पी ज्ञानप्रकाशम ने वर्ष 2000 में अवमानना याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई जस्टिस बट्टू देवानंद की पीठ में हुई। अधिकारियों की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि अधिकारी देरी के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं। पर अदालत ने कहा कि उक्त तीनों अधिकारी अदालत के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं। यदि इस प्रकार के अधिकारियों के खिलाफ कोई नरम रुख अपनाया जाता है जो वर्षों से अदालत के आदेशों को लागू नहीं कर रहे हैं और अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश देने के बाद ही आदेशों को लागू कर रहे हैं तो या इस प्रकार के सरकारी अधिकारियों को गलत संदेश देगा। अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों ने तत्काल सेवा नियमित नहीं की है और अदालत में यह बेशर्मी से मान रहे हैं कि 20 जुलाई 2023 तक आदेश का पालन नहीं किया गया है। प्रतिवादियों के अधिवक्ता द्वारा बिना शर्त माफी मांगने पर अदालत ने मामले के तथ्यों और उत्तरदाताओं के आचरण को देखते हुए माफी स्वीकार करने से इंकार कर दिया।

न्यायमूर्ति बट्टू देवानंद ने दिसंबर 2012 में पारित अदालत के आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने के लिए अधिकारियों को दंडित करने का आदेश दिया। 74 वर्षीय पी ज्ञान प्रकाशम की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए 2 अगस्त बुधवार को 1992 बैच के आईएएस प्रदीप यादव शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण के तत्कालीन निदेशक मुथुप्पलानिचामी और तिरुनेलवेली जिले के मुनांचीपट्टी में जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान के तत्कालीन प्रिंसिपल बूपाला एंडो को अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 और अन्य नियमों के अनुसार 2 सप्ताह की जेल व एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।

आईएएस प्रदीप यादव इस समय राजमार्ग और लघु बंदरगाह विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव है। जब अदालत ने दिसंबर 2022 याचिकाकर्ता को राहत देने के आदेश दिए उस समय वह स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव थे। अधिकारियों को आगे की कार्यवाही के लिए 9 अगस्त तक रजिस्ट्रार न्यायिक के समक्ष आत्मसमर्पण करने के निर्देश दिए हैं।

जानिए कौन हैं आईएएस प्रदीप यादव 

आईएएस प्रदीप यादव तमिलनाडु कैडर के 1992 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं। वे विभिन्न जिलों में कलेक्टर रहने के अलावा कई विभागों में सचिव भी रह चुके हैं। वह चेन्नई मेट्रो रेल लिमिटेड के एमडी भी रह चुके हैं। इसके अलावा स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव भी रह चुके हैं। वर्तमान में वह अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के ऑफिसर हैं। उनकी वर्तमान पदस्थापना राजमार्ग व लघु बंदरगाह विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर है।

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