IPS Salabh Sinha Biography in Hindi: आईपीएस शलभ सिन्हा का जीवन परिचय ( जीवनी), जानिए कौन है छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस शलभ सिन्हा?

IPS Salabh Sinha Biography, Hindi, Age,wiki, wife,Family, Children, Name, Date of Birth, wife, Family, Height, Career, Nick Name, Net Worth:– आईपीएस शलभ सिन्हा छत्तीसगढ़ कैडर के 2014 बैच के आईपीएस हैं। वे मूलतः छत्तीसगढ़ के ही रहने वाले है। इंजीनियरिंग करने के बाद प्राइवेट जॉब करने वाले शलभ सिन्हा ने अच्छी– खासी जॉब छोड़कर यूपीएससी की तैयारी की थी। वर्तमान में वे जगदलपुर जिले के एसपी हैं।

Update: 2024-07-01 08:45 GMT

IPS Salabh Sinha

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एनपीजी। शलभ सिन्हा छत्तीसगढ़ कैडर के 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी है। वे मूलतः जशपुर जिले के रहने वाले है। बालको प्लांट में इंजीनियर की नौकरी छोड़ कर यूपीएससी चौथे प्रयास में शलभ सिन्हा ने क्रैक की है। आइए जानते हैं उनके बारे में...

जन्म,परिवार और शिक्षा:–

शलभ सिन्हा मूलतः छत्तीसगढ़ के ही रहने वाले हैं। उनका जन्म जशपुर जिले के रायकेरा गांव में 12 मई 1984 को हुआ था। शलभ सिन्हा के पिता संजय सिन्हा कोल इंडिया में कार्यरत थे। जबकि उनकी माता लता सिन्हा गृहणी हैं। शलभ सिन्हा का छोटा भाई सजल सिन्हा है। शलभ सिन्हा के पिता की पोस्टिंग अंबिकापुर के विश्रामपुर में थी। जिसके चलते उनकी शुरुआत की स्कूलिंग विश्रामपुर से हुई। केजी1 से क्लास 2 तक विश्रामपुर के कार्मेल कान्वेंट स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की। फिर 1 साल क्लास 3 की पढ़ाई डीएवी पब्लिक स्कूल विश्रामपुर से की। फिर पिता के कोरबा ट्रांसफर होने पर कोरबा आ गए। क्लास 4 से लेकर 12 वीं तक की पढ़ाई कोरबा जिले के डीएवी कुसमुंडा से की। दसवीं में सबसे लाभ सिंह के 76% अंक आए थे। जबकि 12वीं में उनके 72% अंक थे। सुलभ सिंह ने भौतिकी रसायन व गणित विषय के साथ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की। 12वीं के बाद उन्होंने कई राज्यों की इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा दिलाई। जिसमें बैंगलौर में जाकर इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा, मध्य प्रदेश पीईटी आदि थे। पर किसी में भी शलभ सिन्हा का सलेक्शन नहीं हो पाया। दरअसल भौतिक व रसायन विषयों में वे औसत दर्जे के छात्र थे जिसके चलते उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही थी। पर छत्तीसगढ़ पीईटी में उसे वर्ष जनरल स्टडीज का एक भाग जुड़ गया था। जनरल नॉलेज में शलभ सिन्हा को बचपन से ही रुचि थी। जिसके चलते छत्तीसगढ़ पीईटी में उनका चयन हो गया। हालांकि उन्हें गवर्नमेंट कॉलेज नहीं मिला और रायपुर के निजी रायपुर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी से शलभ सिन्हा ने मैकेनिकल ब्रांच से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग की डिग्री ली। पढ़ाई में औसत होने के बाद भी शलभ सिन्हा का लगातार मेहनत करने के चलते इंजीनियरिंग के किसी भी सेमेस्टर में बैक नहीं लगा था। उन्होंने 67% के साथ इंजीनियरिंग कंप्लीट की। इंजीनियरिंग के बाद बालकों में इंजीनियर की नौकरी करने लगे।

यूपीएससी में चयन:–

बालकों में नौकरी करते-करते उसे दौरान इंजीनियरिंग के क्षेत्र में मंदी आई। आगे भविष्य में ग्रोथ के अवसर न देख शलभ सिन्हा भविष्य के लिए एमबीए करने या अन्य किसी विकल्प पर विचार करने लगे। दोस्तों से सुझाव मिलने पर यूपीएससी के बारे में भी सोचने लगे। इस दौरान बालकों में एक बड़ा हादसा हो गया। चीन की सेपको कंपनी द्वारा बनाए जा रहे चीमनी के गिरने से कई मजदूरों की मौत हो गई। तब चीन के इंजीनियरों व स्टाफ के खिलाफ स्वाभाविक आक्रोश फैल गया। चीनी स्टाफ को सुरक्षित वहां से निकालने में कोरबा पुलिस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा जिला प्रशासन में पुलिस प्रशासन ने वहां राहत कार्य भी चलाया था। जिले के कलेक्टर व एसपी ने राहत कार्यों को अपने सुपरविजन में खड़े होकर पूरा करवाया था। जिसे देखकर शलभ सिन्हा काफी प्रभावित हुए। और यूपीएससी की तैयारी नौकरी के साथ ही शुरू कर दी। 2010 में नौकरी करते-करते अपना पहला अटेम्प्ट दिलाया। पर उनका प्रारंभिक परीक्षा भी नहीं निकल पाया। पर शलभ सिन्हा के मन में इतना कॉन्फिडेंस आ गया था कि तैयारी कर यह परीक्षा क्रैक कर सकते है। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ कर पूरा टाइम यूपीएससी को देने का निर्णय लिया। घर वालों को भी इस बात के लिए राजी किया। फिर चार साल की जमी जमाई नौकरी छोड़ शादी की उम्र में यूपीएससी की तैयारी करने शलभ दिल्ली आ गए। बता दे कि शलभ सिन्हा नौकरी लगने के बाद पढ़ाई से सारा वास्ता तोड़ चुके थे। इसके बाद भी उन्होंने फिर से शुरुआत की।

दिल्ली में रहकर तैयारी करते हुए 2011 में दूसरे प्रयास में शलभ सिन्हा साक्षात्कार तक पहुंचे। पर उनका चयन नहीं हो पाया। तीसरे प्रयास में 2012 में ओवर कॉन्फिडेंस के चलते शलभ सिन्हा का प्री भी नही निकला। यह वह वर्ष था जब शलभ सिन्हा का स्टेट पीएससी का प्री भी नही निकला। ना ही आईबी या असिस्टेंट कमांडेंट का एग्जाम भी नही निकला। तब शलभ हताशा में चले गए थे। उन्होंने हताशा में उतर यूपीएससी 2013 का एग्जाम दिया और चौथे प्रयास में 244 वीं रैंक के साथ आईपीएस के लिए चयनित हो गए।

प्रोफेशनल कैरियर:–

शलभ सिन्हा ने 1 सितंबर 2014 को आईपीएस की सर्विस ज्वाइन की। शलभ सिन्हा प्रशिक्षु आईपीएस के तौर पर दुर्ग जिले में पदस्थ हुए। रानीतराई और धमधा थाना प्रभारी वे रहे। इस दौरान काबडियो व अवैध शराब पे काफी कार्यवाही उन्होंने की। फिर बिलासपुर जिले में सीएसपी रहें। यहां सिटी कोतवाली सीएसपी के पद पर उनकी पदस्थापना हुई पर आठ माह तक सिविल लाइन थाना के भी सीएसपी का चार्ज उन्होंने सम्हाला। बिलासपुर मे सीएसपी रहते हुए कश्मीर और पाकिस्तान से जुड़े टेरर फंडिंग के बड़े मामले का खुलासा शलभ सिन्हा ने किया था। शलभ सिन्हा ने इस दौरान कश्मीर जाकर इसके सरगना को पकड़ा। भोपाल से भी गिरफ्तारी इस मामले में हुई। छत्तीसगढ़ से भी साइबर फ्रॉड कर ठगी का रकम रोटेट कर आतंकियों को भेजने वाले गिरोह के सदस्यों को भी गिरफ्तार किया। प्रदेश के सबसे बड़ा जुआ मस्तूरी में पकड़ चालीस लाख बरामद किए। सेम टाइम नामक चिटफंड कंपनी का खुलासा किया। इस कंपनी ने प्रदेश के अलावा देश के अन्य हिस्सों से करोड़ों रुपए इन्वेस्टमेंट के नाम पर ठगी की थी।

बिलासपुर के बाद सुलभ सिंह सुकमा के एडिशनल एसपी बने। जहां वे 16 माह तक एडिशनल एसपी के पद पर पदस्थ रहें। फिर वही एसपी बन 16 माह पोस्टेड रहे। इस दौरान 28 नक्सलियों का एनकाउंटर हुआ। नक्सल एरिया में 6 कैंप खोला, 13 महत्वपूर्ण सड़के बनवाई। सुकमा के बाद शलभ सिन्हा कवर्धा एसपी बने। 8 माह के कार्यकाल में चर्चित गैंगरेप के सभी आरोपियों को पकड़ा सभी को अदालत से सजा हुई। फिर शलभ सिन्हा कांकेर जिले में एसपी बन कर गए। यहां उन्होंने आठ– आठ लाख के इनामी दो नक्सलियों को ढेर किया। जंगल अंदर सड़के बनवाई। मारापी कलमुच्चि में नक्सलियों ने सड़क निर्माण में लगे वाहनों को आग लगा दी थी। शलभ सिन्हा ने खुद वहां कैंप कर सड़क बनवाई। आमाबेड़ा से अंतागढ़ व कोयलीबेड़ा से पखांजूर तक सड़क बनवाई। पखांजूर में एक परिवार के हुए चर्चित फर्जी अपहरण के षड्यंत्र का खुलासा किया। नक्सल एरिया में कैंप खुलवाएं। भानु प्रतापपुर का उपचुनाव करवाया।

कांकेर के बाद शलभ सिन्हा दुर्ग एसपी बने। इस दौरान फर्जी एड अधिकारी बनकर आए आरोपियों को मुंबई से गिरफ्तार किया। उनसे ठगी की गई रकम में से डेढ़ करोड़ रुपए जब्त किया। वर्तमान में शलभ सिन्हा जगदलपुर जिले के एसपी हैं। यहां उन्होंने शांतिपूर्ण ढंग से लोकसभा चुनाव करवाया।

जीवन साथी:–

शलभ सिन्हा ने रायपुर की रहने वालीं जान्हवी पांडेय से विवाह किया है। दोनों की मुलाकात फेसबुक पर हुई थीं। जान्हवी की इंग्लिश पोएट्री की किताब "gift you a rainbow"भी प्रकाशित हो चुकी है। शलभ के छोटे भाई सजल सिन्हा आईआईटी कानपुर से बीटेक करने के बाद कैनेडा में जॉब कर रहे हैं। वही से उन्होंने एमबीए भी किया है।

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