Chhattisgarh Tarkash: डायरेक्ट आईएएस अफसरों को झटका
Chhattisgarh Tarkash: फेसबुक के सौजन्य से 11 साल ओल्ड तरकश। इस तरकश में हमने 11 साल पहले संकेत दिया था कि फलां आईएएस आगे चलकर डीपीआर बनेंगे। उसके बाद मुझे याद नहीं रहा। कल फेसबुक मेमोरी पर तरकश फ्लैश हुआ तो मैं एक नजर डाला और हैरान रह गया कि खबर सही निकली। पढ़िये छत्तीसगढ़ की 11 साल पहले की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति की खट्टी-मिठी और चटपटी खबरें...थैंक्स फेसबुक।
तरकश, 7 अप्रैल, 2013
झटका
सरकार ने ट्राईबल कार्ड के तहत एमएस परस्ते को वीवीआईपी जिला कवर्धा का कलेक्टर पोस्ट कर दिया मगर यह डायरेक्ट आईएएस अफसरों को अच्छा नहीं लगा है। वीवीआईपी जिला राजनांदगांव पहले छिना अब कवर्धा भी हाथ से निकल गया। कवर्धा में अभी तक डायरेक्टर आईएएस ही रहे हैं। सोनमणि बोरा, सिद्धार्थ परदेशी, इसके बाद मुकेश बंसल। राजनांदगांव से रमन सिंह के निर्वाचित होने के बाद वहां भी डायरेक्ट ही पोस्ट रहे। संजय गर्ग, रोहित यादव और परदेशी। मगर राजनांदगांव को अब प्रमोटी आईएएस अशोक अग्रवाल संभाल रहे हैं। सीएम के जिले का अपना क्रेज होता है। आमतौर पर वहां डायरेक्टर आईएएस ही पोस्ट किए जाते हैं। लेकिन अब डायरेक्ट आईएएस, आईपीएस को गुमान नहीं होना चाहिए। आईपीएस में भी वैसा ही है। राजनांदगांव और कवर्धा, दोनों में प्रमोटी एसपी हैं। राजनांदगावं के एसपी संजीव शुक्ला को आईपीएस अवार्ड हो गया है, कवर्धा के प्रखर पाण्डेय को तो अभी आईपीएस नहीं मिला है। जााहिर है, प्रमोटी अफसरों को इम्पार्टेंस मिल रहा है। सूबे के दूसरे बड़ा जिला बिलासपुर को भी ठाकुर राम सिंह संभाल रहे हैं। औद्योगिक जिले के रूप में उभर रहे जांजगीर में भी आरपीएस त्यागी कलेक्टर हैं। डायरेक्ट को यह अच्छा कैसे लगेगा?
साठा तो पाठा
एक लोकोक्ति है, साठा तो पाठा। याने 60 में भी पठ्ठा। लगता है, सरकार भी इस पर विश्वास करने लगी है। 2 अप्रैल को कलेक्टरों के हुए फेरबदल में कुछ ऐसा ही दिखा। कवर्धा के कलेक्टर बनाए गए एमएस परस्ते का 60वां चालू हो गया है। अगले साल वे रिटायर होंगे। इसी तरह धमतरी कलेक्टर एनके मंडावी का भी 2014 आखिरी है। याने कोई मेजर प्राब्लम नहीं हुआ तो दोनों जिले से रिटायर होंगे। और कलेक्टर के रूप में रिटायर होने का नया कीर्तिमान बनाएंगे। अविभाजित मध्यप्रदेश में भी कभी ऐसा देखने में नहीं आया। वह इसलिए कि रिटायरमेंट की उम्र में कलेक्टर नहीं बनाए जाते। मगर अपने यहां तो साठा वाला मामला है।
उल्टा-पुल्टा
सचिवों का फेरबदल करके सीएम ने मंत्रालय की टीम मजबूत कर ली है। आरपी मंडल पीडब्लूडी में ओपनर की तरह बैटिंग कर रहे हैं, तो मीडिल आर्डर में विवेक ढांड पंचायत को संभाले हुए हैं। सरकार ने अब बैटिंग आर्डर चेंज करके मजबूत बैट्समैन एमके राउत को भी मैदान में उतार दिया है। याने पीडब्लूडी, हेल्थ, अरबन और पंचायत, चारों जगह दम-खम वाले खिलाड़ी। मगर कलेक्टरों की लिस्ट में उल्टा-पुल्टा हो गया। संस्कृति संचालक एनके शुक्ला को रायपुर जिला पंचायत में सीईओ बनाया गया है, जहां वे राज्य बनने से पहले 99 में सीईओ थे। और तब उसमें 15 ब्लाक थे, अब मात्र पांच रह गए हैं। हालांकि, उनकी पनिश्मेंट पोस्टिंग समझ में आती है। बजट सत्र के दौरान एक डायरेक्ट आईएएस से पंगा ले लिया था। और डायरेक्ट अफसरों ने घेरकर उन्हें निबटा डाला। मगर कई आईएएस की पोस्टिंग लोगों को समझ में नहीं आ रही है। शम्मी आबिदी जैसे नई आईएएस कलेक्टरशीप की प्रतिक्षा कर रही थीं, उन्हें डायरेक्टर पंचायत की कमान सौंप दी गई। कोंडागांव के कलेक्टर हेमंत पहाड़े गरियाबंद क्यों शिफ्थ हुए, वे खुद इसका मतलब नहीं समझ पा रहे हैं। सरगुजा के बहुचर्चित बस्ता कांड में एक प्रमोटी आईएएस के खिलाफ इंक्वायरी चल रही है। वे भी कलेक्टर बन गए।
कनेक्शन
ओपी चौधरी को डायरेक्टर पब्लिक रिलेशंस बनाने के बाद राजधानी के लोग नगर निगम और डीपीआर के बीच कनेक्शन ढूंढ रहे हैं। असल में, कुछ साल से रायपुर नगर निगम कमिश्नर रहे अफसर डीपीआर बन रहे हैं। याद होगा, सोनमणि बोरा और अशोक अग्रवाल रायपुर ननि कमिश्नर रहे। दोनों डीपीआर बनें। चौधरी भी रायपुर में कमिश्नर रहे। और अब डीपीआर हैं। यहीं नहीं, राज्य बनने से पहले मनोज श्रीवास्तव भी रायपुर के कमिश्नर रहे और वे मध्यप्रदेश में लंबे समय तक पब्लिक रिलेशंस में रहे। ऐसे में आश्चर्य नहीं वर्तमान कमिश्नर तारणप्रकाश सिनहा भी एक दिन डीपीआर बनेंगे।
राहत
प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका आईपीएल में सरकार अब कुछ राहत की सांस ले रही है। प्रतिष्ठा की बात इसलिए आ गई थी कि समय कम था और बीसीसीआई के कुछ लोगों ने कमेंट कर दिया था कि दो महीने में छत्तीसगढ़ आईपीएल की क्या तैयारी कर पाएगा? दर्शकों को पटिया पर बैठना पड़ेगा। यही वजह है, सरकार ने इसे चुनौती की तरह लिया। और आलम यह है कि तैयारी अब अंतिम चरण में पहंुच गई है। स्टेडियम में शिफ्थ वाइज 24 घंटे काम चल रहा है। ठीक ही कहा गया है, गर इच्छा शक्ति हो तो कोई काम मुश्किल नहीं है। सरकार चाहे तो कुछ भी संभव है। कम समय, कम लागत के बाद भी क्वालिटी वर्क के लिए आईपीए राज्य के लिए एक नजीर बनेगा।
पावरफुल
मंत्रालय में हुए फेरबदल में 85 बैच के आईएएस बैजेंद्र कुमार और ताकतवर हो गए हैं। उनके पास पांच विभाग पहले से थे अब वाणिज्य और उद्योग मिलने के बाद विभागों की संख्या आधा दर्जन पहुंच गई है। पीएस टू सीएम, आवास पर्यावरण, पब्लिक रिलेशंस, चेयरमैन पौल्यूशन बोर्ड, चेयरमैन एनआरडीए और अब वाणिज्य और उद्योग। सिर्फ जनसंपर्क आयुक्त से मुक्त हुए हैं। मगर जनसंपर्क विभाग तो उन्हीं के पास है।
गुड्डा और गुडि़या
पहले छोटे जोगी की शादी को लेकर अजीत जोगी के समर्थकों में उत्सुकता थी। अब नन्हें जोगी को लेकर है। पूर्व विधायक और मध्यप्रदेश के समय सेवादल के अध्यक्ष रहे कांग्रेस नेता चंद्रप्रकाश बाजपेयी के बिलासपुर स्थित निवास पर होली मिलन समारोह में जोगीजी को रिटर्न गिफ्ट बाक्स दिया गया। बाक्स में चना, मुर्रा और गुड्डा निकला। चना, मुर्रा जोगीजी को बहुत प्रिय है मगर गुड्डा का आशय उन्हें समझ में नहीं आया। जब कार्यक्रम के संचालक ने गुड्डे का मतलब समझाया तो लोगों ने खूब ठहाके लगाए। मंच पर अमित और बहू ऋचा भी थी। दोनों शरमा गए। वैसे, समर्थकों को चिंता नहीं करनी चाहिए। समय आने पर गुड न्यूज भी आ जाएगा। जोगी परिवार हर काम रणनीति बनाकर करता है। तभी तो मैदान में टिका हुआ है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. प्रींसिपल सिकरेट्री एमके राउत को हेल्थ और अरबन देकर उन्हें मजबूत करने के पीछे क्या कोई पावर गेम है?
2. राजधानी के पड़ोसी जिले के एक कलेक्टर का नाम बताइये, जिन्हें एक विरोधी पार्टी के नेता की सिफारिश पर नहीं हटाने की चर्चा है?